अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने 5 से 7 फरवरी, 2025 तक एम्स भोपाल में आयोजित सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस इंडिया (सोपिकॉन-2025) के बाइसवें वार्षिक सम्मेलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इस के कार्यकर्मों पर विशेष प्रभाव डाला। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने प्री-कॉन्फ्रेंस कार्यशालाओं, वैज्ञानिक सत्रों और शैक्षणिक प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे फार्माकोविजिलेंस और दवा सुरक्षा अनुसंधान में एएमयू की प्रतिष्ठा और मजबूत हुई।

एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सैयद जियाउर रहमान ने सोसाइटी ऑफ फार्माकोविजिलेंस इंडिया (सोपी) के सचिव के रूप में सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने वैज्ञानिक कार्यवाही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, कई सत्रों की अध्यक्षता की, जिसमें स्वीडन के उप्साला मॉनिटरिंग सेंटर के सीईओ डॉ. पीटर हेल्मस्ट्रॉम का व्याख्यान भी शामिल था, जिसका विषय “एआई युग में दवाओं और टीकों का सुरक्षित उपयोगरू स्वचालित पीवी दुनिया में मानवीय अंतर्दृष्टि” था।

उन्होंने “एएमसी एवं एमडीएमसी के अनुभव – जेएनएमसी में फार्माकोविजिलेंस गतिविधियाँ” शीर्षक से एक व्याख्यान भी प्रस्तुत किया जिसमें एएमयू में फार्माकोविजिलेंस पहलों के बारे में जानकारी साझा की गई।

सम्मेलन में एएमयू के जूनियर रेजीडेंट और शोध विद्वानों ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं। डॉ. आदित्य विक्रम सिंह ने राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस क्विज में तीसरा स्थान हासिल किया, जबकि डॉ. अभिनव तिवारी को “अल्जाइमर रोग में एंटीहाइपरटेंसिव एजेंटों का मूल्यांकनः टेल्मिसर्टन और निफेडिपिन पर प्रीक्लिनिकल अध्ययन” विषय पर उनकी मौखिक प्रस्तुति के लिए पुरस्कार मिला।

इसके अतिरिक्त, एएमयू के पीएचडी शोध छात्र जहांगीर आलम को ‘टर्शियरी केयर हॉस्पिटल में पेसमेकर प्रत्यारोपण के बाद प्रतिकूल घटनाओं का होनाः एक मैटेरियोविजिलेंस परिप्रेक्ष्य’ विषय पर उनके पोस्टर प्रेजेंटेशन के लिए प्रतिष्ठित ‘एसओपीआई उप्साला पुरस्कार-2025’ से सम्मानित किया गया। प्रो. रहमान के मार्गदर्शन में किए गए उनके शोध को व्यापक रूप से सराहा गया।

डॉ. प्रतीक गणवीर, डॉ. शारिक आजमी, डॉ. अमृता कुमारी पांडे, डॉ. पुनीत पल्लीवाल और डॉ. स्वाति जी सहित अन्य एएमयू प्रतिभागियों ने भी फार्माकोविजिलेंस क्विज और अकादमिक चर्चाओं में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया।
सम्मेलन में अग्रणी शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और फार्माकोविजिलेंस और मैटेरियोविजिलेंस के विशेषज्ञों ने दवा सुरक्षा में प्रगति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका और चिकित्सा उपकरण निगरानी में वास्तविक चुनौतियों पर चर्चा की। एएमयू की सक्रिय भागीदारी इसकी अकादमिक और अनुसंधान उत्कृष्टता को उजागर करती है, जो फार्माकोविजिलेंस और स्वास्थ्य सेवा सुरक्षा में इसकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को मजबूत करती है।
———————–
एएमयू के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा छात्रों तथा शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान का औद्योगिक दौरा आयोजित
अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा सतत विकास के लिए सौर और पवन ऊर्जा प्रणालियों में हालिया प्रगति पर दो सप्ताह के अल्पकालिक औद्योगिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई), गुरुग्राम का औद्योगिक दौरा आयोजित किया गया। इस पहल से छात्रों और शिक्षकों सहित कुल 65 प्रतिभागियों को लाभ हुआ।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शीराज किरमानी, प्रो. रिजवान खान और डॉ. आदिल सरवर प्रतिभागियों के साथ थे।
छात्र दल का स्वागत करते हुए, एनआईएसई के महानिदेशक प्रो. मोहम्मद रिहान ने कहा कि यह जरूरी है कि शिक्षा और उद्योग इनोवेटिव और टिकाऊ ऊर्जा समाधान विकसित करने के लिए मिलकर काम करें। हम एएमयू के छात्रों और शिक्षकों की मेजबानी करके प्रसन्न हैं और आशा करते हैं कि यह दौरा उन्हें अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा।
