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वाराणसीः उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी के बीएड प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक दक्षता संवर्धन कार्यक्रम के अंतर्गत दिनांक 19 फ़रवरी 2024 से आज दिनांक 05 मार्च 2024 तक संगीत, कला एवं नाट्य कार्यशाला का आयोजन किया गया।
संगीत की कार्यशाला के अनुदेशक श्री सूरज विश्वकर्मा, कला कार्यशाला के अनुदेशक श्री पंकज कुमार गौतम तथा नृत्य कार्यशाला के अनुदेशक डॉक्टर शुभ्रा वर्मा ने छात्रों को प्रशिक्षित किया। कला कार्यशाला में विद्यार्थियों ने कला की उपयोगिता और महत्व, शिक्षा में कला का स्थान, कला और जीवन का अटूट संबंध तथा विभिन्न विधाओं की कलाकृतियों को बनाना सीखा साथ ही इनमें रंग भरने की बारीकियों को भी सीखा।
संगीत कार्यशाला में विद्यार्थियों ने शास्त्रीय संगीत, भारतीय संगीत पद्धति, सरस्वती वन्दना, गुरु वंदना, स्वागत गान, भजन तथा लोक गीत आदि की बारीकियों को सीखा तथा उनका अभ्यास किया। नाट्य कार्यशाला में विद्यार्थियों को नाटक का इतिहास, विविध प्रकार, वेष भूषा , मुखमुद्रा, अंग संचालन, अभिनय के प्रकार, मंच की साज सज्जा तथा मंचन की बारीकियों को सिखाया गया। विभिन्न साहित्यिक नाटकों ध्रुवस्वामिनी, अँधेर नगरी चौपट राजा आदि के मंचन का अभ्यास कराया गया तथा विद्यार्थियों ने भारतेंदु हरिश्चंद्र के सुप्रसिद्ध नाटक अँधेर नगरी चौपट राजा का मंचन भी किया।
आज दिनांक 05/03/2024 को कला कार्यशाला तथा संगीत कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षक का व्यक्तित्व बहुआयामी होना चाहिए जिससे वह राष्ट्र निर्माण में प्रभावी भूमिका निभा सके। कला व्यक्ति में सौंदर्यबोध जागृत करती है तथा संगीत उसके कोमल पक्ष को उन्नत करता है।

नाटक भावनाओं को उचित ढंग से प्रस्तुत करने में मदद कर्ता है तथा संचार कौशल को प्रभावशाली बनाता है। प्राचार्य महोदय ने बच्चों के कार्यक्रमों की भूरी भूरी प्रशंसा की तथा इन कौशलों को अपने अध्यापकीय जीवन में उपयोग की सलाह भी दी।विभागाध्यक्ष प्रो रमेश धर द्विवेदी ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन संकायाध्यक्ष प्रो नीलिमा सिंह नें किया । कार्यक्रम का संयोजन तथा संचालन प्रो रश्मि सिंह ने किया । इस अवसर पर प्रो गरिमा सिंह , प्रो रेनू सिंह , डॉ विजय कुमार सिंह , डॉ डी डी सिंह सहित अनेक शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे ।

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