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अलीगढ़ 25 अप्रैलः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के डॉ. जेड.ए. डेंटल कॉलेज के ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजी/ओरल पैथोलॉजी विभाग द्वारा इंडियन एकेडमी ऑफ ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी (आईएओएमआर) के तत्वावधान में जेपी अस्पताल, नोएडा के सहयोग से ‘ओरल मैलिग्नेंसीज में हालिया अंतर्दृष्टिः प्रबंधन के निदान’ पर एक सतत दंत चिकित्सा शिक्षा (सीडीई) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय मुख चिकित्सा और रेडियोलॉजी के अवसर पर ‘क्रांतिकारी मुस्कुराहटः नवप्रवर्तन, रोशनी, विकिरण’ विषय पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया।

अतिथि वक्ताओं का स्वागत करते हुए, आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर प्रधुमन वर्मा ने सीडीई के महत्व पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि देश में मुख कैंसर की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, यूपी में मुख कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। सीडीई दंत पेशेवरों को क्षेत्र में हाल के विकास से परिचित होने में मदद करेगा।

जेएन मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल एवं सीएमएस तथा मेडिसिन संकाय की डीन प्रोफेसर वीना माहेश्वरी और प्रिंसिपल, जेडएडीसी, प्रोफेसर राजेंद्र कुमार तिवारी ने कार्यक्रम आयोजित करने के प्रयासों की सराहना की।

अपने औपचारिक स्वागत भाषण में, डॉ. एमडी असदुल्लाह ने उन वक्ताओं का परिचय दिया जो मुख विकृतियों से निपटने वाले विभिन्न विशिष्टताओं से संबंधित थे। उन्होंने ऐसे रोगियों के सफल प्रबंधन के लिए मल्टीस्पेशलिटी दृष्टिकोण की भूमिका पर प्रकाश डाला और तंबाकू, शराब और सुपारी के सेवन की हानिकारक आदतों को छोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो मुख कैंसर के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

जेपी अस्पताल के ऑन्को-सर्जन डॉ. आशीष गोयल ने मुख कैंसर का पता लगाने में डेंटल सर्जनों की भूमिका और प्रबंधन और पुनर्वास कैसे साथ-साथ चलते हैं, पर बात की।

जेपी अस्पताल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अभिषेक गुलिया ने मुख कैंसर के रोगियों में रेडिएशन से पहले, उसके दौरान और बाद में फ्रैक्शनाइज्ड रेडियोथेरेपी और दंत मूल्यांकन के महत्व को रेखांकित किया।

प्रसिद्ध ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जन, डॉ. रचित माटुर ने ओरल कैंसर के विभिन्न कारणों पर प्रकाश डाला और बताया कि सुपारी, तम्बाकू, फ्लेवर्ड हुक्का, वेप जैसे विभिन्न कार्सिनोजेन्स युवा पीढ़ी तक कितनी आसानी से पहुंच पाते हैं और उन्हें ऐसी आदतों से दूर रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं।

श्री राजीव खन्ना (बिजनेस एसोसिएट, नॉर्थ जोन गेलनोवा लेबोरेटरीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) ने हल्दी के प्रमुख एंटी-कार्सिनोजेनिक घटकों में से एक, करक्यूमिन के विभिन्न लाभों की गणना की।

कार्यक्रम में जेएनएमसी और जेडएडीसी के 185 से अधिक शिक्षकों और स्नातक व स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया।

आयोजन सचिव प्रोफेसर डॉ. अंशुल अग्रवाल, संकाय सदस्य डॉ. कौसर जे ख्वाजा, डॉ. नासिर सलाती, डॉ. मसूद हसन खान, डॉ. शाहला खान और जूनियर रेजिडेंट्स ने कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस अवसर पर पिछले महीने आयोजित विभिन्न प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये गये।

डॉ. सिदरा असलम, जेआर-1 ने कार्यक्रम का संचालन किया जबकि डॉ. जूही गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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