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  • संगीत व कला जगत की विभूतियों को कौस्तुभ रत्न से किया गया सम्मानित
  •  संगीत एवं मंच कला संकाय की उपलब्धियां काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करती हैः कुलपति
  • 75 वर्ष की यात्रा पर गर्व की अनुभूति, अगले 75 वर्ष की कार्य योजना तय करने का वक्तः प्रो. सुधीर जैन

वाराणसी, 22.08.2024: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित संगीत एवं मंच कला संकाय अपनी गौरवपूर्ण यात्रा के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। इस विशेष अवसर के उत्सव के रूप में संकाय द्वारा कौस्तुभ जयंती समारोह का आयोजन किया गया है, जिसका उद्घाटन बृहस्पतिवार, 22.08.2024, को बतौर मुख्य अतिति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने एक भव्य कार्यक्रम के बीच किया। अपने संबोधन में प्रो. जैन ने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए 75 वर्ष पूरे करना एक बड़ी उपलब्धि तथा अत्यंत गौरव का विषय है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि गर्व की इस अनुभूति के बीच अगले 75 वर्ष की कार्य योजना भी तय की जाए। कुलपति जी ने कहा कि इस संकाय ने विश्व को अनेक ऐसी विभूतियां दी हैं, जिन्होंने भारत की प्रतिष्ठा को नए शिखर पर पंहुचाया है। उन्होंने कहा कि संगीत एवं मंच कला संकाय ने न सिर्फ संगीतज्ञों व कलाकारों को निखारा है, बल्कि अन्य विषयों में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के जीवन को भी प्रभावित किया है। भारत रत्न प्रो. सी. एन. आर. राव का ज़िक्र करते हुए कुलपति जी ने कहा कि एक महान वैज्ञानिक होने के साथ साथ इस संकाय में मिली संगीत की शिक्षा ने उनके जीवन को काफी प्रभावित किया। कुलपति जी ने कहा संकाय सदस्यों का आह्वान किया कि वे नई शिक्षा नीति के आलोक में पाठ्यक्रम को और विकसित करें, साथ ही साथ इस ओर भी ध्यान दें कि किस प्रकार अधिक से अधिक विद्यार्थियों, चाहे वे संगीत में करियर बनाना चाहते हों या नहीं, से जुड़ें। उन्होंने कहा कि इस कोशिश में देश की प्रख्यात हस्तियों को भी संकाय व यहां के विद्यार्थियों से जोड़ना होगा।

संकाय के पंडित ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली, की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने कहा कि भारत की संस्कृति व महान गुरू शिष्य परंपरा की धरोहर को जिस प्रकार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा संगीत व मंच कला संकाय ने संजो कर रखा है, वह अद्भुत व अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि 75 वर्षों की इस यात्रा में भारतीय कला व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में बीएचयू एवं संकाय के योगदान से ही संभव हो पाया है कि आज कौस्तुभ जयंती के विशेष अवसर के साक्षी बनने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

गायन विभाग की अध्यक्ष व संकाय प्रमुख प्रो संगीता पंडित जी ने    उपस्थित सभी गणमान्य लोगों का स्वागत किया ।

संकाय के 75 वे वर्ष के प्रारंभ होने पर संकाय की सांगीतिक यात्रा का विवरण  अतिथि सम्मान – पंडित चित्तरंजन ज्योतिषी,पंडित साजन मिश्र ,पंडित राजेश्वर आचार्य,पंडित शिवनाथ मिश्रा,डा o प्रेम चंद्र होम्बल,पंडित रित्विक सान्याल  जी को कौस्तुभ रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक आयोजन* सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ

प्रार्थना – पंडित ओंकारनाथ ठाकुर जी द्वारा रचित शिव संकल्पमस्तु की प्रस्तुति गायन विभाग के छात्र छात्राओं द्वारा की गई। जिसका निर्देशन डा o मधुमिता भट्टाचार्य व प्रो o संगीता पंडित  जी ने किया ।

