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अलीगढ़, 18 अप्रैलः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एसटीएस स्कूल द्वारा ‘सुरक्षित पृथ्वी के लिए जलवायु परिवर्तन और स्थिरता शिक्षा’ विषय पर एएमयू स्कूल प्रिंसिपल कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एएमयू के स्कूल शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर असफर अली खान और इलेक्ट्रीसिटी विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद रिहान ने चर्चा के लिए सहयोगात्मक माहौल तैयार किया। द क्लाइमेट रियलिटी प्रोजेक्ट इंडिया एंड साउथ के निदेशक आदित्य पुंडीर ने जलवायु परिवर्तन और स्थिरता शिक्षा पर बोलते हुए इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर छात्रों को शिक्षित करने की तात्कालिकता पर जोर दिया।

कॉन्क्लेव में विभिन्न एएमयू स्कूलों के प्राचार्यों की सक्रिय भागीदारी रही, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन और स्थिरता शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में एकीकृत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। शिक्षकों ने भी पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में छात्रों की समझ को आकार देने में अपने प्रभाव को उजागर करते हुए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अपने समापन भाषण में, एसटीएस स्कूल के प्रिंसिपल फैसल नफीस ने

एसटीएस स्कूल की आयोजन समिति में मोहम्मद तारिक, श्रीमती समीना यूसुफ खान और फरहान हबीब शामिल थे, जबकि श्रीमती गजाला तनवीर ने कार्यक्रम का संचालन किया।

एएमयू के मकैनिकल इंजीनियरिंग विभाग में क्यूआईपी सेंटर की स्थापना

अलीगढ़, 18 अप्रैलः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (क्यूआईपी) मान्यता प्रदान की गई है। यह मान्यता पूरे कॉलेज के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो शिक्षा और अनुसंधान दोनों में उत्कृष्टता के प्रति विभाग में हो रहे उत्कृष्ट शैक्षणिक व शोध कार्य को दर्शात्ी है।

नव स्थापित क्यूआईपी केंद्र मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के भीतर अनुसंधान माहौल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह विभिन्न इंजीनियरिंग क्षेत्रों में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, अंतःविषय सहयोग और ज्ञान साझा करने के केंद्र के रूप में काम करेगा। मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम मुजम्मिल ने कहा कि यह उपलब्धि हमारे लिये गर्व का विषय है। उन्होंने कहा है कि हमें अपने विभाग के भीतर एक क्यूआईपी केंद्र स्थापित करने के लिए एआईसीटीई की मंजूरी मिल गई है।

इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय के डीन प्रोफेसर सालिम बेग ने कहा कि क्यूआईपी केंद्र अकादमिक और अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा, जो हमारे छात्रों और शिक्षकों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सशक्त बनाएगा।

जेएचसीईटी के प्रिंसिपल प्रोफेसर एम सुफयान बेग ने कहा कि यह मान्यता इंजीनियरिंग शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में वैश्विक मान्यता की दिशा में कॉलेज की यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ती है।

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चार विभागों के अध्यक्ष कोर्ट सदस्य नियुक्त

अलीगढ़, 18 अप्रैलः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. इकबालुर रहमान, कानून विभाग के प्रो. मो. अशरफ, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के प्रो. जमाल ए. फारूकी और भूविज्ञान विभाग के प्रो. कुंवर फरहीम खान को अध्यक्ष पद के वरिष्ठता के आधार पर तत्काल प्रभाव से तीन साल की अवधि के लिए या जब तक वे अपने संबंधित विभागों के अध्यक्ष बने रहेंगे, विश्वविद्यालय कोर्ट का सदस्य नियुक्त किया गया है।

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अलीगढ़, 18 अप्रैलः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग की शोध छात्राओं इंशा अकबर, फरहानाज और अंजुम नाज़रीन ने उच्च रैंक (एआईआर 34), (एआईआर 86) और एआईटार 42)  के साथ नेट जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण की है। रसायन विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. जेबा एन. सिद्दीकी ने उन्हें उच्च रैंक के साथ नेट-जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए बधाई दी है।

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डा. आसिफ अली का मुगल वास्तुकला पर ऑनलाइन व्याख्यान

अलीगढ़, 18 अप्रैलः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक के आर्किटेक्चर सेक्शन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आसिफ अली ने क्लासिक प्लानिंग इंस्टीट्यूट, यूएसए द्वारा आयोजित ट्रेडिशनल आर्किटेक्चर गैदरिंग (टीएजी-24) में एक ऑनलाइन व्याख्यान दिया।

‘मुगल उद्यानों और इमारतों में जलवायु अनुकूलन तकनीक’ विषय पर व्याख्यान देते हुए हुए, उन्होंने मुगल वास्तुकला के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिसमें आंगन योजना, बाष्पीकरणीय शीतलन, प्राकृतिक वेंटिलेशन, थर्मल द्रव्यमान, छायांकन उपकरण, जाली (लेटिस स्क्रीन) और माइक्रॉक्लाइमेट नियंत्रण जैसे तत्वों पर ध्यान केंद्रित किया।

मानव गतिविधियों और प्रकृति के बीच संबंधों के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. अली ने अतीत में मौजूद मजबूत बंधन पर जोर दिया और बताया कि इसने वास्तुशिल्प डिजाइन को कैसे प्रभावित किया। यह सामंजस्य समय के साथ बाधित हो गया, जिससे अस्थिर विकास प्रथाओं को बढ़ावा मिला।

उन्होंने कहा कि मुगल उद्यान और इमारतें क्षेत्र की गर्म जलवायु परिस्थितियों की प्रतिक्रिया के रूप में उभरीं, जो माइक्रॉक्लाइमेट में सुधार और अधिक आरामदायक स्थान बनाने के समाधान प्रदर्शित करती हैं।

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