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अलीगढ़, 9 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने आज गुलिस्तान-ए-सैयद में वार्षिक पुष्प प्रदर्शनी-2024 का उद्घाटन किया। जिसमें लगभग 999 प्रविष्टियां दर्ज कराई गई हैं।

इस कार्यक्रम में सात विभिन्न श्रेणियों के तहत फूलों का प्रदर्शन किया गया है। वर्ग ए (विश्वविद्यालय, संस्थागत और निजी उद्यान) में 51 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई हैं जबकि बर्तनों में वार्षिक फूलों के वर्ग बी में 489 प्रविष्टियाँ कट फ्लावर्स फ्लावरिंग एनुअल्स के वर्ग सीए में 212 प्रविष्टियां, कट फ्लावर्स (गुलाब) के वर्ग सी में 43 प्रविष्टियां वर्ग डी सजावटी फूलों में 61, फ्लॉवर अरेंजमेंट्स के साथ वर्ग ई में 37 एंट्रीज और वर्ग एफ के तहत सकुलेंट्स, कैक्टि-बोन्साई, यूफोरबिया, पॉइन्सेटिया, बोगेनविलिया, बोनसाई और अन्य के साथ 106 एंट्रीज शामिल की गई हैं।

प्रदर्शनी में वाइस चांसलर लॉज, प्रो-वाइस चांसलर लॉज, रजिस्ट्रार लॉज, एसएस हॉल साउथ, सर सैयद हाउस, गेस्ट हाउस नंबर 1, 2 व 3, इंजीनियरिंग कालिज, कैनेडी हॉल, गणित विभाग, उर्दू विभाग, उर्दू एकेडमी, राजीव गांधी सेंटर फॉर डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी, गुलिस्तान-ए-सैयद, आरएएफ 104, अल-बरकात, वीएम हॉल, सर सैयद हाल मस्जिद, विक्टोरिया गेट नर्सरी, फारेन लैंग्वेजेज, मोलाना आजाद लाइब्रेरी, यूनिवर्सिटी सर्किल, आर्केलोजी विभाग, बोटनी विभाग, यूनिवर्सिटी किला, अलीगढ़ इंटरनेशनल स्कूल, अल राबे हाउस, प्रो. सादिया सईद (ए-1), होम साइंस विभाग, अल हम्द एग्रो फूड प्रोडक्ट प्रा. लि. सफिया अलमास, सेंटेनरी गेट सहित प्राइवेट गार्डन, इंस्टीट्यूशनल गार्डन और यूनिवर्सिटी गार्डन ने शिरकत की है।

इस दौरान एमआईसी भूमि और उद्यान प्रोफेसर जकी अनवर सिद्दीकी, डीन छात्र कल्याण प्रोफेसर रफीउद्दीन, प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली, प्रोफेसर अनवर शहजाद, प्रो. शकील अहमद, प्रो. आयशा फारूक, प्रो. नैयर आसिफ, प्रो. फरीद महदी, डा. शमीम अख्तर और डा. सबा हसन तथा डिप्टी एमआईसी डा. तारिक आफताब सहित विभिन्न संकायों के डीन और विभागों के अध्यक्ष सहित कॉलेजों के प्राचार्य इस अवसर पर उपस्थित रहे।

प्रदर्शनी का समापन 10 मार्च, 2024 को दोपहर 3.30 बजे पुरस्कार वितरण समारोह के साथ होगा।

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’हॉकी अंतर हाल प्रतियोगिता में वी एम हाल बना विजेता’

अलीगढ़, 9 मार्चः एएमयू हॉकी क्लब के तत्वाधान में आयोजित अंतर हाल हॉकी प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला वी एम हाल एवं एमएम हाल के बीच खेला गया 3-1 के स्कोर से वी एम हाल वर्ष 2024 के विजेता ट्रॉफी पर कब्जा जमाते हुए मैच जीत लिया । वी एम हाल की ओर से राहुल सिंह, ज़ैन एवं मोहम्मद सैफ ने एक-एक गोल किये । तथा एमएम हाल की ओर से कामरान ने एक गोल किये । उप विजेता एम एम हाल रहा ।