समूह गायन – गायन विभाग के छात्र छात्राओं द्वारा रागाधारित बंदिशों की सुंदर प्रस्तुति की गई।जिनमे क्रमशः

1- राग पटदीप में निबद्ध अनहद बाजे ,री सखी सुनहुं पियारे।

2- राग मियां मल्हार ,द्रुत एकताल  में तराना की प्रस्तुति की गई।जिसके बोल – दिर दिर देरे ना देरे न तना  की अत्यंत सुंदर प्रस्तुति की गई।आप के साथ तबला संगति श्री आनंद मिश्रा और संवादिनी पर हर्षित अध्याय ने कुशल संगति की। इस कार्यक्रम का निर्देशन प्रोo संगीता पंडित व डा o रामशंकर जी ने किया ।

वाद्य बृंद – दूसरी प्रस्तुति वाद्य वृंद की हुई।जिसमे कलाकार के रूप में

डॉ राकेश कुमार, सहायक आचार्य

श्री प्रशांत मिश्र, वायलिन, स्कॉलर श्री बुधादित्य प्रधान ,सितार, स्कॉलर श्री सिद्धार्थ मुखर्जी ,तबला श्री अशेष कुमार मिश्र, तबला की मधुर और सधी हुई प्रस्तुति ने सभी को आनंदित कर दिया । इसमें राग भिन्नषडज पर आधारित रचना का प्रस्तुतिकरण किया गाय जो भारतीय व पाश्चात्य दोनो संगीत के मिश्रण पर आधारित रही। तत्पश्यात   एक कजरी धुन की प्रस्तुति की गई।इस वाद्य वृंद का निर्देशन प्रोफेसर राजेश शाह व डॉ राकेश कुमार ने किया। समूह नृत्य- तीसरी प्रस्तुति के रूप में  संगीत एवं मंच कला संकाय के नृत्य विभाग के शोध छात्रों द्वारा कथक और भरतनाट्यम नृत्य के अद्वितीय संगम की एक विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। इस नृत्य आयोजन की शुरुआत “श्री विश्वनाथाष्टकम” – गंगा तरंग रमणीय जटाकलापं….के द्वारा भगवान शिव की आराधना से होगी, जिसके पश्चात श्री श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित “शिव पंचाक्षर स्तोत्रम” में नृत्य प्रदर्शन किया गया। इस सांस्कृतिक आयोजन का समापन “तिल्लाना” के साथ हुआ जो राग कपी और आदि ताल में आधारित है, और जिसकी रचना मदुरै आर. मुरलीधरन ने की है। “श्री विश्वनाथाष्टकम” और “शिव पंचाक्षर स्तोत्रम” के संगीत एवं नृत्य संयोजन डॉ. विधि नागर  का  है। जिसमें गायन पर डॉ इंद्रदेव चौधरी, तबले पर डॉ अमित ईश्वर, बांसुरी पर डॉ शानिश कु. ज्ञावाली, सितार पर डॉ आनंद कु. मिश्रा, सारंगी पर श्री अनिश मिश्रा द्वारा संगत प्रदान की गयी । नृत्य प्रस्तुति दे रहे कलाकार इस प्रकार है: भरतानाटयम नृत्य में श्रीमती नागरंजीता एस., कु. रूपम रघुवंशी, कथक नृत्य में श्री अमृत मिश्रा, कु. रागिनी कल्याण, कु. शिखा रमेश, कु. सुरैया इस्लाम रिया। इस उल्लास पर्व पर हिंदू विश्वविद्यालय परिवार ,विभिन्न पदाधिकारी,काशी से पधारे विद्वत जन ,संगीत मर्मज्ञ एवं कला रसिकों की उपस्थिति ने इस समारोह का मान वर्धन किया ।

धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रवीण उद्धव ने प्रेषित किया।

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