वाराणसीः BHU यूरोलॉजी विभाग के वाह्य रोग विभाग में ६६ वर्षीय महिला मिर्जापुर से आई जिसको पेट के बाए हिस्से में दर्द, बुखार और पिसाब में खून आने की समस्या थी l जिसकी डॉक्टर यशश्वी सिंह द्वारा जांच करने पर बाए किडनी में Angiomyolipoma नामक ट्यूमर जो 22 * 16 सेंटीमीटर साइज की थी। इस बीमारी में किडनी में ट्यूमर कभी भी फट सकता है और मरीज की जान को खतरा रहता है। निश्चेतना विभाग डॉक्टर द्वारा जांच में मरीज को डीसीएमपी नामक दिल की घातक बीमारी का भी पता चला जिसके कारण ऑपरेशन करके ट्यूमर निकालना मुश्किल था और मरीज की जान को खतरा था। इसके बाद डॉक्टर समीर त्रिवेदी डॉक्टर यशश्वी सिंह और डॉक्टर उज्जवल की टीम ने रेडियोलॉजी विभाग से बात करके ट्यूमर को नसों के माध्यम से उपचार की रणनीति बनाई। डॉक्टर यशश्वी सिंह ने बताया की मरीज के साथ बातचीत करके रेडियोलॉजी विभाग की मदद से ट्यूमर का नसों के माध्यम से उपचार किया गया और मरीज को थोड़ा आराम मिला।
मरीज को 3 महीने पश्चात पुनः दिक्कत होने पर यूरोलॉजी विभाग की सर्जिकल टीम ने विभागाध्याक्ष डॉक्टर समीर त्रिवेदी की अगुवाई में और डॉक्टर यशश्वी सिंह एवं डॉक्टर उज्जवल के साथ मिलकर ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। ऑपरेशन में निश्चेतता के डॉक्टर संदीप लोहा और कार्डियोलॉजी विभाग के साथ मिल कर 4.5 घंटे के अथक प्रयास के बाद 2.5 किलो का ट्यूमर और साथ में 1.5 लीटर ब्लड जो की मवाद का रूप ले चुका था, निकाला गया।
डॉक्टर समीर त्रिवेदी की अगुवाई में यूरोलॉजी विभाग की सर्जिकल टीम को Angiomyolipoma ट्यूमर का ऑपरेशन करने का पूर्वोत्तर भारत में सबसे ज्यादा महारत हासिल है और विभाग ने पिछले 10 वर्षो में तकरीबन 200 angiomyolipoma किडनी ट्यूमर मरीजों को जीवन दान दिया है।
डॉक्टर यशश्वी सिंह ने बताया कि BHU के यूरोलॉजी विभाग की टीम के अथक प्रयास द्वारा मरीज को एक नई जिंदगी मिली और मरीज एक नई उमंग और आशा के साथ घर लौटी है।
Dr. Yashavi Singh
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