लखनऊः “टी.बी. के उन्मूलन के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करके उन्हें इस गम्भीर बीमारी से बचाया जा सकता है।“
“जिन पंचायतों में टी0बी0 के रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा है उन्हें विशिष्ट चिकित्सकीय संथानों द्वारा गोद लेकर उनकी मदद की जा सकती है।“
लखनऊ मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने विगत कई वर्षो में टी0बी0 के अधिकाधिक मामले वाले कई पंचायतो को गोद लेकर उन्हे टी0बी0 मुक्त किया है। तथा आगे भी टी0बी0 से अत्यधिक रुप से ग्रसित क्षेत्रो में टी0बी0 उन्मूलन के प्रयास करते रहेंगें।
-प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश
विश्व टी0बी0 दिवस के अवसर पर पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने जनजागरुकता के कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश, विभागाध्यक्ष, डा0 सचिन कुमार, डा0 मोहम्मद आरिफ, डा0 अतुल तिवारी, डा0 मृत्युन्जय सिंह, डा0 अनुराग त्रिपाठी एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे एवं टी0बी0 की बीमारी के बारे में अपने व्यक्तव्य से लोगो का जागरुक किया।
टीबी महत्वपूर्ण तथ्य
टीबी का प्रसार-
ऽ दुनिया भर में प्रतिवर्ष टी0बी0 से कुल 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
ऽ भारत में लगभग 28 लाख लोग 2022 में टी0बी0 से ग्रसित हुए और 24.2 लाख टी0बी0 के मामले दर्ज किये गये।
ऽ 2021 में देश में 22 करोड से ज्यादा लोगों को टी0बी0 की प्रारम्भिक जाँच की गयी जिसमें 1.39 करोड बलगम की माइक्रोस्कोपी जाँच और 58 लाख CBNAAT की जाँच शामिल थी।
ऽ इनमें से 1.06 करोड लोग टी0बी0 से ग्रसित पाये गये और 13 लाख रोगियों की मृत्यु हई।
ऽ वर्ष 2000 से अब तक वैश्विक प्रयासों के द्वारा टी0बी0 से साढे सात करोड लोगों की जान बचाई जा चुकी है।
ऽ टी0बी0 मुक्त अभियान के तहत लगभग 40 हजार निक्षयमित्र देश भर में 10.45 लाख टी0बी0 मरीजों की देख-भाल कर रहें है।
ऽ मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टी0बी0 (एम0डी0आर0-टी0बी0) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और स्वास्थ्य सुरक्षा को खतरा है।
ऽ पिछले वर्षों की तुलना में 2020 और 2021 में इलाज शुरू करने वाले एक्स0डी0आर0-टीबी रोगियों की संख्या में भी कमी देखी गई।
ऽ 2020 और 2021 में इलाज पर रखे गए एमडीआर रोगियों की संख्या में 14 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की कमी आई।
दुनिया भर में संक्रामक रोग से होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण तपेदिक (टीबी)है एवं इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।
यह वार्षिक आयोजन 1882 की उस तारीख की याद दिलाता है जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैसिलस, की खोज की घोषणा की थी।
विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस, 24 मार्च 2024, का थीम पिछले वर्ष की भाँति ही:- “हाँ! हम टीबी को खत्म कर सकते हैं।“
टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है और हाल के वर्षों में दवा प्रतिरोधी टीबी (एम0डी0आर0-टी0बी0) में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है।
भारत में क्षय रोग की स्थिति
ऽ भारत विश्व स्तर पर टीबी के सबसे अधिक बोझ वाले देशों में से एक है, जहां हर साल बड़ी संख्या में टी0बी0 के मामले सामने आते हैं।