इस यात्रा ने छात्रों और शोधकर्ताओं को व्यावहारिक शिक्षण का अनुभव प्रदान किया, जिससे उन्हें उद्योग विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने और अत्याधुनिक सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का पता लगाने का मौका मिला। प्रतिभागियों को विभिन्न सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणालियों, सौर तापीय अनुप्रयोगों और ऊर्जा भंडारण समाधानों का अध्ययन करने का अवसर मिला।
एनआईएसई के विशेषज्ञों ने सौर प्रौद्योगिकी में प्रगति, नवीकरणीय ऊर्जा नीतियों और भारत में सतत ऊर्जा विकास के लिए भविष्य की रूपरेखा पर जानकारीपूर्ण सत्र आयोजित किए। इस यात्रा ने अकादमिक शिक्षा और व्यावहारिक उद्योग प्रदर्शन के बीच की खाई को पाटने में मदद की, जिससे प्रतिभागियों को वास्तविक दुनिया के ऊर्जा समाधानों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिली।
एएमयू शिक्षकों ने प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी के लिए एनआईएसई के प्रति आभार व्यक्त किया और सतत ऊर्जा विकास के लिए उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई।
—————————
प्रो. मोहम्मद हबीबुल्लाह एएमयू के धर्मशास्त्र संकाय के डीन नियुक्त
अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सुन्नी धर्मशास्त्र विभाग के प्रो. मोहम्मद हबीबुल्लाह को 15 फरवरी, 2025 से प्रभावी दो साल के कार्यकाल के लिए धर्मशास्त्र संकाय का डीन नियुक्त किया है।
प्रो. हबीबुल्लाह 32 वर्षों से अधिक समय से शिक्षण और अनुसंधान में लगे हैं और उन्होंने इस्लामी धर्मशास्त्रीय अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने दो पुस्तकें लिखी हैं और प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कई शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 2002 में धर्मशास्त्र संकाय की पत्रिका, दरासात-ए-दिनियह के संपादक के रूप में कार्य किया।
प्रो. हबीबुल्लाह ने पहले भी कई प्रमुख प्रशासनिक पदों पर कार्य किया है, जिसमें 2014 से 2016 तक नाजिम-ए-दिनियात सुन्नी के रूप में उनकी सेवाएं शामिल हैं। वह वर्तमान में सुन्नी धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष भी हैं।
———————
एएमयू के फारसी शोध संस्थान द्वारा फारसी भाषा और संस्कृति में महिलाओं के योगदान पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 19-20 फरवरी को
अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के फारसी शोध संस्थान द्वारा 19-20 फरवरी, 2025 को ‘फारसी भाषा, साहित्य और भारत की समग्र संस्कृति में महिलाओं के योगदान’ पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी का उद्देश्य विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में फारसी साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपराओं को आकार देने में महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का पता लगाना और उसे उजागर करना है। संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र 19 फरवरी, 2025 को प्रातः 11.15 बजे कला संकाय लाउंज में होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून करेंगी, जबकि सेमिनार का उद्घाटन ईरानी संसद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हद्दाद आदिल करेंगे। मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति प्रो. ऐनुल हसन इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे और ईरान कल्चर हाउस, नई दिल्ली के सांस्कृतिक परामर्शदाता मानद अतिथि होंगे।
संस्थान के निदेशक प्रो. मोहम्मद उस्मान गनी ने बताया कि इस शैक्षणिक कार्यक्रम में दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान, शोधकर्ता और साहित्यिक विशेषज्ञ फारसी साहित्यिक इतिहास में महिलाओं के योगदान और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर उनके प्रभाव पर चर्चा करने के लिए एक साथ जमा होंगे।
उन्होंने कहा कि इच्छुक प्रतिभागी अधिक जानकारी के लिए फारसी शोध संस्थान से संपर्क कर सकते हैं।
———————-
एएमयू की डॉ. मोहसिना अहमद ने अंतर्राष्ट्रीय रसायन विज्ञान सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुति का पुरस्कार जीता
अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की डॉ. मोहसिना अहमद को मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के विज्ञान संकाय के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा ‘सतत विकास के लिए रासायनिक विज्ञान में नवाचार’ विषय पर आयोजित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुति का पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
