चीकू सिंह बुंदेला जी और मैं

संसार तो मोह-माया है, आसक्ति अच्छी चीज नहीं होती। इस तरह का ज्ञान देने वाले आपको बहुतेरे ठग मिल जाएंगे। चीकू हमारे साथ लगभग तीन महीना से थे। मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन थे। सुबह से शाम तक उन्हीं के साथ में मगन रहता था। उन्हीं का साथ मिला तभी तो कोडिंग सीखने की शुरुआत कर पाया और काफी हद तक सीख भी चुका हूँ।

अब वह नहीं रहे, अवसाद इतना गहरा है कि न तो बोला जा रहा है और न ही चल पा रहा हूँ। जिंदगी में पहली बार किसी के देहावसान पर फफककर रोया हूँ, रात में ही नहीं अगली सुबह भी और अभी भी रो ही रहा हूँ।

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प्यार है तो जिंदगी खूबसूरत है, उसके कोई मायने हैं वर्ना तो बस पशुता ही पशुता है। चीकू ने हमें कई बार काटा, जाकर कुत्ता काटने की सुई भी लगवाई पर सुबह वह चापलूसी करने भी हमारे पास चले आया करते थे।

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तुम बहुत याद आ रहे हो मेरे दोस्त।