शफी शेख की कलम से

इन्दौर : जो समाज से प्राप्त किया है, उसे पुनः समाज को लोटाने की प्रेरणा आनन्द मोहन माथुर जैसे लोगों से प्राप्त करने की जरूरत है। बिरले ही लोग होते हैं जो आम लोगों के दिलों पर राज करते हैं, माथुर साहब के एहसान को भुलाया नहीं जा सकता।

उक्त बातें आज आज हिंदी साहित्य समिति में याद-ए-माथुर कार्यक्रम में इंदौर शहर के विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने स्व माथुर द्वारा शहर में किए गए विभिन्न सामाजिक कार्यों को याद करते हुए कही।

जाने-माने अधिवक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक कार्यकर्ता आनंद मोहन माथुर को शहर के लोगों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए उनके सपनों को पूर्ण करने से संकल्प लिया कार्यक्रम में अधिवक्ता अभिनव धनोडकर, डॉ राजकुमार माथुर ,पूनम माथुर , संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास राजेश मेहरा, पार्षद उस्मान पटेल,वरिष्ठ सीए राजेंद्र गोयल, वामपंथी विचारक विनित तिवारी, माधुरी बहन,फादर पायस, पुष्पेन्द्र दुबे,हरे राम बाजपेई,आदिल शईद, प्रमोद नामदेव आदि ने विचार रखे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में दृष्टिबाधित छात्रों ने इतनी शक्ति हमें देना दाता गीत प्रस्तुत किया।
अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने माथुर साहब के संघर्ष की कहानी बयान की ।स्व माथुर ने, न केवल शहर को बल्कि मध्य प्रदेश के और देश के लिए भी कई कार्य किया चाहे सांप्रदायिक स्वास्थ्य को लेकर हो या जनमानस की समस्याओं को लेकर संघर्ष करते रहे।

इस अवसर पर, माथुर साहब के जीवन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म प्रदर्शित की गई ।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शफी शेख़ ने किया ।
उपस्थित लोगों ने प्रतिवर्ष माथुर साहब की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करने और उनके विचारों को शहर में स्थापित करने का संकल्प लिया,अन्त में प्रमोद नामदेव ने आभार व्यक्त किया।

(विनीत तिवारी जी की फेसबुक वॉल से)

आनंद मोहन माथुर जी गत 22 मार्च 2025 को 97 वर्ष कि आयु पूर्णकर विदा हुए। वे अनेक संगठनों और संस्थाओं के संरक्षक, पदाधिकारी और संचालक थे लेकिन जिन दो संगठनों ने उन्हें उनकी किशोरावस्था और जवानी के दिनों में छुआ, उनका असर उनके व्यक्तित्व को गढ़ने वाला रहा। आज़ादी के पहले वे देश के सबसे पहले विद्यार्थी संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (#AISF) के सदस्य बने और लगभग आज़ादी के साथ ही वे भारतीय जन नाट्य संघ (Indian People’s Theatre Association (IPTA) के सदस्य बने और नाटकों में अभिनय किया। वह दौर शांति और अमन के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का दौर था और नाटकों के ज़रिये विश्व शांति से लेकर समाज में हर तरह की गैर-बराबरी दूर करने का संदेश कविताओं, कहानियों और नाटकों व फिल्मों के ज़रिये आम लोगों तक पहुँचाया जा रहा था। आनंद मोहन माथुर जी की बुनियाद इन्हीं मूल्यों के साथ पड़ी।

जहाँ तक मुझे पता है, उनकी रिश्तेदारी प्रसिद्ध कवि गिरिजा कुमार माथुर और प्रसिद्ध पत्रकार राजेन्द्र माथुर से भी थी और उनका असर भी उन पर रहा ही होगा। मज़दूरों के नेता होमी दाजी उनके पड़ोसी, दोस्त और समकालीन थे। यही वजह है कि इंदौर के कपड़ा मिल मज़दूरों की कानूनी लड़ाई उन्होंने लड़ी और दशकों से इंसाफ़ को तरसते मेहनतकश लोगों को उनका हक़ दिलवाने में निःशुल्क मदद की।

