वाराणसीः विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा ईंट भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षण केद्रों का संचालन प्रारंभ किया है। चोलापुर और आराजीलाइन विकास खंड क्षेत्र में अलग अलग कुल 11 ईंट भट्ठों पर आशा सामाजिक शिक्षण केंद्र के नाम से यह केंद्र संचालित किये जा रहे है।
बिहार, झारखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रवासी मजदूरों के बच्चे वर्ष में अधिकांश समय अपने परिवार के साथ ईंट भट्ठों पर गुजारते हैं जिससे उनकी स्कूली शिक्षा प्रायः नहीं हो पाती है। ऐसे बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए संस्था द्वारा अस्थाई अनौपचारिक शिक्षा केंद्र का संचालन किया जा रहा है जिसमे ईंट भट्ठा संचालकों का भी पूरा सहयोग मिलता है।
आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय बताया कि बिहार और झारखंड में दीपावली और छठ पर्व समाप्त होने के बाद प्रवासी श्रमिकों का भट्ठों पर आना प्रारंभ होता है । हमारे कार्यकर्ता श्रमिकों के बच्चों का सर्वेक्षण करके उन्हें आस पास के सरकारी स्कूलों में नामांकित कराने की कोशिश करते हैं और स्कूल की अवधि के बाद इन अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों पर बच्चों के साथ विभिन्न शैक्षणिक और खेल गतिविधियाँ करते हैं।
केंद्र पर आने वाले सभी बच्चों को गर्म कपड़े और किताब, कॉपी, स्लेट की व्यवस्था भी संस्था द्वारा की जाती है। मानसून प्रारंभ होने पर प्रवासी मजदूरों की वापसी शुरू हो जाती है और संस्था द्वारा संचालित इन शिक्षण केन्द्रों को भी 4 महीने के लिए बंद कर दिया जाता है। सभी केन्द्रों को मिला कर लगभग 350 बच्चे इस प्रयास से लाभान्वित हो रहे हैं।
केन्द्रों के संचालन में दीन दयाल सिंह,प्रदीप सिंह, अमित कुमार, रमेश प्रसाद, अनीता देवी, आँचल कुमारी, विद्या देवी, आंचल, नीलम देवी, नीलम प्रधान, रचना, शशिकला, पुष्पा देवी, लालमनी, ब्रिजेश कुमार, जनक नंदिनी, अमृता, सुनीता, सौरभ चन्द्र आदि की विशेष रूप से भूमिका है।