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प्रयागराजः वसंत पंचमी पर वसंत के अग्रदूत महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के जन्मदिन पर इलाहाबाद विश्विद्यालय परिसर में स्थित निराला प्रतिमा पर सुबह- सवेरे साहित्य प्रेमियों ने माल्यार्पण व पुष्पार्पण कर निराला को याद किया।
वरिष्ठ कवि,आलोचक प्रो. राजेंद्र कुमार ने प्रेम, वसंत और निराला के संबंध में अपनी बात रखते हुए कहा कि निराला अपनी कविताओं में न केवल उन्मुक्त दिखते हैं बल्कि प्रकृति के रूप में उन्होंने वसंत को चुना और वसंत पंचमी को अपना जन्मदिन स्वीकार किया।
निराला की कविता ‘स्नेह निर्झर बह गया’ की शुरुआती, बीच और आख़िरी कवितांश के मार्फत उन्होंने निराला के कवि मन और कवि तकनीकी की तरफ़ भी संकेत किया|उन्होंने यह भी कहा कि छायावाद का प्रेम पश्चिम का अनुकरण नहीं अपितु स्वतः स्फूर्ति भाव है|महज़ शरीर का आकर्षण प्रेम नहीं होता और प्रेम में ‘मैं’ का नहीं बल्कि हम का भाव होना ज़रूरी है।
विषय प्रवर्तन करते हुए आलोचक डॉ. कुमार वीरेंद्र ने कहा महाप्राण निराला वसंत के अग्रदूत और नवता के आग्रही हैं। हिंदी विभाग के डॉ. आशुतोष पार्थेश्वर ने निराला पर अपना बात रखते हुए धन्यवाद ज्ञापन दिया।
इस अवसर पर इलाहाबाद विश्विद्यालय के लाइब्रेरियन डॉ . बी.के. सिंह, रज्जू भैया विश्विद्यालय के हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष सिंह, मैरी लूकस के हिंदी शिक्षक डॉ. धारवेंद्र त्रिपाठी, हिंदी विभाग इविवि से डॉ. अमृता, डा. दीनानाथ मौर्य, डॉ. अनिल यादव, अवनीश यादव, बालकरन, चंद्र शेखर कुशवाह, केतन यादव, परमेश्वर प्रसाद,आशुतोष त्रिपाठी, धर्मचंद समेत बड़ी संख्या में शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद रहे।

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