ऽ मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी)/ व्यापक रूप से दवा-प्रतिरोधी टीबी (एक्सडीआर-टीबी):- इस बीमारी में टी0बी0 की नियमित रूप से चलने वाली दवाइयो कारगर नहीं होती है। अतः विशिष्ट दवाइयों द्वारा इस बीमारी के लिए लंबे समय तक, उपचार की आवश्यकता होती है
ऽ सरकारी कार्यक्रम:- टीबी से निपटने के लिए, संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) और क्षय रोग उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना शामिल है। ये कार्यक्रम देश भर में निदान, उपचार और रोकथाम के प्रयासों में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
क्षय रोग के लक्षण
ऽ न ठीक होने वाली खांसी
ऽ छाती में दर्द।
ऽ खाँसी में खून आना।
ऽ थकान ।
ऽ बुखार।
ऽ रात को पसीना आना।
ऽ वजन कम होना।
ऽ भूख में कमी।
छय रोग की जटिलताएँ
ऽ मल्टीड्रग प्रतिरोधी टीबी
ऽ शरीर के विभिन्न अंगों में फैला हुआ टीबी
ऽ फेफडे की झिल्ली में पानी आना
ऽ रीढ की हड्डी का टी0बी़
ऽ दिमागी टी0बी0
ऽ जोडों का टी0बी0
ऽ सांस की विफलता
क्षय रोग की पहचान
ऽ चिकित्सा इतिहास और परीक्षा।
ऽ ट्यूबरकुलिन टेस्ट।
ऽ इंटरफेरॉन गामा रिलीज टेस्ट।
ऽ छाती का एक्स – रे।
ऽ बलगम की जाँच।
ऽ न्यूक्लिक एसिड प्रवर्धन परीक्षण।
ऽ ब्रोंकोस्कोपी
ऽ बायोप्सी।
ऽ जीन एक्सपर्ट टेस्ट।
टीबी समाप्त करने की रणनीति
प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण – वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत।
पूरे विश्व में टी0बी0 से ग्रसित मरीजों के एक चैथाई मरीज भारत में हैं। और पूरे विश्व में टी0बी0 से होने वाली सभी मृत्यु में से 29 प्रतिशत मृत्यु भारत में होती है।
माननीय राज्यपाल महोदया के कुशल मार्गदर्शन और नेतृत्व के माध्यम से, टीबी के हजारों बच्चों को बेहतर और समग्र देखभाल के लिए गोद लिया गया है।
इससे टीबी से जुड़े कलंक को दूर करने में भी मदद मिल रही है
लोगों द्वारा कोविड के अनुरूप व्यवहार को अपनाने से टीबी की रोकथाम में भी काफी मदद मिली है क्योंकि ये दोनों वायुजनित रोग हैं।
टीबी समाप्ति के रणनीति स्तंभ
पता लगाना-उपचार-रोकथाम-निर्माण
उद्देश्य 1- टीबी उन्मूलन के लिए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना और उसे मजबूत बनाना।
उद्देश्य 2- बायोमेडिकल, व्यवहारिक और सामाजिक हस्तक्षेप का उपयोग करके अतिसंवेदनशील आबादी में टीबी के प्रसार को रोकना।
उद्देश्य 3- टी0बी0 के सभी मरीजों का पता लगाएं।
उद्देश्य 4- टी0बी0 के सभी मरीजों का इलाज करें।
यूपी सरकार द्वारा क्षय रोग को खत्म करने के लिए किये जा रहे प्रयास
राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत टी0बी0 के मरीजों को मुफ्त इलाज एवं जाँच की सुविधा दी जाती है एवं टी0बी0 के प्रसार को रोकनें के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
विभिन्न DOTS सेंटर के माध्यम से मरीजों को मुफ्त दवा वितरण किया जाता है तथा उनको टी0बी0 के इलाज को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
सरकार जनता को टीबी की रोकथाम, लक्षण और शीघ्र निदान और उपचार के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाती है।
सरकार राज्य में टीबी नियंत्रण प्रयासों की प्रगति पर नजर रखती है एवं किये जा रहें समस्त प्रयासों का मूल्यांकन करती है। नियमित निगरानी, डेटा संग्रह और विश्लेषण से सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और टीबी नियंत्रण गतिविधियों के लिए अनुकूल संसाधन उपलब्ध कराती है।
प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश
विभागाध्यक्ष
पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन