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दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन

आज दिनांक ३० सितंबर को दृश्य कला संकाय के सभागार में “ध्वनि एवं कला का अन्तर्सम्बन्ध” विषय पर दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आरम्भ हुआ । ध्वनि एवं कला के अन्तर्सम्बन्ध पर विस्तार से प्रकाश डालने एवं व्यावहारिक रूप से विद्यार्थियों को अनुभव के लिए मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में इसराइल के लेविन्स्की स्थित, किंगगेट इन्स्टीट्यूट के प्रख्यात कला विशेषज्ञ डॉ ईगल माईर्लेन्बाम को आमंत्रित किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन संकाय प्रमुख डॉ उत्तमा दीक्षित के द्वारा किया गया | सत्र का शुभारम्भ कुलगीत के पश्चात् भारत कला भवन के कलाविद् चित्रकार डॉ राधाकृष्ण गणेशन् के गीत एवं वैदिक ऋचाओं के अविभूत करने वाले गायन से हुआ, जिसमें उन्होंने सुमधुर ध्वनि की रागबद्ध प्रस्तुति कर एवं कलात्मक सौन्दर्य के सामन्जस्य की भूमिका रखी। इसी क्रम में मुख्य अतिथि विशेषज्ञ का स्वागत करते हुए संकाय प्रमुख एवं कार्यशाला समन्वयक डॉ उत्तमा दीक्षित ने छात्रों को ध्वनि एवं कला के रोमांचक अंतर सम्बन्धो की कलात्मक व्याख्या सैकड़ो श्रोताओ के सम्मुख किया |
उक्त विषय से अवगत कराया और महत्ता बताई। मुख्य वक्ता का स्वागत सम्मान डॉ उत्तमा दीक्षित एवं डॉ गणेशन् दोनों ने पारम्परिक रीति से उत्तरीय ओढ़ाकर किया। इस सम्पूर्ण विषय के प्रारूप संकाय की चित्रकला प्रवक्ता व छात्र सलाहकार एवं अध्यक्ष श्री सुरेश नायर ने तैयार किया, व विषय प्रवर्तन करते हुए छात्रों को इसमें सहभागिता करे हेतु प्रेरित किया।
मुख्य वक्ता ने विषय की भूमिका रखते हुए कहा कि कला को दर्शकों के साथ ध्वनि संगीत का लयात्मक परिवेश ही प्रत्यक्ष जोड़ सकता है। यानि दोनो के अन्तर्सम्बन्धों को गहनता से समझना होगा। इस सम्बन्ध में अपने विविध अनुभवों को उन्होंने कला विद्यार्थियों के साथ साझा किया। ललित कलाओं के अन्तर्सम्बधो पर डॉ आशीष कुमार गुप्ता एवं अन्य वक्ताओ ने अपने विचार रखे।‌ इस कार्यशाला में लगभग 100 छात्र/छात्राएं प्रतिभाग कर रहे है | कार्यक्रम का संचालन चित्रकला प्रवक्ता एवं कार्यशाला के अध्यक्ष डॉ सुरेश जांगिड़ ने किया। इस अवसर पर संकाय के डॉ शांति स्वरुप सिन्हा, डॉ महेश सिंह, डॉ राजीव मंडल, श्री विजय भगत, श्री साहेब राम टुडू तथा अनेक शोधार्थी उपस्थित थे।

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