इलाहाबादः किसी व्यक्ति की तुलना अन्य व्यक्ति से करना उचित नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति अलग तरीके से खास है। गांधी जी से हमेशा मन प्रेरित रहा, स्कूली शिक्षा के दौरान कोई गांधी भवन जैसी जगह नहीं थी जहां हम ग़ांधी जी से रूबरू होते। ये बातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति महोदया ने गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान में कहीं। अवसर था गांधी भवन के स्थापना दिवस के अवसर पर अयोजित समारोह का।
उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से मैं फाइलों में इस संस्थान में आयोजित विभिन रचनात्मक कार्यक्रम की सूचना मिलती थी। आज अवसर मिला इस संस्थान में आने का। गांधी भवन आने का मन बहुत दिनों से था क्योंकि मुझे खबर थी कि ये संस्थान गांधी के विचार, मूल्य एवं दर्शन के माध्यम से निरंतर विद्यार्थियों हेतु कार्यक्रम कराता आ रहा है, जिससे विद्यार्थियों को प्रेरणा मिल रही है।
इस अवसर पर गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान और राजभाषा अनुभाग के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सहयोग से बांग्ला और अंग्रेजी से हिंदी में अनूदित किताबों का विमोचन हुआ। कुलपति महोदया ने कहा कि यह सुखद अनुभव है कि विश्वविद्यालय के सहयोग से अनूदित किताबें बच्चों के लिए तो प्रेणादायक हैं ही ये हमारे लिए भी उतनी ही उपयोगी हैं। हमारे अपने कैम्पस में तैयार इन किताबों में हमारे शिक्षक, कार्मिक और विद्यार्थियों की मेहनत, उनकी लोकभाषा, आधुनिकता की महक मुझे महसूस होती है। सीखने के लिए हमें किताबें खरीद कर पढ़नी चाहिए। किताबें हमारी सच्ची मित्र होती हैं,और जब किताबें हमारे युवा जीवन की कहानियों से संबंधित हों तो वह हमें समय की सैर करातीं हैं।
कार्यक्रम का आरम्भ राजकीय अभिलेखागार,द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए आपने कहा कि महात्मा गांधी की यह दुर्लभ प्रदर्शनी आज के युवा को जरूर देखनी चाहिए, समझनी चाहिए। गांधी को हमें अपने जीवन में भी अवश्य उतारना चाहिए। मैंने महात्मा गांधी को अपने जीवन और कार्यक्षेत्र में उतारा है। गांधी भवन को भी खूब बधाई संस्थान के निदेशक प्रोफेसर संतोष भदौरिया जी को भी बधाई जिन्होंने महात्मा गांधी के जीवन, विचार और दर्शन को केंद्र में रखकर इस संस्थान को अब जीवंत बना दिया है।
कार्यक्रम की अध्ययक्ष वरिष्ठ गांधीवादी डॉ संतोष गोइंदी जी ने माननीय कुलपति महोदया को पुस्तक भेंट करते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति होने की बधाई दी। इस तरह के कार्यक्रम गांधीवादी विचारों को लोगों तक पहुंचने में बहुत बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं । हर व्यक्ति का अंतःकरण शुद्ध होता है । महात्मा गांधी ने अपने विरोधियों का अन्तःकरण जगा कर ही सही किया। मैकाले शिक्षा नीति ने हम भारतीयों को दास बनाने के लिए हममें हीनभावना भरी गांधी जी ने हमें इस हीनभावना से मुक्ति दिलाई ।महात्मा गांधी को समर्पित इस कार्यक्रम में इतने युवा चेहरों को देखकर बहुत खुशी हो रही है। मुझे यह जानकर खुशी है कि युवाओं में महात्मा गांधी की समझ पैदा करने का काम नाटक, कविता, पोस्टर निर्माण, किताब पर बात, फ़िल्म प्रदर्शन आदि के माध्यम से प्रतियोगिताओं के माध्यम संस्थान कर रहा है।उन्हें साधुवाद है।
इससे पूर्व संस्थान के निदेशक प्रो. संतोष भदौरिया जी ने माननीय कुलपति महोदया का संस्थान की ओर से अभिनंदन किया और संस्थान के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए बताया कि संस्थान का आज स्थापना दिवस है। 06 फरवरी 1961 में इस संस्थान की नींव महाराष्ट्र के तत्कालिक राज्यपाल श्री प्रकाश ने रखी । उन्होंने बताया कि संस्थान में देश के अनेक गांधीवादी विचारको, साहित्यकारों ने दौरा किया।इसके बाद पिछले दो सालों की सांस्कृतिक और एकेडमिक गतिविधियों की संक्षिप्त जानकारी दी।
कार्यक्रम की शुरुआत संगीत विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ विशाल जैन जी के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने संगीतमय प्रस्तुति दी । महात्मा गांधी से संबंधित गीतों की प्रस्तुति के बाद औपचारिक रूप से कार्यक्रम शुरू हुआ।
धन्यवाद ज्ञापन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव और राजभाषा समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर नरेंद्र कुमार शुक्ला ने दिया। संचालन गांधी विचार एवं शांति अध्ययन संस्थान की सहायक आचार्य डॉक्टर तोशी आनंद ने किया।
कार्यक्रम की समाप्ति महात्मा गांधी के भजन की प्रस्तुति और राष्ट्रगान के साथ हुआ।
इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज के शिक्षक कर्मचारी एवं अत्यधिक संख्या में छात्राएं उपस्थित रहे।