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दिल्लीः  हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा दिनांक 23 जनवरी 2025 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर सुरेंद्र शर्मा की अध्यक्षता एवं चिराग जैन के मंच संचालन में ऐतिहासिक लाल किले कवि सम्मेलन का आयोजन हिंदू महाविद्यालय में किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय उपराज्यपाल विनय सक्सेना थे।  कवि सम्मेलन में अनिल अग्रवंशी, गोविन्द राठी, जगदीश सोलंकी, मनीषा शुक्ला, मंगल नसीम, स्वयम श्रीवास्तव, अनूप मिश्रा तेजस्वी, गौरव शर्मा, पियूष मालवीय, महेश गर्ग बेधड़क, रणजीत चौहान, सीता सागर, कविता किरण, गौरी मिश्रा, बलराम श्रीवास्तव, मासूम गाज़ियाबादी, डॉ विनय विश्वास ने कविता पाठ किया।  उपस्थित रहे. कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन से किया गया.
माननीय उपराज्यपाल ने सभी दर्शकों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा,  इस ऐतिहासिक कवि सम्मेलन में मैथिलीशरण गुप्त, बाबा नागार्जुन, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन, गोपालदास नीरज, सोम ठाकुर एवं शिवमंगल सिंह सुमन जैसे दिग्गज कवियों ने इस कवि सम्मेलन में शामिल होकर इस आयोजन को यादगार बनाया है.
सचिव,  कला संस्कृति भाषा विभाग, दिल्ली सरकार श्री एस. के. जैन ने कवि सम्मेलन की रूप रेखा बताते हुए कहा, इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर युवा कवि सम्मेलन एवं कवियत्री सम्मेलन का आयोजन कर हिंदी अकादमी द्वारा नया प्रयोग किया गया।
 हिंदू महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो अंजू श्रीवास्तव ने कहा, यह मेरे लिए गौरव का विषय है की इस  ऐतिहासिक कवि सम्मेलन का आयोजन हमारे महाविद्यालय में किया जा रहा है।
 मासूम गाजियाबादी  ने अपने शेर  में कहा, तुम्हारी शख्सियत से ये सबक लेंगी नयी नस्ले, वही मंजिल पर पहुंचता है जो अपने पांव चलता है। डूबो देता है कोई अपना नाम तक खानदानों के, किसी के नाम से मशहूर होकर काम चलता है।
 मंगल नसीब में अपने शेरों से वाहवाही लूटी, हर तरफ बवाल है जिंदगी मुहाल है, किस तरह से हो बसर आप कुछ तो बोलिए। मजहबों के नाम पर रंजिशे, अदावते आप कुछ तो  बोलिये।।
 श्री महेश गर्ग बेधड़क ने अपने यहां से कविताओं से सभी दर्शकों को हंसाया।।
 श्री जगदीश सोलंकी ने कहा, दोबारा जन्म लूँगा सीमाओं पे लड़ने को तिरंगे को अपनी जुबान देकर आया हूं।।
 सुश्री  सीता सागर ने अपने गीत में कहा, इन अंधेरों में हो ना जाओ कहीं, आज अपना पता तुम बना लो मुझे। मैं दिए की तरह से जली हूं सदा, तुम दिवाली समझ कर मना लो मुझे।।
 अनूप मिश्रा तेजस्वी ने अपनी कविताओं में ओज की हुंकार भरते हुए कहा, ऐ आज़ के इंसानो इंसान बन के देखो, रोते हुए होठों की मुस्कान बनके देखो, और फरहद और मजनू बने तो क्या बने ए दोस्त अशफाक और बिस्मिल का बलिदान बन के देखो।।
 अनिल अग्रवंशी व गोविंद राठी ने अपनी हास्य कविताओं से सबको गुदगुदाया।।
कविता किरण ने अपने गीत में कहा, हजारों एब है मुझमें नहीं कोई हुनर बेशक, मेरी खामी को तुम खूब में यूं तब्दील कर देना, मेरी हस्ती है एक खारे समंदर सी मेरे मौला तू अपनी रहमतों से इसको मीठी झील कर देना।।
 डॉक्टर विनय विश्वास ने अपनी कविता में कहा, बेकदरों के कौन से कभी कोई मकसद पूरा नहीं हुआ, बंदूक के गले या बम की जुबान से कभी नहीं निकले कोई दुआ।।
 बलराम श्रीवास्तव ने अपनी कविता में कहा, घुला  जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढूलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे।  मनीषा शुक्ला ने आपने गीतों में कहा, किसी मदहोश सुबह को अगर सब याद आ जाए, ठिठकाती धूप का मौसम उसी के बाद आ जाए।।
 स्वयं श्रीवास्तव ने कहा, एक शख्श क्या गया की पूरा काफिला गया। तूफ़ाँ था तेज पेड़ को जड़ से हिला गया।  गौरव शर्मा द्वारा हंसी से भरपूर कविताएं सुनाई गई।
 पीयूष मालवीय ने नारी शक्ति पर कविता करते हुए कहा, आप जिसे धरती पर जीवन ना दे सके है देखिये उन्होंने आसमान को उठा लिया, अरे नारी को ना समझो बेचारी आज जिसने की बाजू पर दुनिया जहां को उठा लिया।  रणजीत चौहान ने अपने शेरों में कहा, वैसे नजर हटी की नजारा चला गया, पर इसमें एक ख्वाब हमारा चला गया।।
 गौरी मिश्रा ने देश भक्ति की कविता सुनाते हुए कहा , जो लगी प्यास तो उसे प्यास को गंगा कर दे, दुश्मनों के दिलों में ख्वाब से दंगा कर दे, ए मेरे प्यारे वतन जान लुटा दूं तुझ पर, मेरे कान्हा को मेरे आंचल को  तिरंगा करते हैं
अंत में हिंदी अकादमी के उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा ने सभी उपस्थित दर्शकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, यह गण का तंत्र है और और इस गणतंत्र में अलग-अलग क्षेत्र से आए कवियों से आपने अपनी पसंदीदा कविताओं को सुना इसके लिए आप सबका आभार। हिन्दू कालेज की तरफ  से हिंदी  विभाग के प्रभारी प्रो बिमलेन्दु तीर्थंकर ने आभार व्यक्त किया।  खचाखच भरे सभागार में श्रोताओं ने  देर रात तक कविताओं का आनंद लिया।
रिपोर्ट –  प्रो बिमलेन्दु तीर्थंकर 
प्रभारी हिंदी विभाग 
हिन्दू कालेज 
दिल्ली

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