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अलीगढ़, 24 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग ने मानवाधिकार सिद्धांतों के बारे में जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सहयोग से हाल ही में मानवाधिकार पर दो दिवसीय बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज ने जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाल।

अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, आगरा सुश्री आसिफा राना ने मुख्य भाषण प्रस्तुत किया।

विभाग के अध्यक्ष प्रो. इकबालुर रहमान ने स्वागत भाषण दिया। प्रोफेसर रचना कौशल ने कार्यक्रम के लक्ष्यों और उद्देश्यों को स्पष्ट किया।

प्रख्यात विद्वानों की अध्यक्षता में तकनीकी सत्रों में मानवाधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। प्रो. आफताब आलम ने पहले सत्र का नेतृत्व किया, जहां डॉ. आयशा इम्तियाज ने स्वतंत्रता के बाद के भारत में मानवाधिकार शासन के विकास पर चर्चा की। डॉ. नगमा फारुकी ने महिला अधिकारों पर ज्ञानवर्धक चर्चा की अध्यक्षता की, जिसमें नीति कार्यान्वयन के लिए गया। श्री उपेन्द्र चैधरी की अध्यक्षता में मानवाधिकार और भारतीय संविधान पर सत्र में श्री परवेज आलम ने व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान किए।

दूसरे दिन प्रोफेसर मोहम्मद नफीस अंसारी की अध्यक्षता में एक सत्र में डॉ. आदिल गजनवी ने पर्यावरण अधिकारों की आवश्यकता पर बल देते हुए मानव जीवन और स्वस्थ पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर मोहिबुल हक ने अल्पसंख्यक अधिकारों पर चर्चा में वैश्विक अवधारणाओं और भारत के रुख को स्पष्ट किया। प्रोफेसर अर्शी खान ने भारतीय मूल्य प्रणाली की दार्शनिक खोज और मानवाधिकारों के साथ इसके सहसंबंधों पर चर्चा की।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण पुलिस और मानवाधिकार पर सत्र था, जिसमें एसएसपी अलीगढ़ श्री संजीव सुमन (आईपीएस) और एएमयू रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) शामिल हुए। श्री सुमन ने पुलिस की चुनौतियों और अधिक सेवा-उन्मुख बल की आकांक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए एक प्रभावशाली भाषण दिया। समापन समारोह में, प्रोफेसर आफताब आलम ने कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए धन्यवाद प्रस्ताव दिया। सह-संयोजक श्री परवेज आलम और स्वयंसेवकों का विशेष योगदान रहा।

सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर मिर्जा असमर बेग ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

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