पुरस्कार वितरण में  मुख्य अतिथि एस पी  ट्रैफिक अलीगढ़ मुकेश चंद्र उत्तम एवं विशिष्ट अतिथि एएमयू हॉकी क्लब के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर जावेद अली खान ने संयुक्त रूप से विजेताओं को पुरस्कार वितरण किये। हॉकी क्लब के अध्यक्ष प्रोफेसर गुलाम सरवर हाशमी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए पौध एवं स्मृति चिन्ह भेंट किये ।

मुख्य अतिथि एस पी ट्रैफिक ने कहा कि खेलोगे तो खिलोगे , एएमयू की खेल सुविधा का लाभ यहां पढ़ने वाले छात्रों को उठाना चाहिए ।  सभी का धन्यवाद असिस्टेंट डायरेक्टर गेम्स कमेटी अरशद महमूद द्वारा किया गया ।  इस अवसर पर सैकड़ो छात्रों  सहित डॉ. आजम मीर , हुसैन वहीद, आसिफ झा, इश्तियाक अली, डाक्टर मंसूर, मजहर उल कमर सहित दर्जनों गणमान्य लोग उपस्थित थे । अंपायरिंग एएमयू हॉकी क्लब के कप्तान अजीम अहमद खान , मतिउर रहमान खान द्वारा किया गया । संचालन मोहम्मद क़ाब अरशद ने किया।

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हाॅर्स शो एक्वेस्टेरिया-24 का आयोजन

अलीगढ़, 9 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राइडिंग क्लब द्वारा ऐथलेटिक मैदान पर आयोजित 134वें वार्षिक हाॅर्स शो एक्वेस्टेरिया-24 समारोह में कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज, मुख्य अतिथि कोरडोवा ग्रुप एण्ड कम्पनीज़ के सीईओ जेडआई शेरवानी मानद् अतिथि, अमुवि रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान आईपीएस और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता श्री शुजाउद्दीन खान खुसरो तथा गेम्स कमेटी के सचिव प्रो. एस अमजद अली रिज्वी द्वारा विभिन्न प्रतियोगिता में विजयी 45 प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किये गये।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने और शो के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार से यह शो आयोजित किया गया है उसके लिये आयोजक बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि एएमयू के राइडिंग क्लब का अपना एक इतिहास है और यहां के छात्र व छात्रायें अपने प्रदर्शन से अपनी मातृ संस्था के नाम को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित कर रहे हैं।

मुख्य अतिथि कोरडोवा ग्रुप एण्ड कम्पनी के सीईओ जेडआई शेरवानी ने छात्रों के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी और क्लब को 5 लाख रूपये दिये जाने की घोषणा की।

अमुवि रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान, श्री शुजाउद्दीन खान और प्रो. एस अमजद अली रिज्वी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये।

राइडिंग क्लब के अध्यक्ष डा. वासिफ मोहम्मद अली ने उपस्थितजनों का स्वागत किया और राइडिंग क्लब के कप्तान बासिल हनफी ने उपस्थितजनों का आभार जताया।

हाॅर्स शो का प्रारंभ राइडिंग क्लब कोच इमरान खान शिबली द्वारा घोड़े पर ध्वजा रोहण के साथ हुआ। इसके बाद पोल बैंडिंग, व्यक्तिगत टेंट पैगिंग, टीम टेंट पैगिंग, मार्च पास्ट, शो जम्पिंग, बाल एण्ड बकेट, बाल पिकिंग, म्यूजिकल राइड, लैडीज हैक्स, मैन हैक्स, कैरट कटिंग और फैन्सी ड्रैस प्रतियागितायें आयोजित की गयीं। जिसमें 80 से अधिक छात्र व छात्राओं ने भाग लिया।

