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यूँ तो बनारस की गलियाँ और यहाँ के चौराहे पान की दुकानों से अटे पड़े हैं, और हर एक दुकान की अपनी अलग-अलग और विशिष्ट कहानियाँ व किस्से हैं, लेकिन यहाँ की पान की दो दुकानें सबसे नामी हैं। पहली दुकान – केशव ताम्बूल भंडार और दूसरी – नेताजी पान भंडार। लोग बताते हैं कि एक जमाना था जब लोकप्रियता के लिहाज से दूसरी की तूती बोलती थी, लेकिन समय एक जैसा कहाँ रहता है? वर्तमान में केशव ताम्बूल भंडार लोकप्रियता के शिखर पर है।

युवा पत्रकार और अनुवादक राजेश ओझा

बनारसी पान की ये दोनों दुकानें देश का राजनैतिक रुझान भी पेश करती हैं। इन दोनों ही दुकानों पर देश-विदेश की प्रतिष्ठित हस्तियों ने पान खाए हैं और इनका सम्मान बढ़ाया है। वाराणसी शहर की हृदयस्थली चौक बाजार में स्थित अंग्रेजों द्वारा निर्मित चौक बाजार थाने के बाहर एक कोने में हजरत जाहिर शाह बाबा की मजार के बगल में पान की एक छोटी-सी दुकान है। रामेश्वर प्रसाद चौरसिया की इसी दुकान का नाम है – ‘नेताजी पान भंडार’। इस दुकान से पान खाने वाली महान शख्सियतों के नाम सुनकर आप दंग रह जाएंगे। जी हाँ, कामराज जी, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी सहित चच्चा नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक इस दुकान के पान के मुरीद रह चुके हैं। ऐसे में उस दौर में इस दुकान की लोकप्रियता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
लेकिन समय के साथ समय ने करवट ली, और लंका स्थित रविदास गेट के ठीक समीप स्थित ‘केशव ताम्बूल भंडार’ नेताजी की दुकान को पीछे छोड़ते हुए आज काफी आगे निकल चुका है। गौरतलब है कि आज देश मोदीमय है और इस दुकान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगाव ने इसे एक नई पहचान दिलाई है। संयोगवश पहचान इतनी करीबी हो गई है कि दुकान के मालिक रजिंदर चौरसिया जी की मोदी से कद-काठी और शक्ल-सूरत थोड़ी-बहुत मिलने के चलते मेरे घर का एक बच्चा इन्हें ‘मोदी जी का भईया’ कहता है और बीती होली में उनसे अनुरोध कर चुका है कि वो अपने भाई से कहकर बच्चों को जमकर होली खेलने की अनुमति दिलावें।
केशव ताम्बूल भंडार पर आने वाले देशी-विदेशी ग्राहकों की संख्या की बात हो या फिर इस प्रतिष्ठान की प्रतिष्ठा का, आज यह नेताजी की दुकान पर बहुत ही भारी है या फिर यूँ कहें कि कोई तुलना ही नहीं है। इन दोनों दुकानों की वर्तमान स्थिति को देखने के बाद शहरवासी सहज ही यह कह उठते हैं कि ‘मोदीजिउवा इंदिरा पर भी भारी पड़त हौ, गुरू‍!”

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