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वाराणसीः भोजपुरी अध्ययन केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के राहुल सभागार में बनारस के उत्कृष्ट लेखक और विचारक अनिल कुमार सिंह की पुस्तक ‘बतकही’ का लोकार्पण हुआ। धर्म, सभ्यता और संस्कृति के रोचक गपशप समेटे इस पुस्तक पर केन्द्र के समन्वयक प्रो. प्रभाकर सिंह की अगुआई में लेखकीय परिचर्चा भी हुई। परिचर्चा प्रारम्भ करते हुए प्रो प्रभाकर सिंह ने बताया कि डायरी शैली में लिखित यह पुस्तक एक सन्दर्भ ग्रन्थ की तरह प्रयुक्त की जा सकती है।

आम जीवनचर्या से निकली यह पुस्तक विद्यार्थियों में पुस्तकों के प्रति रुचि उत्पन्न करेगी। लेखक अनिल कुमार सिंह ने पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि यह पुस्तक निष्कर्ष की अपेक्षा प्रक्रिया की बात करती है। पुस्तक में आम जनमानस के माध्यम से जीवन के विभिन्न विषयों विमर्शों पर अनायास बतकही हो जाती है। बनारस के ही चिंतक और अनुवादक रामकीर्ति शुक्ल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि दिल्ली के प्रसिद्ध इतिहासकार और चिंतक रजनीश राज रहे और वक्ता के रूप में डॉ प्रभात कुमार मिश्र और डॉ प्रशांत कुमार उपस्थित रहे।

डॉक्टर प्रभात ने पुस्तकीय सीमितता की चर्चा करते हुए कहा कि अनुक्रमणिका का अभाव और पुस्तक की विधा अथवा शैली को इसकी सीमितता के रूप में देखा जा सकता है। विशिष्ट वक्ता के रूप में ‘डार्क हॉर्स’ और ‘औघड़’ उपन्यासों के लेखक और कवि नीलोत्पल मृणाल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। पुस्तक के बारे में बोलते हुए नीलोत्पल ने कहा कि पुस्तक सभ्यता और संस्कृति के माध्यम से धर्म के धारण करने तक की प्रक्रिया का वृतांत है।

विशेष उपस्थिति अखिलेश कुमार शर्मा, यजेश रघुवंशी और अरुण जयहिंद की रही। विभाग के शोधार्थियों के साथ ही विभिन्न विभाग के विद्यार्थियों की उपस्थिति ने का आभार व्यक्तव्य प्रलेक प्रकाशन के निदेशक जितेंद्र पात्रो ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ही युवा अध्येता डॉ प्रियंका सोनकर ने किया।

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