इप्टा देश के कलाकारों का एक अनूठा संगठन है। आजादी के पहले बने इस संगठन में वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा से लेकर मज़दूर नेता एन. एम. जोशी से लेकर संगीतज्ञ पंडित रविशंकर, नर्तक पंडित उदयशंकर, भूपेन हज़ारिका, अभिनय के क्षेत्र के दिग्गज पृथ्वीराज कपूर, बलराज साहनी, उत्पल दत्त, संजीव कुमार, फारुक शेख, दीना पाठक, रेखा जैन, उजरा बट, जोहरा सहगल, निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास, हबीब तनवीर और अन्य लेखक-कलाकार रज़िया सज्जाद ज़हीर भीषम साहनी, अमृतलाल नागर, साहिर लुधियानवी, कैफ़ी आज़मी, जाँ निसार अख्तर, ए. के. हंगल आदि-आदि लोग शामिल रहे। सन 1943 में बने इस संगठन के हर तीन-चार साल में राष्ट्रीय अधिवेशन होते रहे हैं और उनमें देश भर के अनेक प्रदेशों के विभिन्न सांस्कृतिक कलाकार इकट्ठे होकर अपनी प्रस्तुतियाँ देते रहे हैं। लेकिन कभी भी राष्ट्रीय अधिवेशन मध्य प्रदेश में नहीं हुआ था। जब इप्टा के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी और तत्कालीन उप महासचिव राकेश से इंदौर में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने की संभावना पर बात हुई तो उसकी पृष्ठभूमि में इप्टा इंदौर की टीम के साथ आनंद मोहन माथुर जी का आश्वासन भरा हाथ और साथ होना प्रमुख था। बहुत उत्साह से पूरे कार्यक्रम की तैयारी हुई। माथुर साहब ने अपने स्वागत भाषण के पॉइंट्स मुझसे डिस्कस किये और उन्होंने मुझे अपना स्वागत अध्यक्ष का भाषण लिखने की ज़िम्मेदारी दी। वह सर्जिकल स्ट्राइक का दौर था और देशप्रेम को उन्माद के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। मैंने मखदूम मोइउद्दीन के प्रसिद्ध गीत को भाषण का आधार बनाया – जाने वाले सिपाही से पूछो, वो कहाँ जा रहा है?

उन्हें बहुत पसंद आया लेकिन लोगों के विवेक को जागृत करने की यह कोशिश दक्षिणपंथियों को न पसंद आनी थी न आयी। सोने में सुहागा यह हुआ कि इप्टा के मुख्य अतिथि एम. एस. सथ्यु ने भी कड़े शब्दों में सर्जिकल स्ट्राइक और युद्धोन्माद की आलोचना कर दी। नकली देशभक्त गैंग ने इप्टा के सम्मेलन पर हमला बोल दिया। उस पूरे वाकये को प्रभातकिरण के संपादक प्रकाश पुरोहित जी ने आँखों देखे गवाह की तरह प्रभातकिरण में लिखा था । पेरिन दाजी, आनंद मोहन माथुर, जया मेहता और इप्टा के हम सब क़रीब एक हज़ार प्रतिनिधि अविचल तरह से पुलिस, प्रशासन और दंगाई लोगों के सामने निडर खड़े रहे।

इप्टा का 14 वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन इंदौर में पूरी भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। इप्टा के इतिहास में इंदौर और मध्य प्रदेश का नाम अभिन्न तौर पर शामिल हुआ। इसके पीछे आनंद मोहन माथुर जी का बहुत बड़ा योगदान था।

संस्कृति उनकी ऊर्जा थी लेकिन काम उनका सामाजिक बदलाव का था। समाज बदलना उनका ख्वाब था जिसे वे कभी समाज सेवा के ज़रिये और कभी राजनीति के ज़रिये पूरा करने की कोशिश करते थे।

आज इंदौर में उनके चाहने वालों ने, जिनमें हम भी शामिल हैं, इंदौर में एक सभा रखी है, सभी से गुजारिश है कि वे जरूर आएँ और ज़िंदादिल आनंद मोहन माथुर जी को शानदार श्रद्धांजलि पेश करें।

Indian People’s Theatre Association (IPTA)

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