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वाराणसीः “वाद-विवाद के माध्यम से हम पक्ष और विपक्ष दोनों मतों को जानते हैं और उससे हमें अपना मंतव्य निर्धारित करने में आसानी होती है।‌” ये‌ बातें कहीं हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय की आचार्य प्रो. आभा गुप्ता ठाकुर ने। वे कला संकाय के छात्र समुदाय ‘मंथन’ द्वारा आयोजित दो दिवसीय वाद-विवाद प्रतियोगिता में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुई थीं। उन्होंने कहा कि इससे विद्यार्थिंयों का सर्वांगीण विकास होता है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार में ‘मंथन’ समूह द्वारा दो दिवसीय ‘त्रिविधा’ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें लेख, वाद-विवाद एवं क्विज़ प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। इसमें  लेख का विषय था – ‘समाज पर डिजिटल क्रांति का प्रभाव’ एवं ‘जलवायु परिवर्तन और भविष्य की पीढ़ियों  के लिए इसके निहितार्थ’ । वाद-विवाद का विषय था – ”समान नागरिक संहिता’, ‘एक देश-एक चुनाव’ एवं ‘भारत में कर-प्रणाली की जटिलता’।

इस अवसर पर कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता  हिन्दी विभाग के प्रो. बिपिन कुमार ने भारत में कर-प्रणाली और एक देश-एक चुनाव पर चर्चा करते हुए भारतीय संविधान के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हम यदि संविधान का पालन उचित तरीके से करेंगे तो सर्वत्र सौहार्दपूर्ण वातावरण होगा।

अपने वक्तव्य में डॉ. अशोक कुमार ज्योति ने कहा कि वर्तमान में शिक्षा जीविकोपार्जन मात्र का साधन बन गई है, हमें इससे इतर भी ज्ञान के अनेक आयामों से रूबरू होना चाहिए। ऐसे में लेख, वाद-विवाद और क्विज जैसी प्रतियोगिताएँ सहायक होती हैं। उन्होंने भारत की वर्तमान कर-प्रणाली के विविध पक्षों से संबद्ध विचार भी प्रतिभागियों के बीच रखे।
वाद-विवाद प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के रूप में डॉ. दिग्विजय भारद्वाज, श्री सुशांत कुमार पांडेय और सुश्री निहारिका जायसवाल उपस्थित रहे। इस प्रतियोगिता में नैना, युवराज और आदित्य आनंद ने प्रथम स्थान प्राप्त किया; पार्थिव ज्योति रॉय ने द्वितीय एवं काव्य नायक ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस ‘मंथन’ कार्यक्रम के संयोजक के रूप में राहुल, शिवम, विजय और मंथन समूह के सभी सदस्य उपस्थित रहे। इसमें बीएचयू के विभिन्न संकायों के 150 से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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