Total Views: 94

मखाना (फॉक्सनट) और टूटे साँवा (बार्नयार्ड) से बने पोषण बार के बायोएक्टिव मेटाबोलाइट्स का विश्लेषण हाई-रिज़ॉल्यूशन मास स्पेक्ट्रोमेट्री (HR-MS) का उपयोग करके की गई। यह शोध बीएचयू के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर और वर्तमान में बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय और उनकी टीम द्वारा किया गया है।

इस टीम में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश के डेयरी विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार और मिजोरम विश्वविद्यालय, आइजोल, मिजोरम के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर श्री मनीष कुमार सिंह शामिल थे। इस शोध में मखाना के आटे और टूटे हुए साँवा से बने पोषण बार के लक्षित मेटाबोलॉमिक्स का अध्ययन किया गया है। 

यह शोध मखाना पर केंद्रित है, जो उत्तर बिहार के दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी आदि क्षेत्रों में लोकप्रिय है और इसे पोषण बार में इस्तेमाल किया गया है। शोधकर्ता टीम में श्री विशाल कुमार, प्रिया ध्यानी और हिमांशु मिश्रा भी शामिल थे। यह उन्नत शोध प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका फूड केमिस्ट्री: मॉलिक्यूलर साइंसेस में प्रकाशित हुआ है, जिसका इम्पैक्ट फैक्टर 4.1 है और यह एक प्रतिष्ठित Q1 शोध पत्रिका है। 

इस मखाना और साँवा से बने पोषण बार में कई बायोएक्टिव यौगिक पाए गए हैं, जिनमें कैंसर रोधी, हृदय स्वास्थ्य संवर्धन, इंफ्लेमेटरी विरोधी, मधुमेह कम करने वाले, रोगाणुरोधी आदि गुण होते हैं। यह शोध कार्य दर्शाता है कि यह पोषण बार सभी आयु वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए एक फंक्शनल स्नैक फूड है।

Leave A Comment