Total Views: 259

प्रयागराजः प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) विश्वविद्यालय, प्रयागराज द्वारा कला संकाय के अनेक पाठ्यक्रमों को अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की सुविधाओं से युक्त किया गया है। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को शोध तथा अनुसन्धानपरक वातावरण प्रदान करने हेतु विश्वविद्यालय ने अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त प्रयोगशालाओं के स्थापना का कार्य पूर्ण कर लिया है। प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग में पुरातात्विक अनुसन्धान प्रयोगशाला के अन्तर्गत सूक्ष्मदर्शी, रिमोट सेंसिंग एवं जी.आई.एस. के माध्यम से पुरासामाग्री का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा सकेगा तथा रसायनों के प्रयोग के अध्ययन से सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण एवं परिरक्षण को प्रोत्साहित किया जायेगा, उक्त प्रयोगशाला में प्रयोग कर विद्यार्थी एवं शिक्षकगण प्राचीन काल में मनुष्यों के भौतिक एवं संज्ञानात्मक बौद्धिक विकास एवं उनके व्यवहारों का अध्ययन पुरातात्विक सामाग्री के आधार पर कर सकेंगे। सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से आदिमानवों द्वारा प्रयोग किये गए पाषाण उपकरणों में छपे चिन्हों से उनके व्यवहारों का भी अध्ययन किया जा सकेगा। पुरातात्विक सर्वेक्षण एवं उत्खनन से सम्बन्धित व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होने पर विद्यार्थियों में कौशल विकास एवं सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति विश्वास की अभिवृद्धि होगी। प्राचीन इतिहास विभाग में इलाहबाद संग्रहालय के सहयोग से एक संग्रहालय की स्थापना भी की जा चुकी है। जिसमें विद्यार्थी पुरातात्विक सामाग्री के साथ-साथ कला, स्थापत्य, मुद्राएँ एवं मुहरें इत्यादि का व्यावहारिक अध्ययन करेंगे।
भूगोल विभाग के अन्तर्गत रिमोट सेंसिंग एवं जी.आई.एस. लैब तथा कार्टोग्राफी लैब की स्थापना हो चुकी हैं। जिसमें विद्यार्थी प्राकृतिक विज्ञान को सामाजिक विज्ञान से जोड़कर, व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से पृथ्वी की नए सिरे से खोज करेंगे। प्रयोगशाला के बिना, इस विविध क्षेत्र को बनाने वाली कई मूलभूत अवधारणाओं को पढ़ाना लगभग असंभव है। भूगोल केवल मानचित्रों और ग्लोब के बारे में नहीं है, यह उन प्राकृतिक और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में है जो हमारी दुनिया को आकार देते हैं।

उन्हें चित्र और रेखाचित्र दिखाए जा सकते हैं, लेकिन इन घटनाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने और अनुभव करने के अवसर के बिना, सीखना अधूरा रहता है। प्रयोगशाला छात्रों को अनुभवात्मक सीखने का अवसर प्रदान करता है, जिससे विषय अधिक रोचक और जीवंत बन जाता है। सीखने के व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ, छात्र विभिन्न मिट्टी की बनावट को महसूस कर सकते हैं, उनके रंगों का निरीक्षण कर सकते हैं और हमारे ग्रह की सतह को बनाने वाली विविधताओं को समझ सकते हैं।

प्रयोगशाला में, छात्रों को मॉडल और शिक्षण सहायक सामग्री बनाने के लिए पुनर्नवीनीकरण या टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह स्थिरता को बढ़ावा देता है और प्रयोगशाला के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है। छात्र क्षेत्र से संसाधन भी एकत्र करते हैं, जैसे चट्टान के नमूने, मिट्टी के नमूने और पौधों के नमूने, जिनका उपयोग प्रयोगशाला में अवलोकन के लिए किया जा सकता है।
रक्षा एवं स्त्रातेजिक विभाग में डिफेंस लैब की स्थापना की गई है। जिसमें विद्यार्थियों की सामरिक अध्ययन की समझ को आगे बढ़ाने में मानचित्र, मानचित्र अभ्यास, सामरिक मॉडल और सिमुलेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइबर अपराध के अध्ययन की महत्वपूर्ण भूमिका शामिल है। भू-राजनीतिक मानचित्र वास्तविक अभासी सामरिक स्थलों, सैन्य प्रक्रियाओं रेत मॉडलों के माध्यम से सैन्य गतिविधियों एवं स्थानों का चलचित्रों के माध्यम से प्रयोगात्मक ज्ञान से छात्रों को रूबरू कराना। ऐतिहासिक और समकालीन संघर्षों का विश्लेषण करने, यु़द्धकला का वास्तविक अनुभव प्रदान करना।

