लखनऊ: भारत के लिए वैश्विक न्यायिक क्षेत्र में एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए सुप्रसिद्ध बाल अधिकार वकील और सामाजिक कार्यकर्ता भुवन ऋभु को विश्व न्यायविद संघ (World Jurist Association) द्वारा ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया है। वे यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय वकील बने हैं। डोमिनिकन रिपब्लिक में 4 से 6 मई तक आयोजित विश्व विधि सम्मेलन में यह ऐतिहासिक सम्मान उन्हें प्रदान किया गया, जिसमें 70 देशों के 1500 से अधिक न्यायविद और 300 वक्ता शामिल हुए।

भुवन ऋभु ने बीते दो दशकों में बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी हस्तक्षेप और जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर जनसंगठन तैयार कर दुनिया में मिसाल कायम की है। वे ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ (JRC) नामक दुनिया के सबसे बड़े बाल संरक्षण विधिक नेटवर्क के संस्थापक हैं, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के 40 जिलों में 23 एनजीओ भागीदार संगठन सक्रिय हैं। इन संगठनों का लक्ष्य 2030 तक बाल विवाह का समूल उन्मूलन करना है।

सम्मान प्राप्त करते हुए भुवन ऋभु ने कहा, “बच्चों को कभी भी अकेले न्याय की लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए। कानून उनकी ढाल बने और न्याय उनका अधिकार।”

इस अवसर पर डोमिनिकन रिपब्लिक के श्रम मंत्री एड्डी ओलिवेर्स ओर्टेगा, विश्व न्यायविद संघ के अध्यक्ष जेवियर क्रेमेडेस, और महिला मंत्री मायरा जिमेनेज भी उपस्थित रहे।

विश्व न्यायविद संघ, जिसने पहले विंस्टन चर्चिल, नेल्सन मंडेला और रूथ बेडर गिन्सबर्ग जैसी हस्तियों को सम्मानित किया है, ने भुवन ऋभु के कार्यों को “बच्चों और महिलाओं के लिए न्याय की नई बुनियाद रखने वाला प्रयास” बताया।

भुवन ऋभु ने बीते 20 वर्षों में 60 जनहित याचिकाएं (PILs) दायर कर सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न उच्च न्यायालयों में ऐतिहासिक निर्णय कराए हैं। 2011 में उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने मानव तस्करी को संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल के अनुसार परिभाषित किया। 2013 में उनकी मुहिम ने देशभर में गुमशुदा बच्चों की समस्या को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया।

उन्होंने बच्चों के ऑनलाइन और ऑफलाइन यौन शोषण के खिलाफ कानूनों को सख्त कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी किताब ‘When Children Have Children’ में प्रस्तावित PICKET रणनीति को 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह के खिलाफ दिशानिर्देश के रूप में स्वीकार किया।

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने इसे “पूरे भारत के बाल अधिकार आंदोलन के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण” बताया। उन्होंने कहा, “यह सम्मान हजारों जमीनी कार्यकर्ताओं के संघर्ष को वैश्विक मान्यता देता है। हम हर जिले को बच्चों के लिए सुरक्षित और न्यायपूर्ण बनाने के मिशन में और मजबूती से जुटेंगे।”

भुवन ऋभु का यह योगदान भारत में बाल सुरक्षा की व्यवस्था को नया आयाम दे रहा है, और उनके नेतृत्व में यह अभियान अब वैश्विक स्तर पर बदलाव का प्रतीक बन रहा है।

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जितेंद्र परमार
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