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प्रयागराजः प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. प्रवीण कुमार द्विवेदी के निर्देशकत्व में विभागीय शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने प्रयागराज के पौराणिक क्षेत्र तरहार में महर्षि वाल्मीकि से सम्बन्धित स्थलों का शैक्षणिक भ्रमण किया।
इस हेतु सर्वप्रथम विश्वविद्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डीहा के पास लकटहा घाट पर अवस्थित वाल्मीकि की प्रतिमा का दर्शन किया गया और उनसे संबंधित पौराणिक तथ्यों का अन्वेषण किया गया। वही पूछताछ में पता चला कि पनासा स्थित ज्वालामुखी मंदिर में भी वाल्मीकि ऋषि का आश्रम था, जिसे उत्तर प्रदेश शासन द्वारा स्वीकृत किया गया था।
उस स्थान का भी भ्रमण किया गया। वहाँ तमसा नदी के तट पर महर्षि वाल्मीकि का आश्रम तो नहीं था किंतु वहां के ग्रामीणों ने कई प्रमाणों के आधार पर यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि महर्षि वाल्मीकि का आश्रम वहीं था।
कुछ अन्य ग्रामीणों ने इन दोनों स्थानों के मध्य वाल्मीकि आश्रम के होने का प्रमाण बताया। किंतु पर्णास ऋषि के आश्रम के पास वाल्मीकि आश्रम का होना क्रौंच वध की घटना का होना, रामायण के कुछ प्रसंगों की रचना होने का प्रमाण ग्रामीणों के अनुसार प्राप्त हुआ। इस शैक्षणिक यात्रा में नितिन त्रिपाठी, अनंत जी मिश्र, कमलेंद्र, जितेंद्र, देवेंद्र, संदीप, उत्कर्ष एवं विराज शुक्ल, अंजना तिवारी आदि विद्यार्थियों प्रतिभाग किया।

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