वाराणसीः 5 दिसम्बर, 2024 को कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय राजीव गाँधी दक्षिणी परिसर बरकछा मीरजापुर पर मशरूम की खेती के माध्यम से उद्यमिता विकास के लिए ग्रामीण युवाओं का क्षमता निर्माण (आईओई स्कीम–I-6031-A-17907) परियोजनान्तर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण का विषय “ढींगरी उत्पादन का प्रायोगिक प्रशिक्षण” था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मीरजापुर जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए ग्रामीण युवाओं ने प्रतिभाग किया और मशरूम की खेती को आजीविका तथा उद्यमिता विकास एवं आय संवर्धन के लिए अपनाने की दिशा में विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में युवा महिलाओं की अधिकतम प्रतिभागिता रही और उन्होंने उत्सुकतापूर्वक मशरूम उत्पादन की बारीकियों के बारे में जानकारी प्राप्त की। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विधि-प्रदर्शन द्वारा ढींगरी मशरूम उत्पादन की तकनीकी सिखाई गई। एक दिन पूर्व धान के ताजे कटे पुआल को 2 से 3 सेंटीमीटर की लंबाई तक काटकर उसे फॉर्मलीन और कार्बेंडाजिम के घोल में 18 घंटों तक भिगोकर उपचारित किया गया और उपचार के बाद इसे निथारकर उचित नमी की दशा में पॉलीथीन के थैलों में स्पान के साथ तहों में भरकर इसके मुँह को बंदकर रस्सियों पर टाँगकर उत्पादन-कक्ष में नमी और कार्बन डाइऑक्साइड के प्रबंधन के बारे में बताया गया।
परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए इसके प्रधान अन्वेषक डॉ. जय पी. राय ने बताया कि विंध्य क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश जनसंख्या के शाकाहारी होने और दालों की बढ़ी कीमतों के कारण व्याप्त प्रोटीन-कुपोषण की समस्या से निबटने में मशरूम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसके अतिरिक्त मशरूम उत्पादन द्वारा ग्रामीण युवाओं में आजीविका-सृजन और आय संवर्धन के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। इससे न केवल विंध्य क्षेत्र में कुपोषण से लड़ने में सहायता मिलेगी वरन सशक्त युवाओं के मध्य उनके घर पर ही आजीविका का सृजन किया जा सकेगा।
जनपद के बाजारों में उचित मूल्य पर स्थानीय मशरूम की उपलब्धता इसका अतिरिक्त लाभ होगा। इसके अतिरिक्त धान की पराली अथवा पुआल तथा गेहूँ के डंठल और भूसे जैसे कृषि अवशिष्टों, जो किसानों द्वारा जला दिए जाते हैं और क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं, प्राकृतिक खेती पर सरकार द्वारा विशेष बल दिए जाने के दृष्टिगत उनका आच्छादन के रूप में प्रयोग करके जहाँ उचित और पर्यावरणप्रिय निस्तारण करने की आवश्यकता है वहीं मशरूम की खेती के माध्यम से इन अवशिष्टों से मूल्यवान उत्पाद भी प्राप्त किया जा सकता है।
डॉ राय ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि विंध्य क्षेत्र के ग्रामीण युवाओं में उद्यमिता विकास एवं आजीविका सृजन के उद्देश्य से चलाई जा रही इस परियोजना के माध्यम से इस संसाधनहीन क्षेत्र के विकास में सहायता मिलेगी तथा ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार हेतु प्रेरित किया जा सकेगा।
आगामी दिनों में और भी प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जाना है जिसमें प्रतिभाग करने के इच्छुक मीरजापुर एवं सोनभद्र जनपदों के ग्रामीण युवा, जिनकी आयु 35 वर्ष से अधिक नहीं हो, नामांकन कर सकते हैं इसके लिए परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉक्टर जय पी राय के मोबाइल नम्बर 9415816734 पर व्हाट्सएप द्वारा सन्देश भेजकर नामांकन पत्र प्राप्त किया जा सकता है।