शो जम्पिंग में कप्तान बासिल हनफी, मार्च पास्ट में प्रथम पुरस्कार अल्तमश मुबश्शिर, ओपन लैडीज हैक्स में दिव्यानी सिंह, व्यक्तिगत टैंट पैगिंग में अब्दुल्लाह रईस, फैन्सी ड्रेस में चार वर्षीय अमायरा, बाल एण्ड बकेट में तारिक खान, बाल पिकिंग में मोहम्मद आदी म्यूजिकल चैयर (ब्वायज) में मोहम्मद शुऐब, माउन्ट एण्ड डिस्माउंट राइट में मोहम्मद जुनैद खान, पोल बैंडिंग में मिर्जा उमर बेग, कैरट कटिंग में ताहा अब्दुल्लाह, मैन हैक्स में मोहम्मद उमैर खान, पोल बैडिंग (गल्र्स) में हूरैन अली रिज़्वी तथा टीम टैंट पैगिंग में उमैर खान, जुनैद खान और हुज्जत रजा की टीम को प्रदान किया गया।

निर्णायक मण्डल में पूर्व राइडिंग क्लब कप्तान, असद यार खान, एमबीए विभाग के प्रो. मोहम्मद नवेद खान और पूर्व कप्तान एसआरके शेरवानी शामिल थे।

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एएमयू के प्रोफेसर द्वारा आईएसडीएल में व्याख्यान प्रस्तुत

अलीगढ़ 9 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर एम.जे. वारसी ने इंटरनेशनल स्कूल ऑफ द्रविड़ लिंग्विस्टिक्स (आईएसडीएल), तिरुवनंतपुरम, केरल में ‘मातृभाषा, बहुभाषावाद और एनईपी-2020’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि मातृभाषा एक बच्चे के संज्ञानात्मक और बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसे अधिक संवेदनशील और सूक्ष्म दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए नीति विकास में प्राथमिकता देने की आवश्यकता है जो शिक्षार्थियों की अद्वितीय भाषाई और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखती है।

उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 का मुख्य उद्देश्य छात्रों को आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करके भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाना और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षाविदों और उद्योग में जनशक्ति की कमी को दूर करना है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे कि बच्चे द्वारा बोली जाने वाली भाषा और शिक्षण के माध्यम के बीच मौजूद किसी भी अंतर को पाट दिया जाए।

उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 के अनुसार, तीन भाषाओं में से कम से कम दो भाषाएं देश की मूल भाषा होनी चाहिए, जिनमें से एक स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा होने की सबसे अधिक संभावना है।

उन्होंने बताया कि किसी ज्ञात भाषा में सीखने से सभी आयु समूहों के शिक्षार्थियों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है।

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रबर डैम अनुप्रयोग पर डेंटल कालिज में डा. स्वाति का व्याख्यान आयोजित

अलीगढ़ 9 मार्चः इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल एजुकेशन एंड एडवांस स्टडीज, ग्वालियर (एमपी) की डॉ. स्वाति शर्मा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डॉ. जेड.ए. डेंटल कॉलेज के प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग में ‘रबर डैम एप्लीकेशन’ विषय पर कौशल विकास व्याख्यान प्रस्तुत किया, और प्रतिभागियों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण का संचालन भी किया जिससे उन्हें शारीरिक मॉडल और रोगियों पर रबर डैम प्लेसमेंट सीखने में सक्षम बनाया गया।

उन्होंने कहा कि नई पुनर्स्थापनात्मक दंत चिकित्सा सामग्री के आगमन के साथ, दंत विशेषज्ञों को लार, रक्त और क्रॉस-संक्रमण के संदूषण को रोकने के लिए विभिन्न अलगाव तकनीकों में महारत हासिल करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब छात्र विभिन्न देशों में दंत चिकित्सा का अभ्यास करने का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए विभिन्न परीक्षाओं में शामिल होते हैं, तो यह आवश्यक होता है कि उनके पास मरीजों की मौखिक गुहा में रबर डैम लगाने का कौशल हो।

