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अनुराधा यादव जो उम्दा शब्द-शिल्पी भी हैं।

प्रकृति सौंदर्य ईश्वर की बेहतरीन, अद्भुत, एवं विलक्षण कला का समूह है। प्रकृति का पल-पल परिवर्तित रूप सुंदर, आकर्षक और मनोरम होता है, मैने देखा है कि शाम के समय में समुद्र तट पर बहती हुई पानी के लहरें बदलता हुआ मनोहर रूप आश्चर्यचकित कर देता है, सूर्य के स्पर्श से समुद्र जल का रंग अरुणाभ हो जाता है, मानो जल- राशि पर तरल-स्वर्ण गिरकर बिखर गया हो। सूर्य के समाधि लेने पर जल रक्तवर्ण हो जाता है, तो लगता है जैसे गेरू पिघल कर बह रहा हो, कुछ क्षण बीतने पर बैंगनी रंग में बदल जाता है और अंत में जल काला हो जाता है। क्षण-क्षण बदलती प्रकृति के रूप को आँखें तो देख पाती हैं, लेकिन मस्तिक उतना तेजी से उन रंगों को पकड़ नहीं पाता, प्रकृति के अनेक नज़ारे को देख मन मोहक हो उठता है। प्रकृति वास्तव में पृथ्वी को ईश्वर की अनमोल देन है, यह पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के पोषण के लिए आवश्यकताओं का प्राथमिक स्रोत है।
हम जो भोजन करते हैं, जो कपड़े हम पहनते हैं, और जिस घर में हम रहते हैं, वह प्रकृति द्वारा प्रदान किया जाता है, प्रकृति को ‘प्रकृति माता’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वह हमारी माँ की तरह ही हमारी सभी आवश्यकताओं का पालन-पोषण कर रही है, अपने आस-पास जो कुछ भी देखते हैं, वह प्रकृति का हिस्सा है। पेड़, फूल, परिदृश्य, कीड़े-मकोड़े, धूप, हवा, सब कुछ जो हमारे पर्यावरण को इतना सुंदर और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है, प्रकृति का हिस्सा हैं। संक्षेप में, हमारा पर्यावरण प्रकृति है। मानव के विकास से पहले भी प्रकृति मौजूद रही है। आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण बहुत जरूरी है, यह सुनिश्चित करना हमारा काम है कि लोगों को पता चले कि प्रकृति कितनी महत्वपूर्ण है ताकि वे प्रगति के नाम पर इसे नष्ट न करें, इसलिए सभी को प्रकृति को बचाने के लिए सब कुछ करना चाहिए। प्रकृति में मौजूद खजाने न केवल हमारे अस्तित्व की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। “प्रकृति को बेहद करीब से महसूस कर के ,और उसके अनोखेपन को आम जनमानस तक बेहतरीन ढंग से प्रदर्शित करने की कोशिश किया है ।
मैं बचपन से ही प्रकृति की ओर आकर्षित रही हू, प्रकृति की सुंदरता तथा उसकी कोमलता को देखकर उनकी बारीकियों को महसूस कर आम जनमानस तक अपने आर्ट वर्क के माध्यम से पहुचाना मेरी ईच्छा रही है। मैं अपने आर्ट वर्क के माध्यम से उन बारीकियों को दिखाना चाहती हूँ, जिसे मैने महसूस किया है, प्रकृति के बदलते परीवेश के दृश्य एवं अदृश्य चीजों को दिखाने की कोशिश की है। मैंने अपने कार्यो में स्नेल को दिखाया है, जिसे लोग देखते तो है, लेकिन प्रकृति में इसके महत्व को नही समझते, फूलों की सुन्दरता बढाने वाले कणों को, पत्तियों के बदलते स्वारूप को दिखाना,
प्रकृति के हानि के बाद मनुष्य के विकृत स्वरूप को दिखाने का की कोशिश की है।
यह याद रखना अपरिहार्य है कि प्रकृति रचनात्मक और विनाशकारी दोनों भूमिकाएँ निभा सकती है। प्राकृतिक आपदाओं, महामारियों और प्राकृतिक संकट की स्थितियों के माध्यम से, प्रकृति ने हमें प्रकृति के संरक्षण की आवश्यकता को अच्छी तरह से समझाया है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी पर जीवन जारी रहे।

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