काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय स्थित अहिवासी कला दीर्घा में एम. एफ. ए. (चित्रकला) के 10 विद्यार्थियों की चित्र प्रदर्शनी ‘डॅका’ उदीयमान प्रतिभाओं को प्रदर्शित करती है।
यह प्रदर्शनी एक विचारोत्तेजक एवं दृष्टि-संवेदनशील कला की बानगी है, जो न केवल सामूहिक सामर्थ्य का प्रतीक है, अपितु नवाचार और सृजनशीलता का अद्भुत समागम भी है।

ये दस कलाकार—जयदेब दास, कनु मोनु वेणु, वैष्णवी बर्नवाल , प्रीतिलता, शिवम कुमार सेठ, शिवम त्रिपाठी, आदर्श यादव, ऋषिकेश कुमार, वरुण प्रजापति एवं यति सिंह—अपनी-अपनी कलात्मक दृष्टियों को इस प्रदर्शनी में साझा कर रहे हैं। यद्यपि प्रत्येक की अभिव्यक्ति व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित है, तथापि वे सभी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय में चित्रकला के परास्नातक विद्यार्थी होने के नाते एक साझा शैक्षणिक यात्रा से संबद्ध हैं। ‘डॅका’ शीर्षक के अंतर्गत इनका यह सामूहिक प्रयास उनकी वैयक्तिक विशिष्टताओं के साथ-साथ समूह में कार्य करने की समन्वयशक्ति एवं सामूहिक चेतना को भी उद्घाटित करता है।

यह प्रदर्शनी समकालीन विषयों की एक व्यापक परिधि को स्पर्श करती है—जिसमें मानवीय संबंध एवं पहचान से लेकर सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों तथा ब्रह्मांडीय प्रतीकात्मकता तक की अभिव्यक्ति सम्मिलित है। कलाकार भौतिक एवं आध्यात्मिक, स्मृति एवं परिवर्तन तथा परंपरा एवं आधुनिकता के मध्य अंतर्संबंधों में रचनात्मक रूप से तल्लीन हैं। उनके भावों की आधारशिला पारंपरिक भारतीय कलारूपों, अमूर्त प्रतीकों, ग्रामीण एवं शहरी विरोधाभासों तथा पर्यावरणीय चेतना से निर्मित है।

‘डॅका’ केवल एक कला प्रदर्शनी ही नहीं है, अपितु यह एक सामूहिक कथानक है—एक कलात्मक संवाद, जो आज के युवाओं की व्यग्रता, आकांक्षाओं एवं संवेदनशीलताओं का सजीव चित्रण करता है। प्रदर्शित कृतियाँ परंपरा एवं परिवर्तन, योजना एवं निष्पादन के बीच के तनाव को आत्मसात करती हैं और युवा जीवन की जटिल सामाजिक-भावनात्मक पृष्ठभूमियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।
प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध कलाकार एस. प्रणाम सिंह ने किया। उन्होंने सभी युवा कलाकारों को इस प्रकार के आयोजन करते रहने हेतु प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र कलाकार के रूप में स्वयं को स्थापित करने के लिए यह बहुत आवश्यक है। इस अवसर पर व्यावहारिक कला विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष अरोड़ा, टेक्स्टाइल डिजाइन की प्रो. जसमिंदर कौर समेत अनेक आचार्यगण, शोधार्थी, विद्यार्थी और कलाप्रेमी उपस्थित रहे।
चित्रकला विभाग में सहायक आचार्य डॉ. सुरेश चंद्र जांगिड़ द्वारा क्यूरेट की गई यह प्रदर्शनी इन नवोदित कलाकारों के लिए अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति को स्वर देने और एक नवीन यात्रा का आरंभ करने हेतु एक प्रयास है। उन्होंने बताया कि अन्तरराष्ट्रीय कला दिवस पर आयोजित यह कला प्रदर्शनी 10 युवा कलाकारों द्वारा आयोजित होने के कारण लैटिन शब्द डॅका शीर्षक से आयोजित की गई है। ऊर्जा, नवोन्मेष और मौलिकता की चमक से युक्त, ‘डॅका’ युवा पीढ़ी के लिए एक प्रभावशाली कलात्मक पथ की प्रस्तावना करता है। यह प्रदर्शनी दिनांक 17 अप्रैल तक आमजन के अवलोकनार्थ उपलब्ध है।

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