लखनऊः देश विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होने के मार्ग पर अग्रसर है हमारा ध्यान एक विकसित, समावेशी और टिकाऊ अर्थव्यवस्था बनने पर केंद्रित होना चाहिए। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जिसके लिए एक मजबूत बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
उक्त बातें अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा एपी सेन हॉल में आयोजित नेशनल सेमीनार “कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स फार विज़न विकसित भारत@2047 ” के समापन समारोह में मुख्य अतिथि यूपी रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने कही। उन्होंने आगे कहा कि कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व से ही संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। सीएसआर के नाम पर कारपोरेट खुद के लोंगों का लाभ कर रहें है और जिन सेक्टर्स को असल में सीएसआर के लाभ कि जरुरत है उनको समुचित लाभ नहीं मिला पा रहा है। कोविड काल में कार्पोरेट्स ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के फंड का समुचित उपयोग करके ही सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।



समापन सत्र की अध्यक्षता करते हए लखनऊ विश्वविद्यालय कि प्रति कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने कहा कि बुनियादी ढाँचे का समुचित विकास ही अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा। सार्वजनिक-निजी और जनसामान्य की सहभागिता से ही विकसित भारत का संकल्प पूर्ण होगा। सरकार आत्मनिर्भर, समावेशी और विकसित भारत कि संकलपना को साकार करने के लिए वंचित वर्ग, युवा वर्ग, किसानों एवं महिलाओं की चुनौतियों पर कार्य कर रही है । इस सेमिनार की सिफारिशे निश्चित ही विकसित देश के संकल्प को पूर्ण करने में सहायक होगी।
विशिष्ट अतिथि कला संकायाध्यक्ष प्रो. अरविन्द मोहन ने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना सत्तात विकास लक्ष्यों को पूर्ण करके ही साकार की जा सकती है और इसके लिए कारपोरेट जगत को आगे आना होगा। विकसित भारत कि संकल्पना सरकार कारपोरेट जगत और सामान्य नागरिक सभी का धेयय है।
सेमिनार संयोजिका डॉ शची राय ने सेमिनार की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि सेमिनार में कुल 215 शोधपत्रों का प्रस्तुतीकरण हाइब्रिड मोड में किया गया। सेमिनार के निष्कर्ष और सिफारिशें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सम्बन्धित मंत्रालयों को भेजा जायेगा। चयनित शोध पत्रों को यूजीसी केयर जर्नल और सम्पादित पुस्तक में आईएसबीएन के साथ प्रकाशित भी कराया जायेगा।
अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो विनोद सिंह ने समापन वक्तव्य में कहा कि समावेशी विकास विकसित भारत का आधार है। विभाग ऐसे आयोजन करता ही रहता है जिससे देश समाज और जनसामान्य लाभान्वित हो।
सेमिनार का सञ्चालन करते हुए आयोजन सचिव एवं अर्थशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डॉ हरनाम सिंह ने कहा कि विकसित भारत नारा नहीं संकल्प है और संकल्प कि सिद्धि के लिए अपनी पूरी प्रतिभा क्षमता से सभी को कार्य करना होगा। आभार ज्ञापन अर्थशास्त्र विभाग प्रो रोली मिश्रा ने किया किया।
आज के पांचवे तकनीकि सत्र की अध्यक्षता करते हए प्रो मनोज कुमार अग्रवाल ने भारतीय आर्थिक विकास के मॉडल पर चर्चा करते हुए बताया कि, भारत में आर्थिक विकास के मॉडल का नेतृत्व समाज करता है; राज्य नहीं। उन्होंने अपनी बात कहते हुए कई उदाहरण दिए जैसे कि, स्वच्छता अभियान इत्यादि। समग्र विकास के लिए उन्होंने सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने की बात की।
आज के सातवें तकनीकि सत्र के सम्मानित अतिथि नव नालंदा महाविहार विश्वविद्यालय बिहार के प्रो विजय कुमार कर्ण ने कहा कि भारत में अब महाभारत नहीं बल्कि अब भारत ‘महा’ बनाना है। देश सतत प्रवाह में आगे बढ़ रहा है। 21 वीं सदी का भारत विश्व को प्रगति का मार्ग दिखाएगा। विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें पंच प्रण लेना होगा जिसमें स्वदेशी अपनाना, नागरिक कर्तव्यों का पालन करना, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता शामिल हैं।
आठवें तकनीकि सत्र के सम्मानित अतिथि एचआरडीसी के निदेशक प्रो कमल कुमार ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए हमें नीतिगत बदलाव और सतत प्रयास की आवश्यकता है।
दसवें तकनीकि सत्र की अध्यक्षता करते इग्नू के प्रो पवनेश कुमार ने कहा कि विकसित भारत एक जिम्मेदारी है विकसित भारत केवल सरकार का ही नहीं सामान्य जन का धेयेय बनें।
सेमिनार में पूर्व प्रति कुलपति प्रो अरविन्द अवस्थी, चीफ प्रोवोस्ट प्रो अनूप कुमार सिंह, प्रो ध्रुवसेन सिंह, प्रो आर पी सिंह, प्रो मनोज शर्मा, प्रो अनित्य गौरव, प्रो आर बी सिंह मून, डॉ वरुण छाछर, प्रो संजय मेधावी, डॉ सौरभ मालवीय, प्रो वी के शर्मा, प्रो ओंकार नाथ उपाध्याय, डॉ अनुपमा श्रीवास्तव, प्रो अशोक कुमार कैथल इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन की जोनल सेक्रेटरी प्रो भारती पांडेय, उत्तराखंड कि प्रो हेमलता एव प्रो रविन्द्र सैनी, इंजीनयर ए पी सिंह, प्रो दुर्गेश श्रीवास्तव, ने विभिन्न सत्रों को संबोधित किया। सेमिनार में प्रमुख रूप से डॉ अल्पना लाल, डॉ शशिलता सिंह, डॉ प्रीती सिंह, डॉ कामनसेन गुप्ता, डॉ दिनेश यादव, डॉ सुचित्रा प्रसाद, डॉ शिवेंद्र सिंह सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षाविद, नीति निर्माता, सरकारी – गैरसरकारी संगठनो के प्रतिनिधि एवं शोध छात्र – छात्राएं हाइब्रिड मोड में समम्लित होकर अपने विचार विकसित भारत के लिए प्रदान किये। विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के अर्थशास्त्र, समाज कार्य, पत्रकारिता, गणित, प्रबंधन, वाणिज्य तथा समाजशास्त्र समेत अन्य विभागों के शिक्षक तथा शोध विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस सेमिनार का वित्त पोषण भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा किया गया था जिसे आईसीआईसीआई बैंक, रुर्बन अग्रिप्रेनुर्स इन्क्यूबेशन फाउन्डेशन, रुद्रा शेयर ब्रोकिंग ट्रेडिंग कंपनी, इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन ने सहयोग प्रदान किया था।