Total Views: 91
  1. शास्त्रों में दीपावली निर्णय हेतु मुख्यकाल प्रदोष में अमावस्या का होना आवश्यक।
  2. इस वर्ष प्रदोष ( 2 घण्टा 24 मिनट) एवं निशीथ (अर्धरात्रि) में अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को। इसलिये 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत है।
  3. देश के किसी भी भाग में 1 नवम्बर को पूर्णप्रदोष काल में अमावस्या की प्राप्ति नहीं है, अतः 1 नवम्बर को किसी भी मत से दीपावली मनाना शास्त्रोचित नहीं है।
  4. धर्मशास्त्र के ग्रंथों का पूर्वापर सम्बन्ध स्थापित करते हुए अध्ययन नहीं करने से हुआ भ्रम।

अतः आज दिनांक 15 – 10 – 2024 को दीपावली उत्सव में उत्पन्न भ्रम के निवारण हेतु ज्योतिष विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी द्वारा श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद् , श्री काशी विद्वत परिषद् , वाराणसी के साथ-साथ काशी के सभी सम्मानित पंचांगकारों, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वानों की बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि गणितीय मानों एवं धर्मशास्त्रीय वचनों के आधार पर दृश्य एवं पारम्परिक दोनों मतों से पूरे देश में 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली पर्व मनाया जाना शास्त्रोचित है। (प्रो विनय कुमार पाण्डेय, समन्वयक, विश्वपंचांग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।)

इस बैठक में प्रो. रामचंद्र पाण्डेय, प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय जी अध्यक्ष श्री काशीविश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद्, प्रो. चन्द्रमौलि उपाध्याय जी, प्रो रामनारायण द्विवेदी जी महामंत्री श्री काशी विद्वत परिषद्,  प्रो गिरिजा शंकर शास्त्री जी, प्रो शत्रुघ्न त्रिपाठी (ज्योतिष विभागाध्यक्ष), प्रो शंकर कुमार मिश्र (पूर्व धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष), डा. सुभाष पाण्डेय जी , डा रामेश्वर शर्मा जी, डा. सुशील गुप्ता जी, विश्व पंचांगकार डा. अजय कुमार पाण्डेय, डा अनिल कुमार मिश्र, डा सुनील कुमार चतुर्वेदी, डा मोहन कुमार शुक्ल, महावीर पंचांगकार डा रामेश्वर ओझा, हृषीकेश पंचांगकार श्री विशाल उपाध्याय एवं श्री शिवमूर्ति उपाध्याय, रूपेश ठाकुर प्रसाद, शिवगोविंद पंचांगकार श्री अमित कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।

इस वर्ष 2024 में पारम्परिक गणित के द्वारा निर्मित पंचांगों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं है क्योंकि उन सभी पंचांगों के अनुसार अमावस्या का आरंभ 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले होकर एक तारीख़ को सूर्यास्त के पूर्व ही समाप्त भी हो जा रही है जिससे देश के सभी भागों में पारंपरिक सिद्धांतों से निर्मित पंचांगों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाया जाना निर्विवाद रूप में एक मत से सिद्ध है । परंतु दृश्य गणित से साधित पंचांगों के अनुसार देश के कुछ भागों में तो अमावस्या 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद 1 घटी से पहले ही समाप्त हो जा रही है जिससे उन क्षेत्रों में भी दीपावली को लेकर कोई भेद शास्त्रीय विधि से उपस्थित नहीं है और वहाँ भी दीपावली 31 अक्टूबर को निर्विवाद रूप में सिद्ध हो रही है । दृश्य गणित के द्वारा देश के कुछ भागों जैसे गुजरात राजस्थान एवं केरल के कुछ क्षेत्रों में अमावस्या 31 अक्टूबर के सूर्यास्त के पहले आरंभ होकर एक नवंबर को सूर्यास्त के बाद प्रदोष में कुछ काल तक व्याप्त हो रही है जिससे 31 अक्टूबर एवं एक नवम्बर के स्थिति को लेकर कुछ विरोधाभास की स्थितियां उत्पन्न हो गई है परंतु धर्म शास्त्रीय वचनों का समग्र अनुशीलन करते हुए वहाँ भी दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को ही सिद्ध हो रही है। (प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री काशी विद्वत् परिषद्)

शास्त्रों की मर्यादा के अनुपालन में 31 को ही दीपावली मनाया जाना शास्त्र सम्मत। (प्रो रामनारायण द्विवेदी जी महामंत्री श्री काशी विद्वत परिषद्)

इस निर्णय को सभी स्वीकार करते हुए धर्म एवं संस्कृति की सबको रक्षा करनी चाहिये। (प्रो. चन्द्रमौलि उपाध्याय)

