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वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय स्थित अहिवाशी कला दीर्घा में दिनांक 13 से 22 दिसंबर तक एक महत्वपूर्ण कला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी दृश्य कला संकाय द्वारा आयोजित की जा रही है जिसे जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय, अमेरिका से आए हुए प्रोफेसर शॉवी फ्रेन प्रस्तुत कर रहे हैं।

इस प्रदर्शनी में फुल ब्राइट स्कॉलर प्रोफेसर फ्रेन तथा चित्रकला विभाग के 27 विद्यार्थियों एवं तीन शिक्षकों के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। यह सभी चित्र गत 3 महीने के आपसी संवाद और विचारों के आदान-प्रदान के आधार पर सृजित किए गए हैं। मूल रूप से यह चित्र विश्व स्तर पर चल रहे युद्धों की विभीषिका को प्रदर्शित करते हुए एक शांतिपूर्ण मानव समाज की परिकल्पना को प्रतीकात्मक रूप से दिखाते हैं। यह प्रदर्शनी स्थानीय स्तर के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में शांति के आह्वान को समर्पित है। यह प्रदर्शनी इस अर्थ में भी महत्वपूर्ण है कि दृश्य कला संकाय अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है और कला के माध्यम से शांति का संदेश देने का एक प्रयास किया गया है।

कला एक सार्वभौमिक भाषा है, जो मानवीय अनुभवों को समेकित रूप से व्यक्त करती है तथा अन्य कला रूपों के साथ संवाद का संचार करती है। इस प्रकार आशा और आपसी समन्वय के संदेश को बढ़ावा देकर यह एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरती है, जो सामूहिक कल्याण को बढ़ावा देती है और विभिन्न व्यक्तियों और समुदायों के मध्य सामंजस्यपूर्ण भविष्य की कल्पना और उसको साकार करने की दिशा में प्रेरित करती है। प्रदर्शनी का उद्घाटन मानवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र के समन्वय इक प्रोफेसर संजय कुमार तथा समाज विज्ञान संकाय के शांति शोध पीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज कुमार मिश्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर संकाय प्रमुख प्रोफेसर मनीष अरोड़ा, कला इतिहास के प्रोफेसर प्रदोष मिश्रा, मूर्ति कला विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर ब्रह्म स्वरूप, चित्रकला विभाग से श्री सुरेश नायर तथा कालाढीर का समन्वय डॉक्टर सुरेश चंद्र जांगिड़ समेत अनेक आचार्य गण, शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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