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एएमयू शिक्षक द्वारा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में व्याख्यान प्रस्तुत

अलीगढ़ 9 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के डॉ. जेड.ए. डेंटल कॉलेज के बाल चिकित्सा एवं निवारक दंत चिकित्सा विभाग के डॉ. मोहम्मद आतिफ द्वारा हाल ही में हैदराबाद में आयोजित साउथ एशियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।

अपनी प्रस्तुति में, डॉ. आतिफ ने पीडियाट्रिक चिकित्सा दंत चिकित्सा में परिमित तत्व विश्लेषण के अनुप्रयोगों और दंत अनुसंधान में इसके भविष्य पर प्रकाश डाला।

उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली में ‘दंत अनुसंधान में व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण‘ पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में एक संसाधन व्यक्ति के रूप में भी एक सत्र का संचालन किया, जिसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को प्रशिक्षण प्रदान करना था। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला से प्रतिभागियों को आधुनिक दंत चिकित्सा पद्धतियों का ज्ञान होगा और उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान करने में मदद मिलेगी।

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर साइमा यूनुस खान ने डॉ. आतिफ की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि दंत चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को दंत अनुसंधान में उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग से अवगत रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यवस्थित समीक्षाओं को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि कई अध्ययनों के संकलन का उपयोग रोगी देखभाल को बढ़ाने और बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।

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बुजुर्गों के कल्याण पर आयोजित सेमिनार संपन्न

अलीगढ़, 9 मार्चः ‘भारत में बुजुर्गों की भलाईः मुद्दे, चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न हो गयी। राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (एनआईएसडी), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित सेमिनार में शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

सेमिनार निदेशक और सामाजिक कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर नसीम अहमद खान ने स्वागत भाषण दिया जबकि पूर्व डीन प्रो. नूर मोहम्मद ने सत्र की अध्यक्षता की।

मुख्य अतिथि सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर मिर्जा असमर बेग ने आयोजन टीम की उनके प्रयासों के लिए सराहना की और सेमिनार चर्चाओं के आधार पर एक नीति दस्तावेज संकलित करने का सुझाव दिया। डॉ. मसूद अहमद (राब्ता समिति) ने छात्रों के साथ जुड़ने के अवसर की सराहना की और बुजुर्गों के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करने पर केंद्रित पहलों के बारे में विस्तार से बताया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी की रिपोर्ट आयोजन सचिव मोहम्मद उजैर द्वारा प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में सेमिनार के व्यापक दायरे पर प्रकाश डाला गया, जिसमें 7 ऑफलाइन सत्र, 10 ऑनलाइन सत्र और कानूनी और नैतिक मुद्दों, स्वास्थ्य देखभाल, प्रौद्योगिकी और उम्र बढ़ने से संबंधित आर्थिक चिंताओं जैसे विभिन्न विषयों को शामिल करने वाले 200 से अधिक पेपर प्रस्तुतियां शामिल हैं।

गलगोटिया विश्वविद्यालय, नोएडा की एसोसिएट प्रोफेसर, (सुश्री) रुचि ने वृद्धावस्था मुद्दों पर अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए आभार व्यक्त किया। विलेजेज इन पार्टनरशिप (वीआईपी), तेलंगाना के कार्यकारी निदेशक श्री टी. नागेंद्र स्वामी ने फीडबैक साझा किया और बुजुर्गों के बीच सकारात्मकता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया।

सत्र का समापन आयोजन सचिव डॉ. अंदलीब द्वारा प्रायोजकों, एनआईएसडी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, हेल्प-एज इंडिया और सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. एक्सल क्लेडॉन द्वारा व्याख्यान