सनातन धर्म की व्रत पर्व आदि के निर्धारण संबंधी व्यवस्था में गणित द्वारा प्राप्त तिथि, ग्रह, नक्षत्रादि के मानों के आधार पर धर्मशास्त्र ग्रंथों में वर्णित नियमानुसार किसी भी व्रत पर्व आदि का निर्णय किया जाता है जिसके अंतर्गत स्थान भेद से व्रत पर्व आदि के तिथियों में अंतर पड़ना भी स्वाभाविक है परंतु यदा कदा गणितीय मानो में भिन्नता या धर्मशास्त्रीय किसी एक भाग/ मत का ही अनुसरण करने से एक स्थान पर भी व्रत पर्व अलग-अलग दिखने लगते हैं। इतना ही नहीं कभी-कभी तो गणितीय मानों  में समानता तथा धर्मशास्त्रीय वचनों की उपलब्धता के बाद भी व्रत पर्वों की तिथियों में अंतर दृष्टिगत होने लगता है ऐसी ही स्थिति कुछ इस बार वर्ष 2024 के दीपावली के संदर्भ में बन रही है। परन्तु गणितमान एवं धर्मशास्त्रीय व्यवस्थाओं को देखने से 31 को ही सिद्ध हो रही है दीपावली। (प्रो शत्रुघ्न त्रिपाठी , ज्योतिष विभागाध्यक्ष)

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित विश्व पंचांग सहित काशी के सभी पंचांगों में इसका स्पष्ट निर्देश। दृश्य मत से भी पूरे देश में 31 को दीपावली मनाया जाना शास्त्रोचित। (डा. सुभाष पाण्डेय जी)

पारम्परिक एवं दृश्यगणित की उपयोगिता के प्रसंगो को ठीक से समझकर यथा स्थान इनको आधार बनाकर धर्मशास्त्रीय वचनों से ही निर्णय करने से पंचांगो में समरूपता सम्भव है। शास्त्रानुसार 31 को ही दीपावली मनाना उचित है। (शिवगोविन्द पंचांगकार श्री अमित कुमार मिश्र)

निर्णय सम्बन्धित धर्मशास्त्रीय प्रमुख प्रमाण –

  1. अयं प्रदोषव्यापिग्राह्यः॥  निर्णय सिंधु
  2. दिनद्वये सत्त्वे पर:।
  3. दंडैकरजनीयोगे….. इस वचन में रजनी शब्द का भावार्थ –  नक्षत्रदर्शनात्संध्या सायं तत्परतः स्थितम्। तत्परा रजनी ज्ञेया पुरुषार्थ चिंतामणि। उदयात् प्राक्तनी संध्या घटिकाद्वयमिष्यते। सायं सन्ध्या त्रिघटिका अस्तादुपरि भास्वतः॥ त्रिमुहूर्तः प्रदोषः स्याद् भानावस्तंगते सति। तत्परा रजनी प्रोक्ता तत्र कर्म परित्यजेत्॥ तिथिनिर्णय:।। त्रियामां रजनीं प्राहुस्त्यक्त्वाद्यन्तचतुष्टयम्। नाडीनां तदुभे सन्ध्ये दिवसाद्यन्तसंज्ञके।। इन धर्मशास्त्रीय वचनों से यह स्पष्ट हो रहा है कि रजनी प्रदोष नहीं अपितु प्रदोष काल के बाद की संज्ञा है अतः दंडैकरजनीयोगे दर्शः स्यात्तु परेऽहनि। के अनुसार 1 नवम्बर 2024 को अमावस्या का रजनी से कोई योग भी नही हो रहा है।
  4. इति ब्राह्मोक्तेश्च प्रदोषार्धरात्रव्यापिनी मुख्या। एकैकव्याप्तौ परैव; प्रदोषस्य मुख्यत्वादर्धरात्रेऽनुष्ठेयाभावाच्च

अतः केवल पूर्व दिन प्रदोष प्राप्त होने पर प्रथम दिन, केवल दूसरे दिन प्रदोष प्राप्त होने पर (पूर्व दिन अर्धरात्रि एवं दूसरे दिन प्रदोष) दूसरे दिन तथा पूर्व एवं पर दोनों ही दिन पूर्ण प्रदोष व्यापिनी अमावस्या के साथ दंडैकरजनीयोगे आदि को संगति लगने पर दूसरे दिन ही दीपावली मनाया जाना शास्त्र विहित है। परन्तु पूर्व दिन प्रदोष और अर्धरात्रि दोनों तथा पर दिन केवल प्रदोष के एक भाग में अमावस्या की प्राप्ति होने तथा दंडैक आदि से संगति नहीं होने पर पूर्व दिन ही दीपावली का पर्व मनाया जाना शत्रोचित है।

निष्कर्ष-  इस वर्ष पंचांगों में अमावस्या 31 अक्टूबर को पूर्ण प्रदोष काल में एवं 1 नवंबर को प्रदोष काल के कुछ भाग में ही प्राप्त हो रही है अतः ऐसी स्थिति में शास्त्रोक्त समग्र वचनों का अनुशीलन करते हुए 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। 

प्रो विनय कुमार पाण्डेय,

(समन्वयक, विश्वपंचांग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।)

सम्पर्क सूत्र – 9452197407, 7905002196

Leave A Comment