आगरा: डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल पार्क कैंपस स्थित जुबली हॉल में आपदा प्रबंधन विषय पर पांच दिवसीय फैकल्टी डवलपमेंट कार्यक्रम बुधवार को प्रारंभ हो गया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली के द्वारा दीनदयाल उपाध्याय इंस्टीट्यटू ऑफ रूरल डवलपमेंट संस्थान के साथ आपदा प्रबंधन पर हुए इस फैकल्टी डवलपमेंट कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि एडिशनल कमिशनर पुलिस केशव चैधरी ने की। अध्यक्षता विश्वविद्यालय कीकुलपति प्रो. आशु रानी ने की। प्रतिकुलपति प्रो. अजय कुमार तनेजा व लाइब्रेरी साइंस के विभाग प्रमुख प्रो. यू.सी. शर्मा, संस्था निदेशक डाॅ. मनोज राठौर मंचासीन थे। अच्छी संख्या में प्रतिभाग शामिल हुए।
उद्घाटन पर पंडित देवाशीष गांगुली के निर्देशन में सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई।
विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. आशु रानी का कहना था कि यह खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय के संयोजन में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम हो रहा है। उन्होंने प्रतिभाग कर रहे विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षकों से पूरे मनोयोग से इसमें बताई जानकारी सीखने के लिए प्रेरित किया। उन्होने देश-दुनिया की अनके मानवीय व प्राकृतिक आपदाओं का उल्लेख कर उनसे सीख लेकर भविष्य को बेहतर बनाने का आह्वान किया। उनका कहना था कि आज जहां ग्लोबल वार्मिग और क्लाइमेट चेंज विश्व के लिए एक बडा खतरा है, इनका सामना करने में आपदा प्रबंधन का अध्यन जरूरी है। यह एक ऐसा विषय है जिसमें अपनी प्रगति सुनिश्चित
करने के साथ देश व दुनिया का भला कर सकते हैं।
मुख्य अतिथि एडिशनल कमिशनर पुलिस केशव चैधरी ने आपदा प्रबन्धन पर बताया कि आज इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। अनेकों जिलों में तैनाती के दौरान उन्होंने अपने अनुभव साझा किए कि आपदा प्रबंधन के लिए व्यवहारिक ज्ञान आवश्यक है। इसलिए यहां प्राप्त ज्ञान को व्यवहारिक रूप में प्रयोग कर अनुभव में लाना आवश्यक है। मैं आशा करता हूं कि इस प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को काॅलेजों के आचार्यगण अपने छात्रों के माध्यम से आम लोगों तक
पहुंचाएगे। प्रतिकुलपति प्रो. अजय तनेजा ने आपदा प्रबंधन की उपयोगिता की जानकारी दी कि बदलते समय और परिस्थितियो में यह विषय और अधिक उपयोगी हो गया है। आपदा प्रबंधन कोई बडी घटना घटित होने के बाद उससे राहत प्राप्त करने तक सीमित नहीं, बल्कि जोखिमो को घटित होने से बचाने के उपाय करना भी है। संस्थान निदेशक व कार्यक्रम संयोजक डाॅ. मनोज राठौर ने अतिथियों व प्रशिक्षार्थियों का आभार जताया।
प्रथम दिवस के तकनीकि सत्र में रिसोर्स पर्सन प्रो. डाा. सुषमा गुलेरिया, प्रो. वी.के. शर्मा, एवं प्रो. श्यामली सिंह ने और
समन्यवक के रूप में नम्रता तोमर एवं डा वर्षा गोयल ने भाग लिया। प्रो. शुष्मा गुलेरिया, प्रो. वी. के शर्मा, और प्रो. श्यामली सिंह ने व्याख्यान दिये और उपस्थित प्रशिक्षार्थियों की जिज्ञासाओं के निराकरण कर उनके प्रश्नो के उत्तर दिए। राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान नई दिल्ली की असिस्टेंट प्रो. डाॅ शुष्मा गुलेरिया ने देश में संस्थागत ढांचा विकसित किए जाने के संबंध में जानकारी प्रदान दी कि राष्ट्रीय आपदा अधिनियम 2005 देश, प्रदेश एवं जिला स्तर तक जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण का गठन किया गया है। उन्होने आपदा के जोखिमों को कम करने के लिए विकास से जोडने पर जोर दिया। प्रो. वी. के. शर्मा ने
विश्वविद्यालयों के माध्यम से आपदा प्रबन्धन के पाठ्यक्रम को प्रारंभ करने पर जोर दिया। उन्होने आपदा के कारणों बताए कि प्रमुख कारक गरीबी, जनसंख्या वृद्धि, बढ़ता शहरीकरण, जागरूकता की कमी एवं खराब प्रबन्धन है। प्रो. श्यामली सिंह ने जलवायु परिवर्तन साइंस बिहाइन्ड स्टोरीज पर व्यख्यान दिया। उन्होने क्लाइमेट चेंज को एक जटिल प्रक्रिया के रूप में बडी तेजी के साथ
होने वाली घटना के रूप में वर्णित किया। ग्लोबल वार्मिग को क्लाइमेट चेंज के एक घटक के रूप में वर्णित करते हुए उसके प्रभाव व उन्हे नियन्त्रित करने की जानकारी दी। ग्रीन हाउस गैसेज की उपयोगिता और वातावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को समझाया।
प्रो. एस.पी. सिंह, प्रो. विन्नी जैन, ब्रिगेडियर वी.के. दत्ता, प्रो. यू.एन.शुक्ला, प्रो. लवकुश मिश्रा, प्रो. रिषी रमन सिंह, डा.
आयुश मंगल, डाॅ. आभा सिंह, आयुष शुक्ला, जस्टिन, धीरज, अर्चिता हर्षाना के साथ सफल संचालन शोधार्थी नम्रता तोमर ने किया।
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