वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुशील कुमार दुबे द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने कुलपति को आदेशित किया है कि यदि अगले सुनवाई से पूर्व पूर्ण अनुपालन प्रमाणपत्र (Compliance Certificate) प्रस्तुत नहीं किया गया, तो उन्हें निजी रूप से न्यायालय में उपस्थित होना होगा।

डॉ. सुशील दुबे, जो कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी और लगातार हो रही अनियमितताओं के कारण अपने नियमानुसार प्रोन्नति के लिए न्यायालय की शरण में गए।

गौरतलब है कि BHU की एपेक्स बॉडी “Executive Council” द्वारा 4 जून 2021 को प्रोन्नति का निर्णय ले लिया गया था, परंतु 2024 तक उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया। यहाँ तक कि BHU के तत्कालीन कुलाधिपति स्व. जस्टिस गिरिधर मालवीय के निर्देश के बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ।

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल द्वारा देरी पर कुलपति से पर्सनल एफिडेविट की मांग की गई थी। बाद में जस्टिस सूर श्याम शमशेरी ने 7 जनवरी 2025 को तीन माह के भीतर प्रोन्नति देने का स्पष्ट आदेश पारित किया था, जिसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने फिर भी अनदेखा किया।

इस कारण से डॉ. दुबे को अवमानना याचिका दाखिल करनी पड़ी। याचिका पर सुनवाई के दौरान यांची के अधिवक्ता कृष्ण राज सिंह ने न्यायालय को बताया कि किस प्रकार विश्वविद्यालय प्रशासन जानबूझकर आदेश की अवहेलना कर रहा है। इस पर न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया कि या तो आदेश का पूर्ण अनुपालन कर रिपोर्ट दें या फिर कुलपति को निजी रूप से उपस्थित होना होगा।