डॉ. अहमद ने एक मौखिक सत्र में अपना पुरस्कृत शोध पत्र प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था ‘चुंबकीय कटहल का छिलकाः दूषित जल से धनायनिक रंग हटाने के लिए एक स्थायी और कुशल अधिशोषक’ उनके इस अभूतपूर्व अध्ययन में प्रदूषित जल से खतरनाक रंगों को हटाने के लिए लागत प्रभावी, पर्यावरण अनुकूल और अत्यधिक कुशल नैनो प्रौद्योगिकी आधारित समाधान प्रस्तुत किया गया है, जो महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करता है।
पर्यावरण रसायन विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित शोधकर्ता, डॉ. अहमद ने प्रोफेसर अबू नासर की देखरेख में अपनी पीएचडी पूरी की, जिन्होंने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी।
————————–
एएमयू के यूनानी चिकित्सा संकाय द्वारा पोस्ट मैनोपफै़ज के बाद की समस्याओं पर 24 फरवरी को राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी चिकित्सा संकाय के निस्वां व कबालत विभाग के तत्वाधान में ‘रजोनिवृत्ति के बाद की समस्याओं’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का विषय ‘पोस्ट मैनोपफै़ज का प्रबंधनः समग्र देखभाल दृष्टिकोण और प्रबंधन में हालिया प्रगति’ है।
विभाग की अध्यक्ष और आयोजन सचिव प्रोफेसर सुबूही मुस्तफा ने बताया कि 24 फरवरी, 2025 को होने वाली कार्यशाला का उद्देश्य सहयोग को बढ़ावा देना, ज्ञान के अंतर को पाटना और पोस्ट मैनोपफै़ज महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा रणनीति विकसित करना है। यह विशेषज्ञों के लिए पोस्ट मैनोपफै़ज के प्रबंधन के लिए समग्र और उन्नत दृष्टिकोणों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों दृष्टिकोणों को एकीकृत किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम आयुष और आधुनिक चिकित्सा के शिक्षकों, शोधकर्ताओं, एमडी एवं एमएस छात्रों, प्रशिक्षुओं, चिकित्सा अधिकारियों और सामान्य चिकित्सकों के लिए खुला है। इच्छुक व्यक्ति निम्नलिखित गूगल फॉर्म लिंक के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।
—————————-
एएमयू के गृह विज्ञान विभाग द्वारा 22 फरवरी को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
अलीगढ़ 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग द्वारा 22 फरवरी, 2025 को ‘समावेशी विकास और विकसित भारत के लिए लैंगिक मुख्यधारा’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी हाइब्रिड मोड में आयोजित की जाएगी, जिसमें व्यक्तिगत और ऑनलाइन दोनों तरह की भागीदारी होगी।
संगोष्ठी की संयोजक और विभाग की अध्यक्ष प्रो. सबा खान ने बताया कि एएमयू की कुलपति प्रो. नईमा खातून सेमिनार की मुख्य संरक्षक हैं, जबकि कृषि विज्ञान संकाय के डीन प्रो. अकरम अहमद खान संरक्षक हैं।
एएमयू रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) और एएमयू वित्त अधिकारी प्रो. मोहम्मद मोहसिन खान उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि होंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी इरविन कॉलेज में विकास संचार एवं विस्तार गृह विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. सरिता आनंद मुख्य भाषण देंगी, जिसमें लैंगिक मुख्यधाराकरण और सतत विकास के बारे में बहुमूल्य जानकारी दी जाएगी।
प्रो. सबा खान ने इस बात पर जोर दिया कि इस सेमिनार का उद्देश्य समावेशी विकास, लैंगिक समानता और भारत के विकसित भारत बनने के दृष्टिकोण के बीच महत्वपूर्ण अंतर को तलाशना है। कार्यक्रम में समाज के सभी क्षेत्रों में सतत विकास, सामाजिक न्याय और समान अवसरों को बढ़ावा देने में लैंगिक मुख्यधाराकरण की भूमिका पर प्रकाश डाला जायेगा। सेमिनार में भाग लेने के इच्छुक शिक्षक, उद्योग पेशेवर, शोध छात्र और स्नातकोत्तर छात्र 15 फरवरी, 2025 तक निम्नलिखित लिंक पर ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैंhttps://forms.gle/dQP8qJ4BBAzyU8C49
——————
एएमयू के शिक्षक ने ऑस्ट्रेलिया में एसीईआरई -2025 में शोध पत्र प्रस्तुत किया
