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लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बुलडोज़र अकबरनगर की पूरी बस्ती को मलबे में तब्दील करने के बाद अब कुकरैल नाले के किनारे बसी कॉलोनियों पंतनगर, अबरार नगर, खुर्रम नगर, रहीम नगर आदि पर भी चलने की तैयारी कर रहे हैं। इस बुलडोज़र राज के ख़िलाफ़ आज खुर्रम नगर में एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न जनसंगठनों और राजनीतिक दलों के लोग शामिल हुए।

ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में नौजवान भारत सभा और जागरूक नागरिक मंच के कार्यकर्ताओं ने भी शिरकत की।
जागरूक नागरिक मंच की ओर से साथी रामबाबू ने कहा कि अकबरनगर को नेस्तनाबूद करने का कोई बड़ा विरोध संगठित नहीं हो सका इसलिए यह तानाशाह सरकार अब और भी वहशी तरीक़े से लाखों लोगों की रिहाइश और आजीविका पर हमला करने की तैयारी कर रही है। अगर हम लोग संगठित होकर पूरी ताक़त से इसके विरुद्ध नहीं लड़े तो हम लखनऊ शहर को अपनी आँखों के सामने बरबाद होते हुए देखेंगे। कोई भी शहर इमारतों और पार्कों से नहीं, उसे बसाने वाले मेहनतकश लोगों से बनता है।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार जो नजूल संपत्ति अधिग्रहण अध्यादेश लेकर आयी है उसका असल मकसद है दशकों से बसी हुई लखनऊ की अनेक बस्तियों को ख़ाली करके बुलडोजरों से नेस्तनाबूद कर देना ताकि अरबों-खरबों की ज़मीनें भाजपा और संघ से जुड़ी रियल एस्टेट माफ़िया कम्पनियों को सौंपी जा सकें।
उल्लेखनीय है कुकरैल नाले के किनारे रिवर फ्रंट बनाने का 6000 करोड़ का ठेका एक गुजराती कम्पनी को देने की बात सामने आयी है। पीसीपी प्रोजेक्ट लिमिटेड नाम की इसी गुजराती कम्पनी ने अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट बनाया था।
योगी सरकार मार्च में नजूल सम्पत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) अध्यादेश 2024 लायी है जिसने पूरे प्रदेश में नज़ूल की ज़मीनों पर बसे हुए लोगों को उजाड़ने का रास्ता खोल दिया है। अंग्रेज़ों के जाने के बाद विभिन्न शहरों में जो ज़मीनें बिना किसी मालिकाना अधिकार के पड़ी रहीं वे नज़ूल की ज़मीनें थीं और बहुत से लोग लम्बे समय से इन ज़मीनों पर घर या दुकान आदि बनाकर रह रहे हैं और रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं। सरकारें इन लोगों को साल-दर-साल हर तरह की सुविधाएँ देती रही हैं और उनसे तमाम शुल्क-टैक्स आदि वसूलती रही हैं। अब अचानक यह अध्यादेश लाकर लाखों लोगों को उजाड़ने की कार्रवाई कॉरपोरेट घरानों और बिल्डरों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए की जा रही है।
साथी रामबाबू ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ़ उनकी नहीं है जिनके घरों पर बुलडोज़र चलने वाले हैं बल्कि यह नागरिक अधिकारों की साझा लड़ाई है और लखनऊ के तमाम नागरिकों को इसमें साथ देना चाहिए वरना कल किसी और रास्ते से दमन-उत्पीड़न का डण्डा उनके सिरों पर भी बरस सकता है।
हमें अलग-अलग करके ही यह सत्ता अपना दमन चलाने में कामयाब हो पा रही है। जब दूसरों के घरों पर बुलडोज़र चल रहे थे तब बहुत से लोग ख़ुश हो रहे थे लेकिन अब वही बुलडोज़र उनके घरों की ओर मुड़ने वाले हैं। इस सच्चाई को हमें समझना होगा।
नौजवान भारत सभा और जागरूक नागरिक मंच ने इस पूरे मसले पर लोगों को सचेत और संगठित करने के लिए जन अभियान चलाने का भी निर्णय लिया है।
आज के सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. वंदना मिश्र ने की और संचालन राकेश मणि पांडेय ने किया। सम्मेलन को आईपीएफ महासचिव दिनकर कपूर, सीपीएम के प्रवीन सिंह, सीपीआई की कांति मिश्रा, सपा विधायक रविदास महरोत्रा, कांग्रेस के मुकेश चौहान, सीपीआई माले के मगन, एटक के चंद्रशेखर, अकबरनगर से इमरान रज़ा, ट्रांस गोमती निवासी संघर्ष समिति के मो. सलीम, पत्रकार श्याम वर्मा तथा किसान नेता इमरान ने भी सम्बोधित किया।

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