आगराः डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया। जिस श्रृंखला में आज दिनांक 07 मार्च 2025 को विश्वविद्यालय महिला प्रकोष्ठ एवं भारतीय जान नाटय संघ के संयुक्त तत्वाधान में डॉ जितेन्द्र रघुवंशी (स्मृति कार्यक्रम) हो सके तो लौट के आना का आयोजन कॉंफ़्रेन्स हॉल संस्कृति भवन ललित कला संस्थान में किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो. आशु रानी के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. ज्योत्सना रघुवंशी ने किया। उन्होंने डॉ जीतेन्द्र रघुवंशी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। प्रो. विनीता सिंह ने डॉ जितेन्द्र रघुवंशी का विश्वविद्यालय में योगदान का वर्णन करते हुए कार्यक्रम का आरम्भ किया और महिला प्रकोष्ठ के किये गए कार्यों का भी वर्णन किया।

मुख्य वक्ता प्रो हरिवंश चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में डॉ रघुवंशी जी के परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के बारे में बताते हुए इपटा में उनके सहयोग का वर्णन किया, उन्होंने ये भी बताया कि डॉ रघुवंशी का असमय चले जाना हमारे लिए एक बड़ी क्षति है। उनका कहना था कि जेंडर असंतुलन को समाप्त करते हुए महिलाओं की सहभागिता को प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ाया जाये तभी हम 2047 में विकसित भारत के सपने को साकार कर सकेंगे। कार्यक्रम में 1952 में पूर्ण साक्षरता अभियान में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में डॉ रघुवंशी जी के योगदान को याद किया गया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में मि. डिम्पी मिश्रा एवं उनके साथियों ने डॉ. जितेन्द्र रघुवंशी जी द्वारा रचित नाटक हो सके तो लौट के आना का मंचन किया, डिम्पी जी बचपन से ही इपटा में शिष्य रहे है और दिल्ली में आई आई सी एस में अभिनय विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत है। कार्यक्रम का समापन श्रीमती भावना रघुवंशी ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। कार्यक्रम में प्रो. अचला गक्खड़, डॉ मोनिका अस्थाना, डॉ रत्ना पाण्डेय, डॉ अनुपमा गुप्ता, पूजा सक्सेना, एवं कनु प्रिया आदि उपस्थित रहे।