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– विश्वविद्यालय के एलुमिनाई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बना रहे अपनी विशेष पहचान : प्रो. बी.आर. काम्बोज
हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एलुमिनाई डॉ. नवीन कुमार का इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अंतर्गत नेशनल इंस्ट्ट्यिूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में निदेशक पद पर चयन हुआ। इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने डॉ. नवीन कुमार को बधाई दी, साथ ही उनको स्मृति चिन्ह् भेंट कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि हकृवि के एलुमिनाई न केवल राष्ट्रीय अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा, शोध, प्रौद्योगिकियों व नवाचारों के क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन कर अपने ज्ञान व कौशल से लगातार अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। कुलपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय में अपनाए जा रहे उच्च शैक्षणिक व अनुसंधान मानकों का प्रतीक है। हकृवि के विद्यार्थियों व वैज्ञानिकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवीन तकनीकों में प्रशिक्षित करने के प्रयास में विश्व प्रसिद्ध अनेक विश्वविद्यालयों व शोध संस्थानों के साथ अनुबंध किए है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास व अंतर्राष्ट्रीय एक्सपोजर देने में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि हाल ही के वर्षों में विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थी विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में उच्च शैक्षणिक डिग्री हासिल करने के लिए जा चुके हैं।
हकृवि के चार एलुमिनाई विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति पद पर दे रहे सेवाएं
अगर हरियाणा के विश्वविद्यालयों की बात करें तो यह गर्व की बात है कि इस विश्वविद्यालय के चार एलुमिनाई कुलपति पद पर सुशोभित है, जिनमें एचएयू में डॉ. बी.आर. काम्बोज, लुवास में डॉ. विनोद कुमार वर्मा, जीजेयू में डॉ. नरसी राम बिश्नोई और नवनियुक्त डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा, एमएचएयू, करनाल में कुलपति पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. नवीन कुमार ने वर्ष 2006 में पीचडी की शिक्षा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार से प्राप्त की, साथ ही डॉ. नवीन कुमार पीएचडी के दौरान जर्मनी में डीएएडी फैलोशिप पर भी रहे। फिलहाल ये हिसार के राष्ट्रीय वेटनरी टाइप कल्चर आईसीएआर अश्व अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक पद पर और विज्ञान भारती हिसार इकाई के सदस्य है। ये भारत के पहले वैज्ञानिक है, जिन्होंने सर्वप्रथम लंपी स्किन डिजीज और अनकोवैक्स वैक्सीन का आविष्कार किया था, जोकि पशुओं में कोविड-19 सहित अन्य बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हुई। ये संयुक्त राष्ट्र में लंपी स्किन डिजीज के विशेषज्ञ भी रहे। इनका जन्म राजस्थान के अलवर शहर में हुआ।

इन्होंने वर्ष 2000 में स्नातक व स्नातकोत्तर की शिक्षा वर्ष 2002 में कॉलेज ऑफ वेटनरी साइंस, बीकानेर में पूरी की। ये वर्ष 2006 से 2011 तक अटलांटा अमेरिका में पोस्ट डॉ. फेलो भी रहे।
इस उपलक्ष्य पर एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें विज्ञान भारती हिसार इकाई के अध्यक्ष व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय बरूआ, सचिव प्रोफेसर दीपक केडिया व गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार के निदेशक डॉ. प्रताप मलिक ने डॉ. नवीन कुमार को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी। इस दौरान विज्ञान भारती के कार्यकारणी के सदस्य डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. विकास वर्मा, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. अमन, डॉ. हरदेव सैनी, डॉ. मीनाक्षी व कैंपस स्कूल के प्रिंसिपल सोमा शेखर शर्मा भी मौजूद रहे।

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