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संपादकीय टिप्पणीः माओ के नाम की माला जपने वाले बेशर्म कम्युनिस्टों नए जमाने के इन वर्करों की ओर आखिर तुम्हारा ध्यान कब जाएगा। NDR कैंप आधा सामंत और दलाल-देशभक्त पूँजीपति खोजने में लगा हुआ है, जो कि कब के विलुप्त हो चुके हैं। SR खेमा एनजीओ वालों-पहचानपंथियों के साथ गलबहियाँ करते हुए सभा-सेमिनार आयोजित कर रहा है। जमीन पर मजदूरों की गोलबंदी करने का काम जन संगठनों के भरोसे छोड़ दिया गया है, जिनकी कम्युनिस्ट पार्टी के संबंध में कोई समझ नहीं है। हालात तभी बदलेंगे जब पूँजीवाद के खिलाफ समग्रता में मजदूर वर्ग उठ खड़ा होगा और उत्पादन का संगठन मुनाफे की बजाय समाज की जरूरतों के लिए किया जाए।
और यह जल्दी ही होगा, बस बिखरी हुई मनोगत ताकतें मजदूर वर्ग के बीच धँस जाएं। 

वाराणसीः अमेज़न इंडिया वर्कर यूनियन (AIWU) और हाकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में अस्सी घाट पर गिग वर्करों की प्रतिरोध सभा आयोजित हुई तथा जिलाधिकारी वाराणसी को ज्ञापन सौंपा गया।

सभा का संचालन कार्यक्रम संयोजक हरिश्चंद्र बिंद ने किया और सभा के उद्देश्य के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि,’आज पुरी दुनिया में ई-कामर्स कंपनिया तेजी से अपना विस्तार कर रही है,लोग खरीददारी करने के लिए आनलाइन प्लेटफार्म पर ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं , छोटी-छोटी चीजों के लिए भी आनलाइन आर्डर कर रहे हैं, बढ़ती बेरोजगारी के कारण इन प्लेटफार्म कंपनियों में डिलिवरी कामगारों की संख्या भी तेजी बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार के पास इन आनलाइन, एप्प आधारित कंपनियों के लिए कोई योजना नहीं है और इसमें काम करने वाले वर्करों के लिए कोई कानून भी नहीं।

ई-कॉमर्स, प्लेटफार्म कंपनी अपने मुनाफे के लिए नियम बनाकर काम करती है, कामगारों के हित से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

वक्ताओं के क्रम में बात रखते हुए गुमटी व्यवसाई कल्याण समिति वाराणसी के अध्यक्ष चिंतामणि सेठ ने कहा कि,यह जीतने भी डिलिवरी कामगार हैं उनमें से ज्यादातर अति पिछड़े समाजों के बेरोजगार नौजवान हैं, उनमें स्ट्रीट वेंडरों के परिवार से भी बहुत संख्या में डिलिवरी का काम कर रहें हैं।

जिस तरह से नगर-निगम और पुलिस प्रशासन केंद्रीय कानूनों को अनदेखी करके मनमानी तरीके से छोटे पूंजी के दुकानदारों को उजाड़ने का काम कर रहें हैं उससे सरकार की नीति साफ-साफ समझ में आ रही है।

जब तक सड़क किनारे सस्ता खाने-पीने और अन्य ज़रूरत का सामान मिलेगा तब तक बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और मालो का सम्राज्य स्थापित नहीं हो पायेगा और न ही बड़ी-बड़ी डिलिवरी कंपनियों को लूटने और गुलाम की तरह काम करवाने की आजादी मिल पायेगी।
समाजवादी जन परिषद के तरफ से चौधरी राजेन्द्र जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि,देश में जिस तरह से पूंजीपतियों को संरक्षण मिल रहा है यह कोई नई बात नहीं बल्कि काफी पहले से यह प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह बिल्कुल सही है कि आज के दौर में वर्तमान सरकार पूंजीपतियों का खुल कर समर्थन कर रही है और इसके लिए किसी भी हद तक जाने से भी नहीं चुक रहीं हैं।

उन्होंने कहा कि इस अन्याय और शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ हमें एकजुट होकर लड़ना होगा। वर्तमान व्यवस्था को देखकर हम यह कह सकते हैं कि यह आजादी की दूसरी लड़ाई होगी।

हाकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी वाराणसी के राजघाट मार्केट प्रधान शंकर ने बताया कि,हम वर्षों से राजघाट पर फूल-माला बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलातें आ रहें थे लेकिन पिछले साल नगर-निगम और स्मार्ट सीटी ने घाट का ठेका कर दिया है और हमें बिना किसी संवाद के इधर-उधर भटकने को छोड़ दिया,जब हम शिकायत करते हैं तो कहा जाता है कि कहीं और जाओ दुकान लगाओ, बिना किसी कानून का पालन करें हमें उजाड़कर पैसे वाले लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए सब किया जा रहा है, हम लोग सोचे थे कि स्मार्ट सीटी में तो और बढ़िया सुविधाएं मिलेंगी लेकिन सब उल्टा हो रहा है।

अमेज़न कंपनी में डिलिवरी का काम करने वाले रवि ने बताया कि, हमारी एरिया के जितने भी डिलिवरी कामगार हैं सब लोग सुबह 7 बजे तक हाइवे पर पहुंच जाते हैं, वहीं कंपनी का ट्रक आता है,जहां से हम पैकेट लेते हैं, उसके बाद घर चले आते हैं फिर डिलिवरी करने के लिए निकलते हैं और आखरी पैकेट डिलिवरी करने तक हम काम करते हैं घर वापस आने में 8-9 से ज्यादा से जाते हैं,यह हमारा रोज की दिनचर्या होती है।
*सामाजिक कार्यकर्ता डा प्रदीप ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, जब तक लोग एकजुट होकर एक समग्र रूप से मांग नहीं करेंगे तब तक शोषणकारी व्यवस्था बनी रहेगी।

हरिश्चंद्र बिंद
9555744251

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