वाराणसी, 15.05.2024। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान एवं सर सुंदरलाल अस्पताल के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए हाल ही में सफलतापूर्वक एक अत्यंत जटिल सर्जरी की। 61 वर्षीय असम निवासी मरीज एल एम सिंह 5 सालों से हृदय रोग से ग्रसित थे । बिहार से मूल रूप से ताल्लुक रखने वाले मरीज लाल मोहर सिंह का इलाज दवा के माध्यम से बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग ( कार्डियोलॉजी) से चल रहा था । लेकिन इतने लंबे अरसे तक दवा चलने के बावजूद उनके स्वास्थ्य में कोई ज्यादा सुधार नहीं हुआ। अंत में इन्हें कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग की ओपीडी में ऑपरेशन की सलाह देते हुए रेफर कर दिया गया। एंजियोग्राफी रिपोर्ट के मुताबिक इनके हृदय की मुख्य नसों में बड़ी मात्रा में ब्लॉकेज होने की शिकायत बताई गई और इसका निदान बाईपास सर्जरी बताया गया।
मरीज की उम्र को और उनके डायबिटीज ग्रस्त होने की स्थिति को देखकर कार्डियोथोरेसिक विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर संजय कुमार ने उन्हें “MICS” (मिनिमली इनवेसिव हार्ट सर्जरी) प्रक्रिया के अंतर्गत ऑपरेशन कराने की सलाह दी। आम भाषा में हम इसे समझना चाहे तो यह एक प्रकार से ह्रदय सर्जरी में बहुत ही विशेष तरह का ऑपरेशन है यह बहुत छोटे से चिरे के साथ अंजाम दिया जाता है। इसमें छाती के अंदर इस्थित आर्टरी का ग्राफ्ट के लिए इस्तेमाइल होता है। इस तरह छाती पर बड़ा चीरा और पैरों में चीरा न लगने के कारण ऑपरेशन से संबंधित घाव सिर्फ 3 इंच का होता है। ऑपरेशन के बाद मरीज के घाव को भरने में कम समय लगता है उन्हें दर्द जैसे परेशानियों का सामना बहुत कम करना पड़ता है। पंप का इस्तेमाल नहीं होने के कारण ऑपरेशन के दौरान या बाद में रक्त देने की जरूरत नहीं होती है। मरीज ko 5 दिन के अंदर डिस्चार्ज कर दिया गया। इस विशेष प्रकार के ऑपरेशन आमतौर पर बहुत विशिष्ट संस्थानों में किए जाते हैं जिसकी संख्या प्रदेश में कुछ ही बड़े स्वास्थ्य केंद्र में संभव हैं।
लेकिन अब 3 में 2024 की तारीख ने जो यह इतिहास रचा है उसने यह साबित कर दिया है कि पूर्वांचल स्थित बीएचयू का कार्डियोथोरेसिक विभाग बहुत तेज गति से हृदय रोग के मरीजों को आधुनिक और बेहतर इलाज में देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान के कार्डियोथोरेसिक विभाग के सर्जनों ने यह साबित कर दिया है कि जो ऑपरेशन विदेश में या भारत के बड़े बड़े अस्पतालों और संस्थानों में ही संभव हो पाते थे जहां आम लोगों की पहुंच नहीं हो पाती थी वह अब यहां उत्तर प्रदेश पूर्वांचल में आम जनता के लिए भी संभव हो सकेंगे ।
इस ऑपरेशन के अगुवाई कर रहे पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन को अंजाम देना यहां पर एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि इस तरह का ऑपरेशन यहां पर पहले कभी नहीं हुआ है लेकिन यहां के प्रशासन, ओटी टीम एवं नर्सिंग स्टाफ के सहयोग से आखिर उन्होने इसे अंजाम दिया।
कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के डॉक्टर संजय कुमार के अध्यक्षता में किए गए इस ऐतिहासिक ऑपरेशन में वरिष्ठ सर्जन डॉ ललित कपूर, डॉक्टर राजेश्वर यादव, डॉक्टर चंपक मेहर ने अपना बड़ा योगदान दिया। निसंज्ञा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आर बी सिंह के अध्यक्षता में डॉक्टर विकास टोसनीवाल, डॉक्टर सोनू एवं विवेक का योगदान सराहनीय था।
प्रोफेसर संजय कुमार का कहना है कि विभाग की इस उपलब्धि से नए डॉक्टरों का उत्साह बढ़ेगा और पूर्वांचल के बायपास सर्जरी के मरीज लाभान्वित हो सकेंगे।
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