जिससे छात्र सैन्य क्षेत्र में रूचि के साथ अध्ययन कर सकें तथा सशस्त्र बलों में अपना भविष्य संवार सकें। क्योंकि प्रयागराज सैन्य अधिकारीयों की भर्ती का एक बड़ा केन्द्र भी है। समय-समय पर सैन्य विशेषज्ञों द्वारा भी छात्रों को सेना में करियर बनाने के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है। इसके साथ ही आधुनिक एवं नवीन तकनीकि युक्त प्रयेगशालाओं के माध्यम से छात्रों को नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप करियर बनाने के लिये भी तैयार किया जाता है। स्नातक स्तर के छात्रों को कम्पास, जीपीएस डिवाइस, मैपिंग टूल और हथियारों के मॉडल जैसे व्यावहारिक प्रयोगशाला में जानकारी दी जाती है।

यह विशिष्ट उपकरण किस प्रकार योगदान करते हैं। दिक्सूचक/कम्पास मूलभूत दिशा ज्ञान प्रशिक्षण और फील्ड अभ्यास के लिए आवश्यक है। जिससे सैनिकों को भी विभिन्न इलाकों में संचालन के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद करते हैं। जीपीएस डिवाइस आधुनिक नेविगेशन के लिए महत्वपूर्ण, सटीक स्थिति निर्धारण, मार्ग नियोजन और आंदोलनों के समन्वय को सक्षम करना। जीपीएस तकनीक कई हथियार प्रणालियों और ड्रोन का भी अभिन्न अंग है। मानचित्र या मैपिंग टूल इनमें भौतिक मानचित्र और डिजिटल जीआईएस सिस्टम दोनों शामिल हैं। इनका उपयोग रणनीतिक योजना, मिशन योजना और परिचालन निष्पादन के लिए किया जाता है। जीआईएस तकनीक इलाके का विश्लेषण करने, मार्गों की योजना बनाने और पर्यावरणीय कारकों का आकलन करने में मदद करती है। हथियारों के मॉडल प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए विभिन्न हथियारों के प्रतिकृतियों के मॉडल का उपयोग किया जाता है।

छात्रों को हथियारों से जुड़े जोखिम के बिना विभिन्न हथियारों के संचालन, रखरखाव और संचालन से परिचय कराया जाता है। जिससे सशस्त्र बलों में छात्रों को प्रशिक्षण के समय साहयता मिलती है। भौगोलिक विश्लेषण उपकरण युद्धग्रस्त क्षेत्र को समझने में मदद करते हैं, जो सैन्य अभियानों, रसद और सामरिक की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इनमें डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) और अन्य स्थलाकृतिक डेटा विश्लेषण उपकरण शामिल हैं। वास्तविक अभासी मानचित्र मॉडल आभासी कमांड केंद्र में सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखने, मिशनों की योजना बनाने और संचालनों के समन्वय के लिए भौतिक और डिजिटल दोनों मानचित्रों का उपयोग किया जाता है।
हिन्दी, संस्कृत एवं अंग्रेजी विषयों हेतु भाषा लैब की स्थापना की गई है जिसमें विद्यार्थी कम्प्यूटर में विभिन्न सॉफ्टवेयर के माध्यम से भाषाओं का अध्ययन एवं विश्लेषण कर सकेंगे। भाषा प्रयोगशाला भाषा सीखने का एक आधुनिक और उन्नत तकनीक है। यह छात्रों को तकनीक की मदद से अपने भाषा कौशल का अभ्यास करने और उसे बढ़ाने का अवसर देता है।

विश्वविद्यालय अथवा संस्थानों में भाषा प्रयोगशाला होने से छात्रों को बहुत से लाभ मिलते हैं। प्रत्येक छात्र की सीखने की गति और शैली भिन्न भिन्न होती है, भाषा प्रयोगशाला में प्रत्येक छात्र अपनी गति से सिख सकते हैं तथा अपने शिक्षक से व्यक्तिगत प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं । भाषा प्रयोगशालाएं आधुनिक तकनीक यथा आडियो, वीडियो एवं कंप्यूटर आधारित अभ्यास के द्वारा छात्रों के व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें सीखने और स्वयं में सुधार लाने के लिए अवसर प्रदान करता है। सुनने के कौशल में भाषा प्रयोगशाला आदर्श है। हेडफोन और माइक्रोफोन की सहायता से छात्र प्रामाणिक भाषा सामग्री सुन सकते हैं और अपनी आवाज रिकॉर्ड कर सकते हैं।

