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वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग, दृश्य कला संकाय में 20 जनवरी से 22 जनवरी 2025 तक एक विशेष व्याख्यान सह प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का शीर्षक था “मेथोडोलॉजिकल पेंटिंग ऑफ इंडिया इन द स्पेशल कॉन्टेक्स्ट ऑफ द ग्रेट आर्टिस्ट राजा रवि वर्मा”। इस अवसर पर प्रसिद्ध कलाकार प्रोफेसर एल. एन. भावसार, भोपाल को व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया।

इस व्याख्यान का उद्घाटन और प्रोफेसर एल. एन. भावसार का स्वागत 20 जनवरी 2025 को चित्रकला विभाग में किया गया। इस अवसर पर संकायाध्यक्ष सह समन्वयक आचार्य उत्तमा दीक्षित, आचार्य डॉ. महेश सिंह, डॉ. शांति स्वरूप सिन्हा, सहायक आचार्य श्री के. सुरेश कुमार, डॉ. ललित मोहन सोनी, श्री विजय भगत, डॉ. सुनील कुमार पटेल आदि उपस्थित रहे।

प्रोफेसर एल. एन. भावसार ने अपने व्याख्यान में प्रसिद्ध यथार्थवादी कलाकार राजा रवि वर्मा के बारे में अमूल्य जानकारी छात्र-छात्राओं को दी। उन्होंने राजा रवि वर्मा की प्रतिभा और कला के विभिन्न पहलुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उनके तैल चित्रण की तकनीक, उनकी साधना और उनके योगदान को रेखांकित किया।

उन्होंने राजा रवि वर्मा द्वारा सांस्कृतिक और पौराणिक विषयों पर किए गए कार्यों के महत्व को समझाया और उनकी प्रमुख कृतियों जैसे पुराणों की घटनाओं पर आधारित चित्रों का विश्लेषण प्रस्तुत किया। उनके द्वारा बनाए गए यथार्थवादी चित्रों की संजीवता और कला के प्रति उनकी निष्ठा पर भी प्रकाश डाला।

प्रोफेसर भावसार ने अपने व्याख्यान के दौरान पीपीटी के माध्यम से राजा रवि वर्मा की प्रमुख कृतियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों का योगदान भारतीय कला जगत में अद्वितीय है।

इस व्याख्यान के अंतर्गत उन्होंने छात्र-छात्राओं को कला के कौशल विकास के लिए उपयोगी सुझाव दिए और अपने अनुभव साझा किए। संकाय के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और इससे उन्हें अपनी कला दक्षता को निखारने में सहायता मिली।

 


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