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प्रधान संपादक की कलम सेः विधि प्रवर्तन एजेंसियों मसलन आईबी, बनारस पुलिस, एलआईयू, एटीएस, एसटीएफ और एनआईए को भलीभाँति मालूम है कि भगतसिंह स्टूडेंट मोर्चा माओवादियों का आनुषंगिक संगठन है, हालांकि कोर्ट में इसे साबित नहीं किया जा सकता। इस स्टूडेंट आउटफिट से जुड़े 13 जन जेल में बंद हैं, जिनकी रिहाई के लिए कोशिशें जारी हैं।
फासीवाद छल-प्रपंच के तौर पर अतीत का गौरवगान करता है, अब अगर आरएसएस ने कह भी दिया हो कि वह संविधान की बजाय मनुस्मृति को लागू करेगा तो इसमें इतना व्यथित होने की बात क्या है भाई।
परम मूर्ख जंगली भाई सुबह से अगली सुबह तक औद्योगिक उत्पादों का उपयोग करते हैं। और तो और जो अनाज वे खाते हैं वह भी औद्योगिक इनपुट के बगैर उपजाया नहीं जा सकता लेकिन उन्हें मजदूर और उनके हित नहीं दिखाई देते। आज ही के अखबार में खबर छपी है, जिसमें लार्सन एंड टुब्रो का मालिक कह रहा है कि मजदूरों को बीवी को निहारने की बजाय सप्ताह में 90 घंटा काम करना चाहिए लेकिन हमारे जंगली भाई इससे व्यथित नहीं होंगे। लानत है।
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वानर टोली के जिन सदस्यों की रिहाई के लिए आज सपा ऑफिस में बैठक आयोजित की गई, उसमें भाँति-भाँति के नमूने हाजिर थे और निरपवाद रूप से सब के सब लंपट और लखैरे थे। एनजीओवादी, फर्जी वामी, शासक वर्गीय पार्टियों के सदस्य और संविधानवादी सभी गरजे होंगे कि अभिव्यक्ति की आजादी पर योगी सरकार पाबंदी लगा रही है। पुरखों की संपत्ति को बेच-बेचकर खाने वाला एसपी राय भभुआ से आया था क्रांति करने।
अब इन गधों को कौन समझाए कि कार्य दिवस की लंबाई इसी संविधान के तहत बढ़ाई जा रही है, माने इसकी गुंजाइश है। उत्पादक शक्तियाँ इतनी विकसित और उन्नत हो चुकी हैं कि कार्यदिवस क्रमिक रूप से घटते जाना चाहिए लेकिन नहीं उसे अधिकतम करने की मांग धनपशु उठा रहे हैं और वह इन मदारियों की चिंता का विषय नहीं।
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ये संविधानवादी जिनके समर्थन में इकट्ठा हुए थे, वे खुद संविधान को नहीं मानते और उनके लोग दंडकारण्य में गजपेलन बने हुए हैं और लॉ एंड आर्डर की समस्या पैदा किए हुए हैं।
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सरकारी मशीनरी और शासक वर्ग के एक हिस्से को अपने पक्ष में लाए बिना व्यवस्था-परिवर्तन नहीं हो सकता। मजदूरों की फौलादी एकजुटता और व्यापक गोलबंदी के बिना अभिव्यक्ति की आजादी समेत किसी भी नागरिक अधिकार के लिए सरकार से लड़ा नहीं जा सकता। यह काम सच्चा लाल झंडा करेगा, परम खलिहर, परम मूर्ख लखैरे इस तरह की मीटिंगों में हिस्सा लेकर बस अपना बाजार भाव ही बढ़ाएंगे।
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जंगली भाइयों से जुड़ी वानर टोली से सादर निवेदन है कि गुजरे जमाने की लड़ाई लड़ने से तौबा करें और मजदूर-पक्षीय लड़ाई को संगठित करने में लग जाएं। BHU के हरे-भरे बाग को तजकर धूल-धुएं से धूसर कल-कारखानों का रुख करें, मजदूर बस्तियों में जाएं, जहाँ से उन्हें वास्तविक समर्थन मिलेगा। IB के मेरे अपने कांटैक्ट्स से प्रा्प्त प्रेस नोट नीचे दिया गया है। लाल बंदर इन दिनों मेरा बहिष्कार किये हुए हैं।

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वाराणसी में BHU के तेरह स्टूडेंट्स को जेल भेजने के खिलाफ विपक्षी राजनैतिक दलों और नागरिक समाज की हुई विशाल बैठक

BHU में 13 स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी के खिलाफ चल रहे अभियान/ आंदोलन के तहत आज दिनांक 10/01/25 को अर्दली बाजार स्थित सपा कार्यालय में एक विस्तारित बैठक आयोजित की गई। बैठक में मुख्यरूप से सपा, कांग्रेस, सीपीआई, सजप, सीपीआई माले, स्वराज अभियान, लोक एकता पार्टी कम्युनिस्ट फ्रंट और नागरिक समाज के नेतृत्वकारी हिस्सा शामिल हुआ। बैठक में एक स्वर में BHU के स्टूडेंट्स की फर्जी आरोपों में गिरफ्तारी और उन्हें जेल में डाले जाने की तीखी निंदा व भर्त्सना की गई।

साथ ही योगी सरकार के इस दमन के खिलाफ सड़को पर उतरने का भी फैसला किया गया। इसी क्रम में 13/01/25, दिन सोमवार को वाराणसी डीएम व कमिश्नर से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मिलेगा और अपनी आपत्ति दर्ज कराएगा। साथ ही फर्जी मुकदमें को वापस करने और फर्जी FIR लिखकर जेल भेजने में लिप्त पुलिस अधिकारियों के साथ BHU के चीफ प्रॉक्टर पर तत्काल करवाई करने मांग की जाएगी। बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि अगर प्रतिनिधिमंडल के मिलने के बाद भी उक्त मांगो को नहीं माना गया तो मजबूरन हमें आगामी दिनों में बड़े आंदोलन/ प्रदर्शन/ सम्मलेन की तरफ बढ़ना पड़ेगा जिसके बारे में प्रतिनिधिमंडल के मिलने के बाद 13/01/25 को निर्णय लिया जाएगा।

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