अलीगढ़, 9 मार्चः मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर बायोजियोकेमिस्ट्री के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. एक्सल क्लेडॉन ने ‘पावरिंग द प्लैनेटः हाउ थर्मोडायनामिक्स शेप्स क्लाइमेट, हाइड्रोलॉजिकल साइक्लिंग, एंड लिमिट्स टू रिन्यूएबल एनर्जी’ विषय पर अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में एक व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए थर्मोडायनामिक्स और पृथ्वी की प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं के बीच जटिल संबंधों पर प्रकाश डाला, जिसमें जलवायु, हाइड्रोलॉजिकल साइक्लिंग, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रह पर मानव गतिविधियों का प्रभाव शामिल है। उन्होंने ऊष्मप्रवैगिकी के नियमों द्वारा शासित ऊर्जा रूपांतरण पर जोर दिया जो बड़े पैमाने पर जीवन, मानव समाज और पृथ्वी प्रणाली की कार्यप्रणाली को निर्देशित करता है।

डॉ. क्लेडॉन ने ऊर्जा सिद्धांत के संरक्षण और ऊर्जा रूपांतरण को निर्देशित और बाधित करने में एन्ट्रापी के महत्व को रेखांकित किया।

और विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की अलग-अलग संसाधन संभावनाओं को समझाया, और टिकाऊ ऊर्जा विकल्प बनाने में इन सीमाओं को समझने के सर्वोपरि महत्व पर जोर दिया।

व्याख्यान के समापन पर हितधारकों से ऊर्जा योजना और नीति निर्माण में थर्मोडायनामिक विचारों को शामिल करने का आग्रह किया गया।

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प्रौढ़ शिक्षा एवं सतत विस्तार केन्द्र द्वारा खाद्य एवं हस्तशिल्प वस्तुओं का प्रदर्शन

अलीगढ़ 9 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रौढ़ शिक्षा एवं सतत विस्तार केन्द्र द्वारा आज केन्द्र में प्रशिक्षण हासिल कर रहे शिक्षार्थियों द्वारा बनाई गई खाद्य एवं हस्तशिल्प वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि वीमेन्स कालिज की प्राचार्या प्रो. नईमा खातून ने किया।

प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं की प्रशंसा करते हुए प्रो. नईमा गुलरेज ने कहा कि प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र जिस प्रकार से शिक्षा से वंचित युवक-युवतियों को शिक्षा के साथ स्वावलंबी बनने के लिए इस प्रकार का प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है वह भारत सरकार द्वारा आत्म निर्भर बनाये जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं

केन्द्र के निदेशक डा. शमीम अख्तर ने बताया कि केन्द्र में अचार, जैम व स्कैवश बनाने के साथ सिलाई, कढ़ाई का भी प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि युवक-युवतियां स्वयं का कारोबार शुरू कर सकें। उन्होंने बताया कि केन्द्र में प्रशिक्षित लोगों द्वारा प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया।

इस अवसर पर वीएम हाल के प्रोवोस्ट डा. अब्दुस समद, सामाजिक कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. नसीम अहमद खान, हबीब हाल के प्रोवोस्ट प्रो. मोहम्मद इकबाल, कम्यूनिटि मेडिसिन विभाग के प्रो. नजम खलीक, विधि विभाग के प्रो. शकील अहमद और एमबीए के डा. आसिफ अख्तर आदि भी मौजूद रहे।

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कृष्णा सोबती का लेखन महाकाव्यात्मक विन्यास की मिसाल हैः सैयद मोहम्मद अशरफ

अलीगढ़ 9 मार्चः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कला संकाय सभागार में हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में उर्दू के मशहूर कथाकार सैयद मोहम्मद अशरफ ने कहा कि कृष्णा सोबती का लेखन महाकाव्यात्मक विन्यास की मिसाल है। वह लेखिका के बजाय लेखक कहना पसन्द करती थीं।

