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सेवा में,
पुलिस कमिश्नर, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, वाराणसी
और माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
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महोदय मेरा नाम कामता प्रसाद है और मैं हमारा मोर्चा का कार्यकारी संपादक हूँ। मेरी आजीविका का जरिया पत्रकारिता और अनुवाद है। मेंटल पेशेंट हूँ, दवा चल रही है। प्रायः संतुलित ही रहता हूँ, अपवादस्वरूप कई बार बेहद गुस्सा आता है और कई बार एकदम से डिप्रेसन में चले जाया करता हूँ।
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बनारस कचहरी में प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट श्रीनाथ त्रिपाठी ने अपने किसी जूनियर वकील के जरिए दैहिक समीक्षा करवाने की धमकी दी है। एक बार मैं गलती से इसकी चौकी पर चला गया था और इसने अपने जूनियरों को कहकर मुझे पिटवा दिया था।
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पत्रकारिता मेरा धर्म-ईमान है और मेरी लेखनी आजाद है। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना पत्रकार का धर्म होता है। इसकी घटिया सोच और आपराधिक मनोवृत्ति को इसकी अपनी ही जबान में देखा-समझा जाए।
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श्रीमान जी, मुझे भय है कि आपराधिक मनोवृत्ति का श्रीनाथ मुझे शारीरिक रूप से आगे भी क्षति पहुँचाने की कोशिश कर सकता है, कृपया इस निर्देश दिया जाए कि सिर्फ वकालत करे, अपने दिमाग का इस्तेमाल करे, ईश्वर ने अगर दिया हो तो और किसी भले आदमी को सताने से बाज़ आए।

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