अलीगढ़, 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आवासीय कोचिंग अकादमी के शिक्षक डॉ. सब्लू खान ने 10-14 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में स्थित डीकिन विश्वविद्यालय के डीकिन डाउनटाउन में आयोजित ऑस्ट्रेलियाई उद्यमिता अनुसंधान विनिमय सम्मेलन (एसीईआरई-2025) में शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसका विषय ‘सतत उद्यमिता के लिए उभरते रास्तेः विश्वविद्यालय के छात्रों के इरादों पर पर्यावरण जागरूकता, शिक्षा और आत्म-प्रभावकारिता के प्रभाव’ था।
डॉ. खान ने छात्रों के सतत उद्यमशीलता के इरादों को आकार देने में पर्यावरण जागरूकता और आत्म-प्रभावकारिता की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनके निष्कर्ष माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा में स्थिरता-केंद्रित मॉड्यूल को एकीकृत करने के लिए नीतिगत उपायों का सुझाव प्रदान करते हैं जो स्थिरता-उन्मुख उद्यमिता को बढ़ावा देते हैं।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थान विशेष कार्यक्रम विकसित करके और छात्र-नेतृत्व वाले उद्यमों का समर्थन करने के लिए बिजनेस इनक्यूबेटरों के साथ सहयोग करके इस दृष्टिकोण को प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अलावा, डॉ. खान ने एजुकेटर्स फोरम में भाग लिया, जहाँ एक पैनल चर्चा में ‘एआई युग में सीखने के परिणामों को मापना’ और एआई-संचालित कॉर्पोरेट दुनिया में उद्यमिता के लिए छात्रों को तैयार करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई।
————————-
एएमयू के धर्मशास्त्र संकाय में ब्राउशर का विमोचन
अलीगढ़, 13 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र संकाय में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान संकाय के ब्राउशर का विमोचन किया गया। इस अवसर पर संकाय के डीन, प्रोफेसर तौकीर आलम फलाही ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि इस ब्राउशर में पिछले चार वर्षों में संकाय द्वारा की गई शैक्षणिक और शोध संबंधी उपलब्धियों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। इस ब्राउशर का शीर्षक ‘धर्मशास्त्र संकायः परंपरा से नवाचार तक’ रखा गया है, जिसमें पाठ्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भागीदारी की विस्तृत जानकारी दी गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि संकाय का यह ज्ञानवर्धक सफर आगे भी जारी रहेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर हबीब रजा ने धर्मशास्त्र संकाय और प्रोफेसर तौकीर आलम फलाही के साथ अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने इस संकाय से बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने कहा कि संकाय की सफलता में प्रोफेसर तौकीर आलम का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी किताबें, शोध पत्र और विदेशों में दिए गए व्याख्यान संकाय और विश्वविद्यालय की उन्नति में आधारशिला की तरह हैं।
एएमयू के प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अली ने कहा कि इस ब्राउशर में संकाय की शैक्षणिक और शोधगत प्रगति को बहुत व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने धर्मशास्त्र संकाय को अन्य संकायों से अलग और विशेष बताते हुए कहा कि यह संकाय न केवल धार्मिक शोध कर रहा है, बल्कि छात्रों के नैतिक और चारित्रिक विकास में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, एएमयू रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान ने कहा कि इस ब्राउशर से यह स्पष्ट होता है कि संकाय आधुनिक तरीकों का उपयोग करके समकालीन समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि संकाय के सभी शिक्षक मिलकर इसकी प्रगति के लिए कार्य कर रहे हैं, और डीन प्रोफेसर तौकीर आलम फलाही इस प्रयास के लिए बधाई के पात्र हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह संकाय पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा का संगम है, जहां मदरसों के छात्र नई तकनीकों और आधुनिक ज्ञान से परिचित होते हैं, जबकि आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र यहां नैतिकता और चरित्र निर्माण का पाठ सीखते हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मोहम्मद आसिम ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रेहान अख्तर ने किया। इस अवसर पर धर्मशास्त्र संकाय के शिक्षकों और छात्रों के अलावा विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक और छात्र-छात्राएं भी उपस्थित रहे।