‘कृष्णा सोबती की सर्जनात्मकता के विविध आयाम’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में उद्घाटन वक्तव्य देते हुए बादे सबा का इंतजार सा कुछ कृति के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और पूर्व आयकर आयुक्त सैयद मोहम्मद अशरफ ने कृष्णा सोबती के बारे में विस्तार से व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह जब जब कृष्णा सोबती को पढ़ते हें तो उन्हें उर्दू की कथाकार वाजिदा असद कुर्रतुल ऐन हैदर इस्मत चुगताई की याद आती है। उन्होंने अपना एक व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए कहा कि उनकी एक कहानी का शीर्षक है ‘डार से बिछुड़ा’ जबकि कृष्णा सोबती के एक उपन्यास का शीर्षक है ‘डार से बिछुड़ी’ जिसके बारे में उनके साथियों ने कहा कि कृष्णा सोबती इस वजह से बहुत नाराज है और वह उनसे मिलना चाहती हैं। बहरहाल वह कृष्णा सोबती से मिले और बहुत अच्छा अनुभव रहा।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफेसर और अधिष्ठाता प्रो. कुमार पंकज ने कहा कि कृष्णा सोबती के साहित्य का पुर्नः पाठ करना चाहिये। उन्होंने कहा कि कृष्णा सोबती पर लिखना बहत चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि साब्दिक पैतरों से लोहा लेना बहुत मुश्किल था, उनको दुशमन के बगैर जीने का आदत नहीं थीं।

उद्घाटन सत्र में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. आरिफ नजीर ने कहा कि कृष्णा सोबती का सांस्कृतिक परिवेश बहुत विस्तृत है, जिन्दी नामा में गुरू गोविन्द सिंह की पंक्ति को उद्धृत करते हुए उन्होंने कृष्णा सोबती के साहित्य पर प्रकाश डाला। उद्घा सत्र के शुरू में अतिथियों का स्वागत हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. आशिक अली ने किया। इस सत्र में हिन्दी विभाग के दो अध्यापकों डा. गुलाम फरीद साबरी और डा. नीलोफर उस्मानी की पुस्तक और कृष्णा सोबती पर केन्द्रित हिन्दी विभाग की पत्रिका अभिनव भारती के नये अंक का विमोचन हुआ। जबकि इस संगोष्ठी की संयोजिका प्रो. तसनीम सुहैल ने इस संगोष्ठी की रूपरेखा पर विस्तार रूप से प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन हिन्दी विभाग के प्रो. शंभुनाथ तिवारी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. इफ्फत असगर ने किया।

पहले अकादमिक सत्र में प्रो. मैराज अहमद ने विभाजन के संदर्भ में कृष्णा सोबती के साहित्य का मूल्यांकन प्रस्तुत किया और उनके उपन्यास के साथ-साथ उनकी कहानियों में आये लोक जीवन के सम्बन्ध में विश्लेषण किया। जबकि डा. पंकज पराशर ने जिन्दगी नामा के साथ-साथ उनके पूरे रचनात्मक अवधान पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कृष्णा सोबती की मानसिक बनावट जिस तरह की थी उसमें किसी तरह की साम्प्रदायिकता का संकीर्णता की कोई जगह नहीं। इस सत्र में वीमेन्स कालिज की डा.. शगुफ्ता नियाज़ और नाजिश बेगम ने भी अपने पेपर प्रस्तुत किया। जबकि हिन्दी विभाग से डा. सना फातिमा ने अपना पत्र प्रस्तुत किया।

अध्यक्षता हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा. रमेश चन्द ने की जबकि संचालन प्रो. देवेन्द्र कुमार गुप्ता ने किया।

दूसरे अकादमिक सत्र में अध्यक्षता प्रो. प्रदीप कुमार सक्सैना और राजीव लोचन नाथ शुक्ल ने की और विशिष्ट वक्ता अंग्रेजी विभाग के वर्तमान अध्यक्ष प्रो. आसिम सिद्दीकी, मुख्य वक्ता धर्म समाज कालिज, अलीगढ़ के सेवानिवृत प्रो. प्रेम कुमार थे और संचालन डा. सामिया बानो ने किया।

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एमबीए विभाग द्वारा कार्यशाला का आयोजन

