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विधि संवाददाता प्रयागराज 15 अक्टूबर।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रांची के एक अस्पताल में भर्ती मां के इलाज खर्च का 25फीसदी बिल का बेटी को भुगतान करने का निर्देश दिया है।
बेटी ने याचिका दाखिल कर अपनी मां की देखभाल करने के विवाद को निपटाने की मांग की थी।अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद फिर होगी।

रहीम के दोहा और तैत्तिरीय उपनिषद की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए, न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा: “मातृ देवो भवः’ और ‘क्षमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात।’ इसे याद रखना चाहिए।
बेटी संगीता कुमारी ने परिवार अदालत के आदेश को चुनौती दी है,जिसमें उसे अपनी मां की देखभाल के लिए प्रति माह 8,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है।
मां ने इससे पहले अपनी बेटी से गुजारा भत्ता की मांग करते हुए परिवार अदालत के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत आवेदन दायर इस किया था।

याची अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उसकी मां की चार अन्य बेटियां भी हैं। उन्हें भी उसकी संपत्तियों में शेयर आवंटित किए गए हैं। उसकी उपेक्षा की गई थी और जब मां की देखभाल बात आई, तो उसकी मां ने केवल उससे गुजारे की मांग की है न कि अपनी अन्य बेटियों से, जो अनुचित है।
परिवार अदालत ने अपने आदेश को वापस लेने से इंकार कर दिया। याची ने आदेश वापस लेने की अर्जी दी थी।
गुजारा भत्ता देने व अर्जी खारिज करने के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

कोर्ट ने सौहार्दपूर्ण ढंग से मसला सुलझाने की उम्मीद जताया और याची बेटी संगीता कुमारी को निर्देश दिया कि वह अपनी मां के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे और अस्पताल में भर्ती मां पर किए गए चिकित्सा खर्च की बकाया राशि का कम से कम 25फीसदी भुगतान करे।

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