प्रयागराजः इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राजभाषा नीति से संबंधित प्रतियोगिता के साथ ही राजभाषा पखवाड़ा आरंभ हो गया। उद्घाटन सत्र में अतिथियों में कुलसचिव प्रो. आशीष खरे,प्रोफेसर नरेंद्र कुमार शुक्ल डीन सी डी , प्रोफेसर जया कपूर जनसंपर्क अधिकारी रहीं तथा डॉ. धनंजय चोपड़ा की विशेष उपस्थिति रही।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव और राजभाषा कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष प्रो. आशीष खरे ने कहा कि माननीय कुलपति महोदया के नेतृत्व में विश्वविद्यालय अकादमिक और प्रशासनिक रूप से आगे बढ़ रहा है। कार्मिकों की नियुक्तियां की जा चुकी हैं और भविष्य में भी कई पदों पर नियुक्तियां प्रस्तावित हैं। राजभाषा हिंदी में कार्य करना अब और भी आसान हो गया है तकनीक के दौर में विभिन्न प्रकार के सॉफ्टवेयर के माध्यम से हम हिंदी भाषा में बोलकर भी काम कर सकते हैं। 15 दिवसीय राजभाषा विभाग का यह कार्यक्रम कर्मचारियों में हिंदी की समझ तो विकसित करेगा ही वित्तीय सहयोग भी उनको प्रदान करेगा।
राजभाषा कार्यान्वयन समिति के समन्वयक प्रो. संतोष भदौरिया ने राजभाषा के संवैधानिक प्रावधानों की बात करते हुए कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय ‘क’ क्षेत्र में आता है । माननीय कुलपति महोदया के निर्देश और प्रेरणा से राजभाषा अनुभाग लगातार कार्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है जिससे कि वह हिंदी कार्य का सही समय पर और ठीक ढंग से निष्पादित कर सकें। राजभाषा अनुभाग ने हमेशा से ही विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की हैं जो लगातार जारी हैं।आज हिंदी भाषा में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं किंतु इसमें मार्गदर्शन की आवश्यकता है । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कार्मिकों और विद्यार्थियों को इस तरह की प्रतियोगिताओं में अवश्य भाग लेना चाहिए।
प्रोफेसर जया कपूर जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि विश्वविद्यालय में कुलपति के नेतृत्व में राजभाषा हिंदी को गति मिली है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विभागों के नाम के बोर्ड हों, मुहरें हों पत्र शीर्ष हों सब मानक अनुसार है अर्थात हिंदी और अंग्रेजी में है। हमारी तिमाही रिपोर्ट सही समय पर विश्वविद्यालय द्वारा मंत्रालय को प्रेषित की जाती है। राजभाषा हिंदी की एकरूपता के लिए विश्वविद्यालय में आदेश जारी किए गए हैं।
इस अवसर पर डा. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि हिंदी भाषा गंगा की तरह है जिस तरह गंगा में विभिन्न सहायक नदियां समाहित होती हैं फिर भी गंगा की पवित्रता बची रहती है इस प्रकार हिंदी है हिंदी में भी क्षेत्रीय बोलियां और न जाने कितनी भाषाओं के शब्दों को अपने अंदर समाहित कर रखा है. प्रो. नरेंद्र कुमार शुक्ल, डीन, सीडीसी ने कहा राजभाषा हिंदी में कार्य करना हमारी विधिक और संवैधानिक जिम्मेदारी तो है ही हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। हम जिस भाषा में वार्तालाप करते हैं जो हमारी मातृभाषा है उसे भाषा में कार्य करने में शर्म कैसी। हमें अपना कार्यालीन कार्य अवश्य ही हिंदी में करना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापित करते हुए हिंदी विभाग के प्रो कुमार वीरेंद्र ने कहा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजभाषा अनुभाग ने अपना दायरा बढ़ाया है। कागजी कार्यों के अलावा राजभाषा अनुभाग सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से भी हिंदी का प्रचार प्रसार कर रहा है यह एक सुखद अनुभूति है।प्रवीण श्रीवास्तव, हिंदी अधिकारी ने स्वागत वक्तव्य करते हुए कहा कि राजभाषा अनुभाग शिक्षकों अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित कर रहा है।माननीय कुलपति महोदया के अनुमोदनोपरांत इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 18 सितंबर से राजभाषा पखवाड़ा, 2024 आरंभ हो रहा है। इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रत्येक प्रतियोगिता में चार पुरस्कार क्रमश: प्रथम रू 3000/- द्वितीय रुपये 2500/- तृतीय रुपये 2000/- सांत्वना रुपये 1500/- तथा प्रमाण-पत्र प्रदान किए जाएंगे। इस दौरान राजभाषा अनुभाग की सांस्कृतिक इकाई बरगद कला मंच द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं नाट्य मंचन भी किया जाएगा।
उद्घाटन कार्यक्रम के बाद शिक्षकों, अधिकारियों और कार्मिकों के लिए राजभाषा नीति से संबंधित प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन राजभाषा अनुभाग के हिंदी अनुवादक हरिओम कुमार ने किया। इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक ,अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।