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वसुधा के 102वें अंक में पढ़िए-

विष्णु नागर, मनोज कुलकर्णी, राजा सिंह और मौलश्री सक्सेना की कहानियाँ। असद ज़ैदी, मोहन कुमार डहेरिया, आरती, कुमार विश्वबन्धु, शंकरानंद, सुरेश शर्मा, रूपम मिश्र, उर्मिल मोंगा, नीतिशा खल्खो, पूजा यादव और पीयूष तिवारी की कविताएँ।

लॉकडाउन का विश्लेषण करते भाषाविद गणेश देवी के लेख का ओम प्रकाश शर्मा द्वारा अनुवाद। महान फ़िल्मकार श्याम बेनेगल का परंजॉय गुहा ठाकुरता द्वारा लिया गया साक्षात्कार। स्मृतिशेष वरिष्ठ कवि मलय का अंतिम साक्षात्कार दिनेश भट्ट द्वारा।

ख्वाजा अहमद अब्बास के नेहरू के साथ पहली मुलाक़ात से आख़िरी मुलाक़ात तक के संस्मरणों की लिप्यंतरित प्रस्तुति रेयाज़ अहमद द्वारा।

समकालीन प्रसंगों पर शिक्षा नीति के साम्प्रदायीकरण पर लिखे गए पीटर रोनाल्ड डिसूजा के लेखों का अनुवाद और संयोजन संदीप कुमार द्वारा। दुनिया में जारी युद्धों के बरअक्स युद्ध विरोधी आंदोलन की ज़रूरत को रेखांकित करता अर्चिष्मान राजू का आलेख।

भाषांतर के अंतर्गत अर्जुमंद आरा द्वारा अनुवादित यूसुफ़ शारोनी की मिस्री-अरबी कहानी, अरुण कमल द्वारा अनुवादित लातिन-अमेरिकी कविताएँ, उज्जवल भट्टाचार्य द्वारा अनुवादित निकोनार पार्रा की लम्बी कविता, तस्लीमा नसरीन के लेख का उत्पल बैनर्जी द्वारा और गुरमीत कड़ियालवी की कहानी का राजेंद्र तिवारी द्वारा किया गया अनुवाद।

फ़िलिस्तीन पर विशेष सामग्री के तहत अदनान कफ़ील दरवेश की कविताओं के साथ ही मोसाब अबु तोहा की कविताओं का अनुराधा अनन्या द्वारा और अन्य अनेक फ़िलिस्तीनी कविताओं का जगदीश चंद्र द्वारा किया गया अनुवाद।

कँवल धालीवाल का नस्लवाद को भारत के जातिवाद से निःसृत बताता शोधपरक विस्तृत लेख और नारीवादी आंदोलन तथा नारी दासता के कारणों की पड़ताल करता डॉ. अस्मिता सिंह का आलेख। रशीद जहाँ के लेखन और जीवन और उनके अदबी, समाजी और सियासी कामों और विचारों से अवगत कराता अदिति भारद्वाज का लेख। विलक्षण फ़िल्मकार छंदिता मुखर्जी को याद करता मनमोहन चड्ढा का लेख।

चरण सिंह पथिक के आगामी उपन्यास का अंश। काशीनाथ सिंह की रचना प्रक्रिया को समझने का प्रयास करता संजय कुमार सिंह का आलेख और चित्रकार पंकज दीक्षित के कला-संसार को नये अर्थों में उद्घाटित करता एक अन्य चित्रकार मुकेश बिजौले का लेख।

समीक्षित पुस्तकों में कुमार अम्बुज के कविता संग्रह ‘उपशीर्षक’ पर शशिभूषण की, लोकबाबू के उपन्यास ‘बस्तर बस्तर’ गोरेलाल चंदेल की और अनिल करमेले के कविता संग्रह ‘बाक़ी बचे कुछ लोग’ पर कैलाश बनवासी की समीक्षाएँ।

लेखकों और लेखक संगठनों के समक्ष चुनौतियों और उनके समाधान पर विचार करता डॉ. सेवाराम त्रिपाठी का लेख।

आवरण पर प्रसिद्ध फ़िलिस्तीनी चित्रकार इस्माइल शम्मूट की पेंटिंग है। अंतिम आवरण प्रो. जी.एन. साईबाबा को वसुधा की श्रद्धांजलि है। पंकज दीक्षित के रेखांकन हैं तथा कुछ छवियाँ फ़िलिस्तीनी कलाकारों के इंटरनेट पर उपलब्ध चित्रों की ली गई हैं। पृष्ठ सज्जा नितिन पंजाबी की है।

पृष्ठ संख्या 356 है और मूल्य है – रुपये 300/- (रुपये तीन सौ) (डाक ख़र्च सहित)।

जो साथी प्रगतिशील वसुधा का 102वाँ अंक प्राप्त करना चाहें वे एक प्रति ₹ 300 की दर से सहयोग राशि भेजकर नीचे दिये गए फ़ोन नम्बर पर सम्पर्क करके यह अंक प्राप्त कर सकते हैं। बैंक खाते का विवरण –

खाता नाम : वसुधा (VASUDHA), बचत खाता क्रमांक : 20437443131, IFSC : IDIB000B604, बैंक का नाम एवं पता : इंडियन बैंक, बंगाली चौराहा ब्रांच, इंदौर।

विनीत तिवारी (संपादक)
(+91 98931 92740)

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