उनकी आँखों में माँ की गोद में लेटकर न आये नींद,

तब तक क्या मुबारक!

मुबारक, मुबारक,

क्या मुबारक!

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ईद मुबारक

विशु मुबारक

चेटीचंड मुबारक

उगादि मुबारक

गुड़ी पड़वा मुबारक

और तमाम धर्मों, प्रदेशों के त्योहार, नये साल मुबारक

और अगर न हो कोई त्योहार

या नया साल

तो सोमवार, मंगलवार या हो जो भी दिन, वही मुबारक,

अमन मुबारक, मोहब्बत मुबारक, बराबरी और बहनापा, भाईचारा मुबारक

और जब तक गाज़ा के बच्चों के चेहरों पर न आये मुस्कान

उनकी आँखों में माँ की गोद में लेटकर न आये नींद,

तब तक क्या मुबारक!

– विनीत तिवारी