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हिसारः अश्वगंधा प्रकृति का बहुमूल्य उपहार है। शक्तिवर्धक एवं रोग प्रतिरोधी क्षमता जैसे विलक्षण गुणों से भरपूर होने के कारण इसे ‘शाही जड़ी बूटी’ की संज्ञा भी दी गई है। आधुनिक युग में इस औषधीय पौधे की बढ़ती मांग को देखते हुए वैज्ञानिकों को अश्वंगधा पर अधिक से अधिक शोध कर इसकी नई किस्में इजाद करें। साथ ही किसानों को अश्वगंधा की खेती कर दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करने की आवश्यकता है। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय में अश्वगंधा अभियान विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला भारत सरकार के आयुष मंत्रालय में राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के सौजन्य से विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के औषधीय, संगध एवं क्षमतावान फसल अनुभाग द्वारा आयोजित की गई थी।
अश्वगंधा की उन्नत किस्मों के 2 लाख पौधे किसानों को उपलब्ध करवाएं जाएंगे : कुलपति
मुख्यातिथि प्रो. बी.आर. काम्बोज ने संबोधित करते हुए कहा कि यूनानी व आयुर्वेद पद्धति में औषधीय पौधों का अति महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने अश्वंगधा की विशेषताएं बताते हुए कहा कि इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल एंटीऑक्सीडेंट, चिंतानाशक, याददाश्त बढ़ाने वाला, कैंसर रोधी, सूजन रोधी सहित अन्य बीमारियों से राहत पाने के लिए किया जाता है। साथ ही यौन रोग के इलाज व शरीर को बलवर्धक बनाने में भी अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि देश की 65 प्रतिशत आबादी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आयुर्वेद व औषधीय जड़ी-बूटियों का उपयोग करती है। मुख्यातिथि ने देश में अश्वगंधा के उत्पादन की स्थिति को बताते हुए कहा कि वर्तमान समय में अश्वगंधा की जड़ों का उत्पादन करीब 1123.6 टन है, जबकि आवश्यकता 3222.4 टन है। इसलिए इसमें उद्यमिता की अपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि अश्वगंधा की विशेषताओं व बढ़ती मांग को देखते हुए विश्वविद्यालय ने आयुष विश्वविद्यालय के साथ अनुबंध किया है ताकि विद्यार्थियों को इस क्षेत्र में अपना करियर संवारने के लिए बेहतर विकल्प मिल सकें। मुख्यातिथि ने कहा कि आगामी सीजन में विश्वविद्यालय द्वारा अश्वगंधा की खेती को बढ़ावा देने के लिए अश्वगंधा की उन्नत किस्मों के 2 लाख पौधे किसानों को उपलब्ध करवाएं जाएंगे। साथ ही वर्तमान समय में पाठ्यक्रम के अंदर अश्वगंधा के गुणों को शामिल करना चाहिए।
मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के.पाहुजा ने बताया कि प्राचीन काल से ही अश्वगंधा पर ऋषि-मुनियों ने शोध किए ताकि भावी पीढ़ी को इस औषधीय पौधे के फायदों से लेकर अन्य गुणों के बारे में पता लग सकें।
औषधीय, संगध एवं क्षमतावान फसल अनुभाग के प्रभारी डॉ पवन कुमार ने अश्वगंधा अभियान के तहत विभिन्न प्रतियोगिताएं, कार्यक्रमों व क्रियाकलापों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत पेश की। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश आर्य ने कविता के माध्यम से अश्वगंधा के गुणों का उल्लेख किया। इसके अलावा छात्र सुलेंद्र व छात्रा हिमांशी ने अश्वगंधा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए इसके फायदें व गुणों को सभी से साझा किया। सेवानिवृत प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ओपी नेहरा ने भी अश्वगंधा के गुणों को विस्तार से बताया। मुख्यातिथि ने अश्वगंधा इम्यूनिटी बूस्टर मेडिकल प्लांट व अश्वगंधा की खेती नामक पुस्तकों का विमोचन भी किया। मंच संचालन सहायक वैज्ञानिक डॉ. रवि बैनीवाल ने किया।
मुख्यातिथि ने अश्वगंधा अभियान के तहत विभिन्न स्कूलों व कॉलेजों में विजेता रहे विद्यार्थियों व किसानों को सम्मानित किया।
पोस्टर मेकिंग में : प्रथम स्थान पर मुस्कान रही, जबकि रितिक यादव दूसरे व तीसरे स्थान पर दीक्षा रही। कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साइंस में पहले स्थान पर मुस्कान सिंधू, दूसरे स्थान पर गरिमा व तीसरे स्थान पर शशि किरण रही। हकृवि स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में पहले स्थान पर कक्षा छठी की रितिका, दूसरे स्थान पर कक्षा 7वीं की आंचल व तीसरे स्थान पर कक्षा आठवीं की प्रिया रही। विश्वविद्यालय के कैंपस स्कूल में प्रथम स्थान पर 11वीं कक्षा की छात्रा कीर्ति, दूसरे स्थान पर आठवीं कक्षा के छात्रा सूर्या व तीसरे स्थान पर कक्षा आठवीं की छात्रा प्रज्ञा रही। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हिमांशी व दूसरा स्थान सुलेन्द्र रहे। साथ ही भाषण प्रतियोगिता में कैंपस स्कूल के प्रथम स्थान पर ज्योति, दूसरे स्थान पर तनिष्का व तीसरे स्थान पर स्मृति पर रही। कार्यशाला में अश्वगंधा पौध की खेती करने वाले व दूसरों को इसके लिए प्रेरित करने वाले किसानों को भी मुख्यातिथि ने सम्मानित किया, जिनमें गांव नंगथला निवासी रविंद्र कुमार, गांव भोडिया निवासी धर्मपाल, गांव टोकस निवासी अभिजीत, गांव कोहली निवासी ओमप्रकाश, गांव रावलवास निवासी कृष्ण कुमार व गांव सरसौद निवासी सुंदर शामिल थे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारीगण सहित इससे जुड़े समस्त महाविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, शोधार्थी सहित सेवानिवृत वैज्ञानिक डॉ. पीके वर्मा, डॉ. ईश्वर सिंह यादव और काफी संख्या में किसान व विभिन्न स्कूलों व महाविद्यालयों के विद्यार्थी उपस्थित रहे। अश्वगंधा अभियान कार्यशाला के दौरान अश्वगंधा की खेती एवं उद्यमिता की अपार संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
फोटो कैप्शन: हकृवि में अश्वगंधा अभियान के तहत आयोजित कार्यशाला में पुस्तक का विमोचन करते कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज सहित अन्य अधिकारीगण।

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