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‘‘कलाकार दुख की बात भी आनंद के साथ रचता है’’

नाम बहुत बडा भ्रम है – इसके पीछे नहीं भागना चाहिए यह कहना था – इलाहाबाद विश्वविद्यालय, दृश्यकला विभाग में पधारे सुप्रसिद्ध कला समीक्षक,  कवि एवं साहित्यकार ‘प्रयाग शुक्ल’ का। दृश्यकला विभाग में दिनांक 28.02.2024 को भारतीय समकालीन कला’ विषय पर ‘परिचर्चा: का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. अजय कुमार  जैतली द्वारा मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ व प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया।

परिचर्चा के दौरान प्रयाग शुक्ल ने अपने विचार छात्र-छात्राओं के साथ साझा किये। उनका कहना था कि ‘‘मै यहा उर्जा लेने आया हूँ’’ उन्होंने इस बात पर विषेश बल दिया कि चित्रों को कैसे देखा व महसूस किया जाये, निरंतर कला कार्य में व्यस्त रहना चाहिए, नाम बहुत बडा भ्रम है इसके पीछे नहीं भागना चाहिये, सिर्फ आपका कर्म आपकी पहचान बनता है। उनके द्वारा कलाकृति बनाते समय कलाकार के मूड की व्याख्या इस प्रकार की गई, कि “कलाकार की मनोस्थिति क्या होती है, कलाकार दुख की बात भी आनंद के साथ रचता है” भारतीय समकालीन कला के विचार को लेकर विभाग के छात्र-छात्राओं ने श्री ‘प्रयाग शुक्ल’ के समक्ष उत्साह के साथ अपनी जिज्ञासाए प्रकट की जैसे उत्तर प्रदेश में भारतीय समकालीन कला का महत्व, इंजिनियर और कलाकार मे क्या समानता है, कलाकार की कृति को कैसे समझे आदि। इस परिचर्चा का संचालन डॉ. सचिन सैनी द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अदिति पटेल ने किया। ‘प्रयाग शुक्ल’ द्वारा विभाग का दौरा किया गया तथा विभाग में प्रदर्षित पेटिंग एवं मूर्तिकला को उन्होंने काफी सराहा।

दृष्यकला विभाग के डॉ. संदीप कुमार मेघवाल तथा पुरा छात्र पवन कुमार, शोधार्थी धर्मेंद्र कुमार, मंजू यादव, पूजा कुशवाहा, आयुषि राय, रेनू जयसवाल, आकांक्षा कश्यप एवं मल्लिका साहू, भीम सिंघ, कल्पना यादव, चंद्रदीप कुश्वाह, दिव्याश्री श्रीवस्तव, शिवम कुमार, अपर्णा, अनुराग यादव, अखिलेश यादव, रागिनी के साथ सैंकडो विद्यार्थी इस अवसर के साक्षी बने। इसी क्रम में दृश्य कला विभाग के ऑफिस असिस्टेंट रोशन लाल, लवलेश मिश्रा, लैब अटेंडेंट हरिओम तिवारी तथा एम. टी. एस. कर्मचारी सतीश कुमार, अनुराग, बादामा देवी एवं सफाई कर्मी शीला देवी का भरपूर सहयोग भी रहा।

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