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वाराणसीः राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत संचलित परियोजना का मुख्य उद्देश दो प्रमुख देशी नस्लों, गंगातिरी और साहीवाल गायों के संरक्षण और सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है। यह पहल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के राजीव गांधी साउथ कैंपस में स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान संकाय में चल रही है। इस परियोजना में सहायक प्रजनन तकनीकों जैसे भ्रूण प्रत्यारोपण  और सरोगेसी का उपयोग इन नस्लों की आनुवंशिक गुणवत्ता को बढ़ाने और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।

इस परियोजना की एक अन्य उपलब्धि के रूप में 2 दिसंबर 2024 को दूसरे साहीवाल मादा बछड़ी का जन्म हुआ जिसका वजन 30 किलोग्राम है.इस बछड़ी का जन्म सेक्स-सॉर्टेड सीमेन का उपयोग कर भ्रूण प्रत्यारोपण  के माध्यम से हुआ जो देशी नस्लों के संरक्षण के लिए एक प्रमुख उपलब्धि है। यह दूसरी साहीवाल मादा बछड़ी है, इससे पहले, 19 नवम्बर 2024 को प्रथम भ्रूण प्रत्यारोपित  साहीवाल मादा बछड़ी पैदा हुई थी।
अंडा दाता साहीवाल गाय को उच्च गुणवत्ता वाले सांड के वर्गीकृत वीर्य सीमेन से गर्भाधान किया गया था ताकि बछड़ियों का जन्म सुनिश्चित किया जा सके। इस कार्य को पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान संकाय की एक टीम, डॉ. मनीष कुमार (प्रधान अन्वेषक), डॉ. कौस्तुभ किशोर सराफ और डॉ. अजीत सिंह (सह-प्रधान अन्वेषक) के निर्देशन में किया गया है जिस के  अंतरगत 25 फरवरी 2024 को, 11 उच्च गुणवत्ता वाले भ्रूण (कॉम्पैक्ट मोरुला, प्रारंभिक ब्लास्टोसिस्ट, और विस्तारित ब्लास्टोसिस्ट) सफलतापूर्वक प्राप्त किए गए थे जिन्हे सिंक्रनाइज्ड सरोगेट गायों में प्रत्यारोपित किया गया।

परियोजना टीम आने वाले वर्षों में इनविट्रो निषेचन जैसी नई और अधिक उन्नत तकनीकों को अपनाने की योजना बना रही है। इस तकनीक को किसानों के दरवाजे तक पहुंचाने की योजना पर कार्य चल रहा है, जिससे न केवल इसके संरक्षण प्रयासों की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ेगी, बल्कि विन्ध्य क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर, संस्थान के निदेशक प्रो. एस.वी.एस. राजू, संकाय के डीन प्रो. एन.के. सिंह, प्रो. वी.के. मिश्रा, पीआईसी, आरजीएससी और विभाग के प्रमुख प्रो. अमित राज गुप्ता ने परियोजना टीम को बधाई दी और उन्हें इस काम को जारी रखने के लिए प्रेरित किया, ताकि यह कार्य डेयरी किसानों के लाभ के लिए किया जा सके।

उपलब्धि पर प्रो. एस.वी.एस. राजू, संस्थान के निदेशक ने जोर देते हुए कहा कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी के माध्यम से किसानों को तेज़ आनुवंशिक सुधार, बढ़ी हुई उत्पादकता, लागत-कुशलता, और अधिक दूध उत्पादन से बढ़ी हुई आय के अवसर प्रदान करेगा। यह तकनीक किसानों को अपने मवेशियों की गुणवत्ता को अधिक प्रभावी तरीके से सुधारने मे सहायक है, जिससे सीधे तौर पर लाभप्रदता और दीर्घकालिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी। निदेशक ने टीम की सराहना करते हुए यह भी आश्वासन दिया कि विंध्यान क्षेत्र के किसानों की उत्थान के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जायेगी।

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