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लखनऊः कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय में ‘डोगरा कास्टिंग विधि’ से मेटल कास्टिंग कार्यशाला का शुभारंभ हुआ है। जो कि 2 मार्च से 10 मार्च तक चलेगी जिसमें बी.वी.ए. स्नातक व एम. वी. ए. स्नातकोत्तर के छात्र – छात्राओं सहित शिक्षकों ने कार्यशाला में भाग लिया है।
महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. रतन कुमार व कार्यशाला के आयोजक श्री आलोक कुमार जी ने कार्यशाला का शुभारंभ किया इस मौके पर विभाग के सभी शिक्षक व छात्र छात्राओं उपस्थित रहे।
कार्यशाला के प्रशिक्षक श्री अजय कुमार ने बताया कि ढोकरा कला, जिसे ढोकरा कला, डोगरा कला, घड़वा कला आदि के नाम से भी जाना जाता है, भारत में कारीगरों द्वारा सदियों से प्रचलित एक पारंपरिक धातु ढलाई तकनीक है। यह कला एक प्राचीन पारंपरिक कला है। इसका संबंध सिंधु घाटी सभ्यता के मोहनजोदड़ो की नर्तकी से है। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में प्रचलित एक भारतीय पद्धति है। यह कला भारत भर के विभिन्न समुदायों में उनकी परंपरा और संस्कृति को प्रतिबिंबित करने के लिए जानी जाती है। आदि जानकारी दी एवं मूर्तिशिल्प बनाना भी सिखाया । सभी प्रतिभागियों ने अपने मूर्तिशिल्प को बनाने की शुरुआत की।

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