Total Views: 105

किशोरावस्था की संवेदनशीलता
बचपन और वयस्क जीवन के बीच की अवस्था है किशोरावस्था जिसमें कई शारीरिक-मानसिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से किशोर एवं किशोरियों को गुजरना पड़ता है। इन परिवर्तनों को समझने के लिए उचित मार्गदर्शन और सलाह की आवश्यकता होती है।

अक्सर इस उम्र के किशोरों एवं किशोरियों में परीक्षा को लेकर या अन्य किसी पारिवारिक या सामाजिक कारणों की वजह से तनाव एवं अवसाद की समस्या रहती है। तनाव-चिंता एवं अवसाद से दूर रहने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, पाजीटिव सोचें,  व्यायाम एवं योग करें और अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

चेहरे पर कील-मुंहासे कई कारणों से होते हैं। कई बार किशोरों के लिए यह भी एक चिंता का विषय बन जाता है। इसकी एक बड़ी वजह शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन भी है, जो कि किशोरावस्था में अक्सर देखने को मिलता है। इसके अलावा ज्यादा तला-भुना भोजन, कब्ज, तनाव व अन्य बीमारियों जैसे कि बालिकाओं में Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) की वजह से भी कील-मुहांसे होते हैं।
अगर आपका बच्चा ज्यादातर अकेले में रहना चाहता है, किसी से बात नहीं करता या बात-बात में गुस्सा जाता है अथवा रोने लगता है तो बहुत संभव है कि वह अत्यधिक तनाव में हो। ऐसा होने पर बच्चे से एकांत में शांतिपूर्वक बात कीजिए  और उसकी समस्या को ध्यान से सुनिए।
मां-बाप और अभिभावकों को अपने बच्चों पर नज़र रखनी चाहिए कि कहीं उनका बच्चा गलत संगत में पड़कर नशा वगैरह की गिरफ्त में तो नहीं आ गया है।

Leave A Comment