अलीगढ़ 9 मार्चः आईसीएसएसआर, नई दिल्ली के सहयोग से ‘डिजीटल ट्रांसफोरमेशन इन हायर एजूकेशन इंस्टीटयूशन और स्टेकहोलडर इंगेजमेंटः पर्सपेक्टिव, चैलेंजेज, और वे फारवर्ड’ विषय पर एक कार्यशाला बिजनेस एडमिनिस्टेशन विभाग द्वारा आयोजित की गई। इस कार्यशाला में उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल परिवर्तन के विकसित परिदृश्य का पता लगाने और चर्चा करने के लिए शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने भाग लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर मिर्जा असमर बेग थे, जबकि बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जमाल ए फारूकी ने स्वागत भाषण दिया। कार्यशाला के संरक्षक एएमयू के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज थे। आईसीएसएसआर प्रोजेक्ट के समन्वयक प्रोफेसर मोहम्मद नावेद खान ने प्रतिभागियों को परियोजना के उद्देश्यों और निष्कर्षों से परिचित कराया। प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी (अमेरिकन फिक्शन एंड लिटरेरी थ्योरी के विशेषज्ञ और अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष) ने पैनल चर्चा के दौरान अपनी अंतर्दृष्टि साझा की और उच्च शिक्षा में डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रो. अकरम खान (डीन, कृषि संकाय), प्रो. एम सालिम बेग (मोबाइल चैनलों पर डिजिटल संचार के विशेषज्ञ और रैंकिंग समिति के अध्यक्ष), प्रो. मुजीब उल्लाह जुबेरी (परीक्षा नियंत्रक), प्रो. आसिम जफर (यूजीसी स्वायम समन्वयक और पूर्व अध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान विभाग), प्रो. एम मुजम्मिल (अध्यक्ष, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग), प्रो. अरमान रसूल फरीदी (अध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान विभाग), प्रो. बी बी सिंह (प्रोवोस्ट, एनआरएससी और पूर्व अध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग), डॉ. सलमा शाहीन (कंप्यूटर विज्ञान सूचना प्रणाली में विशेषज्ञ, वीमेन्स पॉलिटेक्निक), प्रो. नसीम अहमद खान (अध्यक्ष, सामाजिक कार्य विभाग), प्रो. अफीफुल्लाह खान (पूर्व अध्यक्ष, वन्य जीवन विभाग), प्रो. वलीद ए अंसारी (पूर्व डीन, एफएमएसआर, जो व्यवहारिक वित्त में विशेषज्ञ हैं), प्रो. मोहम्मद आसिम सिद्दीकी, (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग), प्रो. शीबा हामिद (राष्ट्रीय ग्रामीण पर्यटन परिषद की सदस्य, वाणिज्य विभाग), प्रो. आयशा मुनीरा रशीद (विशेषज्ञ तुलनात्मक साहित्य और लिंग अध्ययन, अंग्रेजी विभाग), प्रोफेसर मोहम्मद शादाब खान (वाणिज्य विभाग), डॉ नैय्यर रहमान (वाणिज्य विभाग), डॉ मुसव्विर अली (विशेषज्ञ जनरल रिलेटिवली, गणित विभाग और एक्जीक्यूटिव कौन्सिल के सदस्य), प्रोफेसर सलमा अहमद (ज्ञान प्रबंधन और सूचना प्रणाली में विशेषज्ञ, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग), डॉ. नौशाबा अंजुम (विशेषज्ञ पश्चिमी दर्शन और अस्तित्ववाद, दर्शनशास्त्र विभाग), डॉ. एस कलीम जैदी (स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में विशेषज्ञ) , प्रोफेसर फैसल हसन, प्रोफेसर एसके. एहतेशाम उद्दीन, प्रोफेसर फिजा बस्सुम आजमी, डॉ जफर इफ्तिखार, डॉ असद रहमान, डॉ आसिफ अली सैयद, डॉ मोहम्मद अफाक खान, डॉ तारिक अजीज, डॉ लमयबिन-साबिर, डॉ अहमद फराज खान ने कई दौर की चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनकी बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और सहयोगात्मक भावना ने चर्चा को समृद्ध किया, जिससे यह आयोजन सभी के लिए एक सार्थक अनुभव बन गया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में प्रोफेसर मोइनुद्दीन (बायोकेमसिट्री विभाग, जेएनएमसी और सदस्य एक्जीक्यूटिव कौन्सिल), प्रो. आफताब आलम (अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सामरिक और सुरक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष), डॉ नसीम अहमद खान (निदेशक, सीपीईसीएएमआई और पूर्व अध्यक्ष, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग), डॉ आजम मीर खान (आॅनरेरी जनरल सेकरेट्री, एएमयू ओल्ड बॉयज एलुमनाई एसोसिएशन) शामिल हैं।

