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चौबेपुर (वाराणसी) : तेजी से बिगड़ते प्राकृतिक संतुलन से चिंतित होकर पर्यावरण के प्रति सचेत लोगों ने अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न प्रयास शुरू कर दिए हैं। पिछले माह पड़ी अभूतपूर्व गर्मी से जन जीवन अस्तव्यस्त हो गया था अब बारिश होते ही प्रकृति के प्रति संवेदनशील संस्थाओं द्वारा सघन पौधरोपण किया जा रहा है। इस दिशा में एक अभिनव प्रयोग मियावाकी वन का रोपण है। वाराणसी की सामाजिक संस्था विश्वज्योति जनसंचार केंद्र ने इस जापानी तकनीक पर आधारित वन लगाने का जिम्मा उठाया है, संस्था द्वारा भू सेवा जल सेवा अभियान के तहत पौधरोपण और पर्यावरण के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

रविवार को सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के भन्दहा कला (कैथी) स्थित केंद्र के  सहयोग से गंगा तट पर स्थानीय निवासी नर नाहर पांडेय की निजी भूमि पर उक्त तकनीक से 1500 पौधों का रोपण किया गया। भू सेवा जल सेवा अभियान के संयोजक उमाशंकर मेहता ने बताया कि यह वाराणसी जिले का चौथा मियावाकी वन है। विगत वर्षों में तीन ऐसे वनों की स्थापना का प्रयोग सफल रहा था। इस वन में पूरे वर्ष हरियाली रहती है और कोई न कोई फल लगा हुआ होता है जिससे चिड़ियों की संख्या इस वन में बहुतायत में होती है।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पांडेय ने बताया कि 2100 वर्ग फीट क्षेत्र में 25 प्रजातियों के कुल 1500 पौधे लगाए गए हैं जिनमे फलदार और शोभाकार पौधे भी शामिल हैं, यदि यह प्रयोग सफल रहा तो आगामी वर्षों में गंगा किनारे इसे और बढ़ाया जाएगा।

विश्वज्योति जनसंचार केंद्र के निदेशक प्रवीण जोशी ने बताया कि मियावाकी पद्धति के प्रणेता जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी हैं। जापान में इसकी शुरुआत सत्तर के दशक में हुई , इस पद्धति से बहुत कम समय छोटे स्थान को सघन पौध रोपण कर घने जंगलों में परिवर्तित किया जा सकता है।इस कार्यविधि में पेड़ स्वयं अपना विकास करते हैं और तीन वर्ष के भीतर वे अपनी पूरी लंबाई तक बढ़ जाते हैं।

पौधरोपण कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रमोद पटेल, अनिल कुमार, गौरीशंकर, रंजीत कुमार, अजय पाल, अशोक पटेल, सुरेंद्र कुमार, तौफीक अंसारी, अजीत गौरव, सुजीत गौरव, मनोज पटेल, विजय प्रकाश, प्रदीप सिंह, दीन दयाल सिंह आदि का विशेष योगदान रहा ।

 

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