आयुर्वेद की बढ़ती लोकप्रियता के मध्य कुछ समाज के कुछ स्वार्थी तत्वों ने आयुर्वेद औषधियों के भ्रामक विज्ञापन जिसमें बढ़ चढ़ कर किसी भी रोग को ठीक कर देने का भ्रामक विज्ञापन सोशल,इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया देकर जनता का आर्थिक शोषण, शारीरिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव और मानसिक तनाव दे रहे हैं।

काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय के रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर आनन्द चौधरी पिछले 15 वर्षों से निरन्तर आयुर्वेदिय औषधियों के भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसने के स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक आवाज उठाते रहे हैं। प्रोफेसर आनन्द चौधरी की शैक्षणिक एवं प्रशासनिक विशेषज्ञता और सक्रियता को मान्यता देते हुए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने उन्हें आयुर्वेद औषधियों के गुणवत्ता निर्धारण एवं परीक्षण की समिति में सदस्य/अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अवसर प्रदान करती रही है।

इन विषय विशेषज्ञों के अनुमोदन पर आयुष मंत्रालय ने औषधि एवं प्रसाधन नियमावली के नियम 170 के अन्तर्गत आयुर्वेदिय औषधियों के विज्ञापन के निर्देश 2018 में ही जारी कर दिए थे। यदि इन निर्देशों का पालन आयुर्वेद औषधि निर्माता करें तो मरीज का लाभ मिल सकता है। किन्तु आर्थिक लाभ के लिये कुछ औषधि निर्माता इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। फल स्वरूप सामान्य जनता एवं मरीज इनके वजन घटाने, लम्बाई बढ़ाने, बालों का झड़ना को रोकना, शुगर लेवल , बवासीर ठीक करने के साथ किसी भी तरह के कैंसर को ठीक कर देने के भ्रामक दावों का शिकार बन ठगी जा रही है। इसमें जनता को दोहरा नुकसान हो रहा है। रुपया पैसा के साथ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का क्षरण हो रहा है।

प्रोफेसर आनन्द चौधरी एवं देश के कई मूर्धन्य विद्वानों के सुझाव पर हाल ही में 30 मई 2025 को सामान्य स्वस्थ्य जनता एवं मरीजों के हितों की रक्षा हेतु माननीय केंद्रीय आयुष मंत्री श्री प्रताप राव जाधव जी ने “आयुष सुरक्षा” पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर कोई भी भ्रामक विज्ञापनों से पीड़ित मरीज या व्यक्ति उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर गम्भीर अपराध कर रही कम्पनी की शिकायत घर बैठे आयुष सुरक्षा पोर्टल पर कर सकते हैं। जो इस प्रकार है https://suraksha. ayush.gov.in

आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि आप सभी लोकतंत्र के सजग प्रहरी जनता के स्वास्थ्य को और सबल बनाने की एक अत्यन्त प्रभावी जिम्मेदार भूमिका निभाते हुए इस आयुष सुरक्षा पोर्टल के लॉन्च होने की जानकारी पूर्वांचल के अपने संवेदन शील और जागरूक पाठकों/श्रोताओं को उपलब्ध करावे।

मैं आपका आभारी होऊंगा।

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औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 को आयुष उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिये बनाया गया है।

आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के विज्ञापन को विनियमित करने के लिये नियम 170 को वर्ष 2018 में प्रस्तुत किया गया था, जिसके तहत निर्माताओं को राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों से अनुमोदन तथा एक विशिष्ट पहचान संख्या प्राप्त करना आवश्यक था।

इस नियम का उद्देश्य आयुष उत्पाद विज्ञापनों में झूठे या बढ़ा-चढ़ाकर दावे करने, अश्लील सामग्री रखने या सरकारी निकायों का उल्लेख करने से रोकना है।

नियम के अनुसार निर्माताओं को पाठ्य संदर्भ, औचित्य, संकेत, सुरक्षा, प्रभावशीलता और गुणवत्ता जैसे विवरण प्रस्तुत करने होंगे।

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जागरूक नागरिक किसी भी आयुर्वेदिय औषधि या अस्पताल में इन नियमों का उल्लंघन होते हुए पाए तो आयुष सुरक्षा पोर्टल पर इसकी शिकायत अवश्य करें।

आप सभी मीडिया के पदाधिकारी और जागरूक जनता के सहयोग से ही हम इन जीवन हानि के जिम्मेदार ठगों को रोक सकते हैं।

मै आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा जी का भी नमन वन्दन करते हुए आभार प्रकट हुए साधु वाद अर्पित करता हूं कि उनके कुशल नेतृत्व में हम सभी वैज्ञानिक युगानुरूप आयुर्वेद की स्थापना हेतु सक्षम हो पा रहे हैं।

अग्रिम धन्यवाद

भवदीय

आनन्द चौधरी

प्रोफेसर

रस शास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग

आयुर्वेद संकाय

चिकित्सा विज्ञान संस्थान

काशी हिन्दू विश्व विद्यालय

अध्यक्ष, वैज्ञानिक सलाहकार समिति औषधि विकास, सी सी आर ए एस, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार।

पूर्व क्षेत्रीय समन्वयक, उत्तर भारत, क्षेत्रीय फार्माकोविजिलेंस केन्द्र।

सम्पर्क

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