वे अपने उच्चारण,स्वर परिवर्तन को सुन कर उसका सुधार कर सकते हैं। बोलने के कौशल में सुधार – भाषा प्रयोगशाला छात्रों को बोलने के कौशल को बढ़ाने के लिए एक वातावरण प्रदान करती है ।अभिनय के द्वारा या संभाषण के द्वारा छात्रों के संकोच को दूर करके छात्रों में आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है। भाषा प्रयोगशाला छात्रों को इंटरैक्टिव गतिविधियां प्रदान करती है छात्र समूह चर्चा,समूह में कहानी सुनाना आदि के अभ्यास से छात्रों के अन्दर से झिझक खत्म करके उनमें आत्मविश्वास को बढ़ाने में निश्चित रूप से सहायता करती है।

भाषा प्रयोगशाला में छात्रों के लिए हर समय विभिन्न प्रकार के संसाधन उपलब्ध रहते हैं जैसे ऑनलाइन शब्दकोश,व्याकरण गाइड आदि जिसके उपयोग से छात्रों के भाषा सीखने की प्रक्रिया और भी आसान हो जाती है जिससे यह सुविधाजनक और प्रभावी बन जाती है।
मनोविज्ञान विभाग में मनोविज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना हो चुकी है जिसमें विद्यार्थी मनोविज्ञान से सम्बन्धित विभिन्न प्रयोग कर सकेंगे। वाणिज्य एवं प्रबन्धन विभाग में बिजनेस लैब की स्थापना की गई है जिसमें विद्यार्थीगण व्यापार से सम्बन्धित विभिन्न प्रयोग कर सकेंगे तथा उन्हें प्रव्यावहारिक शिक्षण भी प्रदान किया जायेगा।
विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए अत्याधुनिक कम्प्यूटर लैब भी स्थापित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय परिसर में 24 घन्टे इन्टरनेट/वाई-फाई की सुविधा पहले से ही प्रदान की जा रही है। विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए परम्परागत प्रयोगशालाओं के साथ-साथ वर्चुअल लैब की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। वर्चुअल लैब में विद्यार्थी कम्प्यूटर में ही विभिन्न प्रकार के प्रयोग करेंगे और उनके परिणामों को परम्परागत तरीके से भी जाँच सकेंगे। वर्चुअल लैब की सुविधा प्राप्त होने पर विद्यार्थी 24 घन्टे किसी भी स्थान से प्रयोगशाला का लाभ ले सकेंगे। वर्चुअल लैब के लिए विश्वविद्यालय ने भारत सरकार के शिक्षा विभाग के वीलैब पोर्टल के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

विश्वविद्यालय का उद्देश्य है कि विभिन्न विषयों में सिमुलेशन-आधारित प्रयोगशालाओं तक रिमोट-एक्सेस प्रदान करना। विद्यार्थियों में जिज्ञासा जगाकर उन्हें प्रयोग करने के लिए उत्साहित करना। इससे उन्हें प्रयोग के माध्यम से बुनियादी और उन्नत अवधारणाओं को सीखने में मदद मिलेगी। विश्वविद्यालय द्वारा वर्चुअल लैब आधारित एक संपूर्ण शिक्षण प्रबंधन प्रणाली विकसित की जा रही है जिसमें विद्यार्थी एवं शिक्षक वेब-संसाधन, वीडियो-व्याख्यान, एनिमेटेड प्रदर्शन और स्व-मूल्यांकन सहित अधिगम के लिए विभिन्न उपकरणों का लाभ उठा सकेंगे। इस प्रकार विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को उन्नत सुविधाओं से परिपूर्ण परिसर एवं प्रयोगशालाओं का लाभ प्रदान करेगा।

विश्वविद्यालय परिसर में संचालित परम्परागत विषयों में स्नातक एवं परास्नातक के लिए प्रवेश की प्रक्रिया 15 मई 2024 से प्रारम्भ हो चुकी है। अभ्यर्थी विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट में जाकर प्रवेश हेतु पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 थी। जिन विद्यार्थियों ने 15 जुलाई तक अपने प्रवेश पंजीकरण फॉर्म पूर्ण कर लिया है उन सभी के प्रवेश के लिए 18 जुलाई, 2024 को प्रातः 10 बजे से विश्वविद्यालय के अकादमिक भवन-ए में काउन्सलिंग सम्पन्न होगी। सभी प्रवेश सीधे किये जायेंगे। विस्तृत दिशानिर्देश विश्वविद्यालय की वेबसाइट एवं प्रवेश पोर्टल में उपलब्ध हैं। जिन विद्यार्थियों ने अभी तक पंजीकरण नहीं किया है उनके लिए प्रवेश पंजीकरण हेतु पोर्टल दिनांक 14 अगस्त, 2024 तक खुला रहेगा। ऐसे विद्यार्थी अपना पंजीकरण पूर्ण करने के उपरान्त सीधे विश्वविद्यालय में आकर प्रवेश ले सकते हैं।

Leave A Comment