अन्य गणमान्य व्यक्ति जिन्होने कार्यशाला में भाग लिया उनमें डॉ. वासिफ अली (सर्जरी विभाग, जेएनएमसी, और अध्यक्ष, एएमयू राइडिंग क्लब), प्रोफेसर शादाब बानो (इतिहास विभाग), प्रोफेसर सैयद अली नवाज जैदी (कानून विभाग और डिप्टी प्रॉक्टर), और डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी (भूगोल विभाग और संयुक्त सचिव, अल बरकात एजुकेशनल सोसाइटी), श्री अदनान खलील (उद्यमी), श्री इजहार खान (उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता),श्री गोपाल कृष्ण जौहरी (अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय), श्री बीपी शर्मा (अधिवक्ता), श्री एच आर सिंह (अधिवक्ता), श्री अंबर जैदी और श्री शारिक आजम (मार्केटिंग मैनेजर दवाखाना तिब्बिया कॉलेज) शामिल हैं।

कार्यशाला में हितधारक जुड़ाव और संतुष्टि के महत्वपूर्ण पहलू पर चर्चा की गई, और यह भी जांच की गई कि छात्र, संकाय प्रशासक, और नीति निर्माता कैसे प्रभावित हो रहे हैं और उच्च शिक्षा के संदर्भ में भारत सरकार की चल रही डिजिटल इंडिया पहल में योगदान दे रहे हैं। प्रतिभागियों ने उच्च शिक्षण संस्थानों में डिजिटल परिवर्तन से संबंधित विषयों के व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करते हुए गहन चर्चा की। कार्यशाला ने उच्च शिक्षा में डिजिटल प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने के लिए अनुभवों, सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन रणनीतियों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया। उपस्थित लोगों ने कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लियाजिसमें डिजिटल परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों की पहचान की गई और भविष्य के लिए प्रभावी समाधानों और रणनीतियों पर सामूहिक रूप से विचार-मंथन किया गया। कार्यशाला एक दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ संपन्न हुई, जो संस्थानों को उभरते शैक्षिक डिजिटल परिदृश्य को नेविगेट करने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

डॉ अरहम अदनान (आईसीएसएसआर पोस्ट-डॉक्टरल फेलो) और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के अन्य शोध विद्वान, अर्थात् श्री इदरीस, श्री तारिक, सुरेश भारद्वाज, श्री नाजिश, सुश्री आलिया, सुश्री सादिया, श्री फैज, सफदर, ओमामा, उज्मा, जेबा, शेरिन और ज्योतिर ने कार्यशाला के सुचारू संचालन में सहयोग दिया।

आईसीएसएसआर प्रोजेक्ट टीम में प्रो. जया भसीन, डॉ. शाहिद मुश्ताक, डॉ. मोहम्मद दानिश किरमानी, डॉ. असद अहमद, डॉ. ओबैदुर रहमान, डॉ. फरहीन मुजीब खान, मोहम्मद अनस, समीर खान और निधि शामिल हैं, जिनका नेतृत्व प्रो. मोहम्मद नवेद खान, समन्वयक, आईसीएसएसआर प्रोजेक्ट ने किया ने उन सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने कार्यशाला में महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान किए और कार्यशाला की सफलता में योगदान दिया।

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